________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (12) त्रिसुरशक्तिसदासुखलालितं स्मर०॥ 2 // मुनिमनोमयकोशधनंशिवं सकलसेव्यमलौकिकमद्भुतम् // सकलतीर्थमयंसु मनोहरं स्मर० // 3 // श्रुतिशिरोधृतमीप्सितमामशरणदं शरणागतवत्सलम् // सकलशास्त्ररहस्यमनन्तकं स्मर० // 4 // गणिपविध्वजकासुलंकृतं नखमणिप्रभवाहप्ततामसम्॥मम तुभाग्यमहोद्भुतमक्षयं स्मर० ॥५॥गुरुरूपाजनमानसमावित क्वणितनूपुरहंसकसंयुतम् // चरणपत्रयुतरसमण्डितं स्मर० // 6 ॥निजजनेप्सितकामदमक्षर युगलमदयमीशशिरःकृतम्॥ प्रणतपालकपावनमच्युतं स्मर० // 7 // विलसिताष्टविभू तिकरंनृणां जनिजरामरणाहिरंहितम् // निगमसारतरं गुरु पूजितं स्मर० // 8 // गृहकलत्रसुताःकिलबन्धनं तदनुरक्ति रनन्तभयावहा // त्यजविषं विषयं परमामृतं स्मर० // 9 // सकलहत्सरसीरुहसंस्थितं ह्यपिजना नावदुः सुखदायकम् // गुरुवरोक्षितहृद्यवभासकं स्मर० // 10 // निजजनैकशरण्य महर्निशंकणितनूपुरभक्तसुखावहम् // निजकृपासुखसेव्यमना मयं स्मर० // 11 // समुदयद्रविकोटिसमप्रभं भवभयस्थि तिसंहरणक्षमम् // सकलदेवशिरस्कृतशासनं स्मर० // 92 // सकलवोधकरंजड़तापहं भुवनभासकभक्तवरप्रदम् // विगतरा गजनैकमनोहरं स्मर० // 13 // सकलयोगफलंगुणगौरवं गु णविहीनविलक्षितवैभवम् // गुणसुसृष्टहरादिकदैवतं स्मर० // 14 गुणहरंगुणकारकमन्वहं गुणविहीनमशेषगुणाकरम् // गुरुगरिष्टतरं गुणपूजितं स्मर० // 15 // परमशङ्करवल्लभसि द्विदं निजरूपानिजभक्तिसुखप्रदम् // परतरंनिजभक्तमनोगतं म र 0 // 16 // अलमलं चूतयागसुकर्मभि रधिकखेदधनक्षय For Private and Personal Use Only