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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 11 ) तावदेदेः एकसोस्वभावसदा दूसरोनहोनोसोः दायकानंद नृपमानसिंह जुके नंदसोनसिंह तोसोः सबन्याय कहै सो नोसो // 1 // साधु भावनादास कृत श्लोकः // कथमत्यल्पकलिस्थः स्वर्णः स्वर्णेनयाति सादृश्यम् // स्वर्णोमानज शुल्की स्वर्णोऽयंमानजःशुभ्रः // 1 // ॥दोहा॥ लगुसोना कैसैलहै, सोभा सोनसमान / वहै अमानज मानीये, मांनज यहै महान // 1 // // लालचन्द्रजी के कये हुए कवित्त // गुनघनसारभारविरही लगावै अंगपारदकेधोके सिद्धगुटिकावनावे है / कुन्दओ चंबेलीजुही जांनसुरसासधरे चन्द्र मानकै चकोरचित्तहर्षावे है // लालचन्द तारागनगणक गणित करै वज्रमनिहार अभिसारकासजावे है / कीरति तिहारीभारीविभ्रमविलोकदेत रावराजा सोवनसिंह सबकों सुहावे है // 1 // // कवि पत्नी की उक्ति // काहेकों कलपशाखी वृथाचित्त राखी आशका है अभिलाखी भये सिद्धनसमाजाको / चिन्तामनि चिंततहो काहै काज प्राणपती कामधेनुकथारति करो काहाकाजाको लाल For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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