________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (108) व्याहरंतःपरस्परं // 9 // गायतोविहरंतश्च सुखमापुरनुत्तमम् // तस्यास्तुहंसगतिकौ स्यातांमेमानसपदौ // 10 // इति श्री महासरस्वत्यवतारचरित्रम् // मषीवर्णसमप्रख्याकौशिकीकोपसंयुता // तल्ललाटाद्विनि स्क्रान्ता कालीकल्मषनाशिनी // 1 // युद्धेशुंभनिशुंभस्य दा सयोश्चण्डमुण्उयोः // हत्वातौदानवौघोरौ चंडमुंडौमहापशू // 2 // युद्धयज्ञेचंडिकार्थे आगतातत्समीपतः // उत्क्कासमु चितंवाक्यं देवीतष्टिविधायसा // 3 // चामुंडेत्यपरंनाम प्रा पदेवीप्रसादतः // युद्धेशंभनिशुंभस्य रक्तबीजस्यचैवहि // 4 // कौशिक्या:पूर्णरूपायाः एषाजातासहायिका // शोणितरक्तबी जस्य पपौविस्तीर्णवक्रिका // 5 // मुखेसमुद्गतांश्चारीन सर्वाश्चाभक्षयत्तदा // एवंदैत्यःक्षीणरतो रणेचंडिकयाहत: रणेशुंभनिशुंभस्य कौशिक्यादेवविस्मये // भक्षितावहवोदैत्या अनयानाशितारणे // 7 // कर्पूरबीजाधिष्ठात्री चामुंडाकालि. काम्बिका // हृदयेशिवशबासीना स्थिताभवतुमेसदा // 8 // इतिश्यामावतारंचरित्रंच॥रक्तबीजस्यदासस्ययुद्धेशुंभनिशुंभ योः // शक्तिर्विरिंचेरुद्रस्य स्कंदस्यचहरेस्तथा // 1 // वराहस्यनृसिंहस्य देवेंद्रस्यवपुःस्थिता // स्वस्वाधिकारकरणे बलरूपावरप्रदा // 2 // शरीरातुविनिष्क्रम्य चागताश्चंडिकाम्प्रति // ब्राह्मीमाहेश्वरीचैव कौमारीवैष्णवीतथा ॥३॥वाराहीनारसिंहीचमाहेंद्रीचरणाजिरे // रक्तबीजस्यदेव्यश्चदुष्टदैत्यबधायच // ४॥श्रीदैव्याश्चेछयासर्वाः समाजग्मुश्चमा For Private and Personal Use Only