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पश्चाशकापमायाओ जलकुंभमलादिणाएणं ।। ७०५ ।। संविग्गो उ अमाई मइम कप्पट्टिओ अणासंसी । पण्णवणिज्जो सद्धी आणाइत्ता दुकडमूलम् ताबी ।। ७०६ ॥ तविहिसमुस्सुमो खलु अभिग्गहासेवणादिलिंगजुतो। आलोयणापयाणे जोग्गो भणितो जिणिंदेहि ।। ७०७ ॥
मआलोचना ॥४४॥
आयारवमा (मो) हारव ववहारोवीलए पकुच्ची य । णिज्जव अवायदंसी अपरिस्सावी य बोद्धब्बो । ७०८ ॥ तह परहियम्मि जुत्तो विसेसओ सुहुमभावकुसलमती । भावाणुमाण तह जोग्गो आलोयणायरिओ ।। ७०९ ॥ दुविहेण णुलोमेणं आसेवणवियडणाभिहाणणं । आसेवणाणुलोमं जं जह आसेवियं वियडे ।। ७१० ।। आलोयणाणुलोमं गुरुगवराहे उ पच्छओ वियडे । पणगादिणा कमेण
जह जह पच्छित्तवुडी उ ।। ७११ ।। तह आउट्टियदप्पओ कप्पपमायप्पओ (प्पमायओ कप्पओ) व जयणाए। कज्जे वाज्जयणाए *जहाट्ठय सबमालाए । ७१२ ।। दब्बादी मुहेमुं देया आलोयणा जतो तेसं । होति सुहभावड़ी पाएण सुहा उ सुहहऊ।। ७१३।।
दव्वे खीरदुमादी जिणभवणादी य होइ खेत्तम्मि । पुण्णतिहिपभिति काले सुहोवओगादि भावे उ !! ७१४ ॥ सुहदव्वादिसमुदए पायं जं होइ भावसुद्धित्ति । ता एयम्मि जएज्जा एसा आणा जिणवराणं ॥ ७१५ ॥ आलोएयव्वा पुण अइयारा सुहुमबायरा
सम्मं । णाणायारादिगया पंचविहो सो य विष्णेओ ॥ १६ ॥ काले विणए बहुमाण उवहाणे तहा अणिण्हवणे । वंजणअत्थतदु४ भए अट्टविहो णाणमायारो ॥ ७१७ ॥ णिस्संकियणिकंखियणिव्वितिगिच्छा अमृढदिट्ठी य । उववृहथिरीकरणे वच्छल्लपभावणे अट्ठ |॥ ७१८ ॥ पणिहाणजोगजुत्तो पंचहि समितिहिं तीहिं गुत्तीहिं । एस चरित्तायारो अट्ठविहो होइ णायव्यो। ७१८ ।। चारसविहम्मिवि तवे सम्भितरवाहिरे कुसलदिट्टे | अगिलागू अणाजीवी णायब्वो सो तवायारो ॥ ७२०॥ अणिगृहियवलविरिओ परकमह जो | ॥ ४४ ।। जहुत्तमाउनो । जुजइ य जहत्थाम णायचो वीरियायारो ॥ ७२१ ॥ एयम्मि उ अइयारा अकालपढणाइया णिरवसेसा । अपुणकर-18
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