________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // श्रीः // श्रोमालिपरमविदुत् परमानन्द ऊत श्लोकाः // यः श्वोमान्मरुदेशवंशतिलकोवीरतालंकृतोयबंश्यैः प्रहता हिताङ्गरुधिरैरैक्तीकतामहः // रक्तत्वनाहिदृश्यतेऽरिवनिताने त्राम्बुभिः क्षालितः सत्वं सौवनसिंह संजयममाशीभारतीय सदा // 1 // श्रीमन्तोवनसिंहधन्यभवतः पाणौ कृपाणंरणे॥ दृष्टु शत्रुमहीभुजां भवतुहेखड्गेषुभिन्नाहित / / अंगेवेपथुरंधता नयनयोर्वक्वेतृणंभूयसी भीतिश्चेतसिवाचिसंस्तुतिकथाहस्त द्वयंमस्तके // 2 // संग्रामेरिपुभूभुजांमुखरुचिर्जीवश्चदेवाङ्ग ना चक्षुप्रोल्लसदस्त्रमांसनिवबस्तन्मेदिनीमंडलम् // त्यागिन् धन्ययशस्विसिंहजनक भ्रातोऽस्तुतेप्याटसदाजंबजलबिन्दु बजलजवजंबालवत्ज्ञानिनः // 3 // स्नाताःप्रावृषिवारिवा हसलिलैः संरूढघासांकुर व्याजेनात्तकुशाःप्रणालसलिलँदैत्वा निवापांजलीन् // प्रासादास्तवविद्विषांपरिपतत् कुञ्यस्थापिंड च्छलान्नित्यंमानहरेशिशोस्वपमृतेभ्यःकुर्वतांपिंडमु // 4 // संग्रामोदिवसायतांतवभुजःपूर्वाचलेन्द्रायतां तत्क्रोधोऽप्यरुणा यतांतवल छौर्यप्रकाशायताम् // त्ववैरिस्तिमिरायतांतदबला हृत्सूर्वकान्तायतां त्वत्खड्गोष्णरुचेःप्रतापहरितातभातआ For Private and Personal Use Only