________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
र्षिकृते
श्रीचन्द्र- पञ्चसंग्रहे ॥२८६॥
कसCRECAR
मसंखिया लोगा ॥ ४५ ॥ पञ्जत्तापञ्जत्ता, बितिचउअस्समिणो अवहरति । अंगुलंसंखासंखप्पएसभइयं पुढो पयरं ॥ ४६॥ सन्नी ज्योतिष्काचउसु गईसु, पढमाए असंखसेढिनेरइया । सेढिअसंखेजंसो, सेसासु जहोत्तरं तह य ।। ४७ ॥ संखेजजोयणाणं, सहपएसेहिं भाइओ
16 दिसंख्या पयरो । वंतरसुरेहिं हीरइ, एवं एकेकमेएणं ॥४८॥ छप्पनदोसयंगुलमूहपएसेहिं भाइओ पयरो । जोइसिएहिं हीरह, सहाणे त्थीय संखगुणा ॥ ४९ ॥ अस्सखसेढिखपएसतुल्लया पढमदुइयकप्पेसु । सेढिअसंखंससमा, उरिं तु जहोत्तरं तह य ।। ५० ॥ सेढिएकेक|पएसरइयसईणमंगुलप्पमियं । घम्माए भवणसोहम्मयाण माणं इमं होइ।।५१।। छप्पन्नदोसयंगुल भूओ भूओ विगज्झ मूलतिगं । गुणिया है | जहुत्तरत्था, रासीओ कमेण सूईओ ॥५२॥ अहवंगुलप्पएसा, समूलगुणिया उ नेरइयसूई । पढमदुइयापयाई समूलगुणियाई इयराणं
॥५३ ॥ अंगुलमूलासंखियभागप्पमियाउ होंति सेढीओ । उत्तरविउब्बियाणं, तिरियाण य सनिपज्जाणं ॥ ५४ ॥ उक्कोसपए मणुया, सेढीरूवाहिया अवहरंति । तइयमूलाहएहिं, अंगुलमूलप्पएसेहिं ॥ ५५ ॥ सासायणाइ चउरो, होति असंखा अणतया मिच्छा । काडिसहस्सपुहुत्तं, पमत्त इयरे उ थोवयरा ।। ५६ ॥ एगाइ चउप्पण्णा, समगं उवसामगा य उवसंता । अद्धं पडुच्च, | सेढीए, होति सब्वेवि संखज्जा ।। ५७ ॥ खवगा खीणा जोगी, एगाई जाव होंति अढसयं । अद्धाए सयपुहुत्तं, कोडिपुहुत्तं सजोगीओ ॥ ५८ ॥ अप्पज्जत्ता दोनिवि, सुहुमा एगिदिया जए सब्बे । सेसा य असंखज्जा, वायरपवणा असंखसु ॥ ५९॥ सासायणाइ सव्वे, लोयस्स असंखयंमि भागम्मि । मिच्छा उ सबलोए, होइ सजोगी समुग्घाए ॥ ६० ॥ वेयणकसायमारणवेउब्बियतेउहारकेवलिया । सग पण चउ तिमि कमा, मणुसुरनेरइयतिरियाणं ॥ ६१ ॥ पंचेंदियतिरियाणं, देवाण व होंति पंच सन्नीणं ।
२॥२८६॥ वेउव्वियवाऊणं, पढमा चउरो समुग्घाया ॥ ६२ ॥ चउदसविहावि जीवा, समुग्घाएणं फुसंति सव्वजगं | रिउसढिए व केई, एवं
RECRUARCLASACCA.
For Private and Personal Use Only