________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 150 ) राग विलावल // तालजात्रा // सदासहस्रदल कमल गुरनाथ को ध्यान धर वराभयहस्त भुक्ति मुक्ति दायक // अस्ताई // चइल अवदात्तधृतमाल्यगं ध अवदात्तधृतविभ्रतखांक शक्तिनिज गुनन लायक // 1 // हीरमुक्तादि मनिजटित भूषन सकल अंग सब धरत सुख करत गायक // 2 // क्रांत अवदात मुष कंजनिज बोधदे दूर कृत दुकत मन बचन कायक // 3 // तत्वमस्यादिवा क्यलक्ष्य शिव शक्ति ऐक्य अब्याज भक्तजन मनसिधायक कंचन जिह चरन पर सादलिहे विमलभौ। त्रिपुरसुंदरीप दकमल चायक // 4 // राग चरचरी भैरव // ताल जलद तितालो // चितचरननकों चावे रीमइया चितचरननकोंचावे कोटभ्रंगभ्रंगकंजन ज्यां कंजन सुरजभावे // अस्ताई // // 1 // बिछिया अनवट चरनपत्रजुतनूपुर नादसुहावै / पद कंकण सोभापरिपूरण / सुभकारीरणकावे // 2 // धजाऊर धरेखाकुलिशांकित / शिवसनकादिकध्यावै॥ सरबतेजसोभा के आगर / सुमरतहीदुखजावै // 3 // विधिहरिहरजितनेस ब देवत / मोचितऐकनावै // कंचन दाससदातोयत्रिपुरे। जसगावतसुखपावै // 4 // ॥राग सोरट // ताल जलद तितालो // अथवा धीमो // आजम्हारो हो दुखसो हो दुरगयोछे // 10 // सोत्रिपुरामुख चंदनिरषके भक्तचकोरभयोछै // त्रिविधतापमिटगी तिहछिनही उर सीतलहीभयोछ। कंचनया हिमकरको उपासक ताकुसुष For Private and Personal Use Only