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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 264/पांडुलिपि-विज्ञान इस संवत् को निकालने की विधि-.. 1. वर्तमान कलियुग संवत् में 72 जोड़ कर 90 का भाग देने पर जो शेष रहे वह संख्या ही इस संवत्सर का वर्तमान वर्ष होगा। 2. वर्तमान शक संवत् में 11 जोड़कर 90 का भाग दीजिये । जो शेष बचे उसी संख्या वाला इस संवत्मर का वर्तमान वर्ष होगा। हिजरी सन् यह सन् मुसलमानों में चलने वाला सन् है । मुसलमानों के भारत में आने पर यह भारत में भी चलने लगा। __इसका प्रारम्भ 15 जुलाई 622 ई० तथा संवत् 679 श्रावण शुक्ला 2, विक्रमी की शाम से माना जाता है, क्योंकि इसी दिन पैगम्बर मुहम्मद साहब ने मक्का छोड़ा था, इस छोड़ने को ही अरबी में 'हिजरह' कहा जाता है। इसकी स्मृति का सन् हुआ हिजरी सन् । इस सन् की प्रत्येक तारीख सायंकाल से प्रारम्भ होकर दूसरे दिन सांयकाल तक चलती है। प्रत्येक महीने के 'चन्द्र दर्शन' से महीने का प्रारम्भ माना जाता है, अतः यह चन्द्र वर्ष है। ___ इसके 12 महिनों के नाम ये हैं : 1-मुहर्रम, 2-सफर, 3-रवी उल अव्वल, 4रवी उल आखिर या रवी उस्सानी, 5-जमादि उल अव्वल, 6-जमादिउल आखिर या जमादि उस्सानी, 7-रजब, 8-शाबान, 9-रमजान, 10-शव्वाल, 11-जिल्काद और 12जिलहिज्ज । म० भ० अोझा जी ने बताया है कि 100 सौर वर्षों में 3 चन्द्र वर्ष 24 दिन और 9 घड़ी बढ़ जाती हैं । ऐसी दशा में ईसवी सन् (या विक्रम संवत्) और हिजरी सन् का परस्पर कोई निश्चित अन्तर नहीं रहता, वह बदलता रहता है। उसका निश्चय गणित से ही होता है। 'शाहूर' सन् 'सूर' सन् या 'अरबी सन् इसका प्रारम्भ 15 मई, 1344 ई० तद्नुसार ज्येष्ठ शुक्ल 2,1401 विक्रमी से जबकि सूर्य भृगशिर नक्षत्र पर आया था, 1 मुहर्रम हिजरी सन् 745 से हुआ था, इसके महीनों के नाम हिजरी सन् के महीनों के नाम पर ही हैं । पर, इसका वर्ष सौर वर्ष होता है, हिजरी की तरह चन्द्र नहीं। जिस दिन सूर्य मृगशिर नक्षत्र पर आता है, 'मृगेरवि'; उसी दिन से इसका नया वर्ष प्रारम्भ होता है, अतः इसे 'मृग-साल' भी कहा जाता है। इस सन् में 599-600 मिलाने से ईसवी सन् मिलता है और 656-657 जोड़ने से से विक्रम संवत् मिलता है । इस सन् के वर्ष अंकों की बजाय अंक द्योतक अरबी शब्दों में लिखे जाते हैं । यह सन् मराठी में काम में लाया जाता था। मराठी में अंकों के द्योतक अरबी शब्दों में कुछ विकार अवश्य पा गया है, जो भाषा-वैज्ञानिक-प्रक्रिया में स्वाभाविक है। नीचे अंकों में लिये अरबी शब्द दिये जा रहे हैं और कोष्ठक में मराठी रूप । यह मराठी रूप अोझाजी ने मोलेसेवर्थ के मराठी अंग्रेजी कोश मे दिये हैं : 1--अहद् (अहदे, इहदे) 2-अन्ना (इसन्ने) 3-सलालह (सल्लीस) -अखा .... 1. भारतीय प्राचीन लिपिमाला, . 190 For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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