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श्रीचन्द्र- मिच्छा सजोगीया ॥ ६३ ॥ मीसा अजया अड अड, बारस सासायणा छ देसजई । सग सेसा उ फुसंति, रज्जू खीणा असंखसं ।
समुद्घापिकृते | ।। ६४ ।। सहसारंतियदेवा, नारयनेहेण जति तइयभुवं । निजति अच्चुयं जा अच्चुयदेवेण इयरसुरा ॥६५॥ छट्ठाए नेरइओ, तास्पर्शना पश्चसंग्रहे | सासणभावेण एइ तिरिमणुए । लोगंतनिकखुडेसुं जंतऽन्ने सासणगुणत्था ॥ ६६ ।। उवसामगउवसंता, सबढे अप्पमत्तविरयाद्रपुद्गलपरा
य । गच्छंति रिउगईए, पुंदेसजया उ बारसमे ।। ६७ ॥ सत्तण्हमपज्जाणं, अंतमुहुत्तं दुहावि सुहुमाणं । सेसाणपि जहन्ना, भवट्टिई वत्तेभेदाः ॥२८७॥
| होइ एमेव ।। ६८ ॥ बावीससहस्साई, बारस वासाई अउणपत्र दिणा । छम्मास पुवकोडी तेत्तीसयराई उकोसा ।। ६९॥ होइ अणाइअणतो, अणाइसंतो य साइसंतो य । देसूणपोग्गल , अंतमुहुर्त चरिममिच्छो ॥ ७० ॥ पोग्गलपरियट्टो इह, दब्बाइ चउबिहो मुणेयव्यो । एकेको पुण दुविहो, बायरसुहुमत्तभेएणं ॥ ७१ ॥ संसारमि अडतो, जाव य कालेण फुसिय सव्वाणू । इगु जीवु मुयह वायर, अन्नयरतणुडिओ सुहुमो ॥ ७२ ॥ लोगस्स पएसेसु अणंतरपरंपराविभत्रीहि । खत्तमि बायरो सो सुहुमो उ अणंतरमयस्स ॥ ७३ ॥ उस्सप्पिणिसमएसु अणंतरपरंपराविभत्तीहिं । कालाम्म बायरो सो सुहुमो उ अणंतरमयस्स ।। ७४ ।। अणुभागट्ठाणेसुं अणंतरपरंपराविभीहिं । भावंमि बायरो सो, सुहुमो सव्वसुऽणुकमसो ॥ ७५ ॥ अवलियाणं छकं, समयादारम्भ सासणो होइ । मीसुवसम अंतमुहू, खाइयदिट्ठी अणंतद्धा ॥ ७६ ॥ वेयगअविरयसम्मो, तेत्तीसयराई साइरेगाई । अंतमुहुत्ताओ पुवकोडी देसो उ देसूणा ॥ ७७ ॥ समयाओ अंतमूह, पमत्तअपमत्तयं भयंति मुणी । देसूणपुब्बकोडिं, अन्नोन चिट्ठति भयंतो | २८७||
| ॥ ७८ ।। समयाओ अंतमुहू, अपुवकरणाउ जाव उवसंतो । खीणाजोगीणतो, देसस्सव जोगिणो कालो ॥ ७९ ।। एगिदियाणCणता, दोणि सहस्सा तसाण कायठिई । अयराण इगपणिदिसु, नरतिरियाणं सगट्ठभवा ॥ ८० ॥ पुब्बकोडिपुहुत्तं, पल्लतिय
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