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कर्मप्रकृती ॥२५८॥
खियगुणाई ठाणंतराई तु ॥ ४८ ॥ फासणकालो तीए थोवो उक्कोसगे जहन्ने उ । होइ असंखेज्जगुणो य [3] कंडगे तत्तिओ चैव बन्धन ॥ ४९ ॥ जवमज्झकंडगोवरि हेट्ठा जवमझओ असंखगुणो । कमसो जवमझुवरि कंडगडेट्ठा य तानइओ ॥ ५० ॥ जवमझुवीर
करणं |विसेसो कंडगहेट्ठा य सव्वहिं चेव । जीवप्पाचहुमेवं अज्झवसाणेसु जाणेज्जा ॥५१॥ एक्केक्कम्मि कसायोदयम्मि लोगा असंखिया होति । ठिइबंधट्ठाणसुवि अज्झवसाणाण ठाणाणि ॥ ५२ ॥ थोवाणि कसाउदये अज्झवसाणाणि सब्बडहरम्मि । बिइयाइ विसेसहियाणि जाव उक्कोसगं ठाणं ॥ ५३॥ गंतूणमसंखेज्जे लोगे दुगुणाणि जाव उक्कोसं । आवलिअसंखभागो नाणागुणवुड्डिठाणाणि |॥ ५४ ॥ सव्वासुभपगईणं सुभपगईणं विवज्जयं जाण । ठिइबंधट्ठाणेसुवि आउगवज्जाण पगडीण ॥ ५५ ॥ पल्लासंखियभाग गंतुं दुगुणाणि आउगाणं तु । थोवाणि पढमबंधे विइयाइ असंखगुणियाणि ।। ५६ । घाईणमसुभवण्णरसंगंधफासे जहन्नठिइबंधे । जाणज्झवसाणाई तदेगदेसो य अन्नाणी ॥ ५७ ।। पल्लासंखिय भागो जावं बिइयस्स होइ बिइयम्मि । आउक्कस्सा एवं उवधाए | बावि अणुकड्डि ॥ ५८ ।। परघाउज्जोउस्सासायवधुवनामतणुउवंगाणं । पडिलोम सायस्स उ उक्कोसे जाणि समऊणे ॥ ५९ ॥2 | ताणि य अन्नाणेवं ठिइबंधो जा जहन्नगमसाए । हेठ्ठज्जोयसमेवं परत्तमाणीण उ सुभाणं ॥ ६० ॥ जाणि असायजहने उदहिपुर हुतंति ताणि अन्नाणि । आवरणसमं उम्पि परित्तमाणीणमसुभाण ॥ ६१ ।। सेकाले सम्म पडिवजंतस्स सत्तमखिइए । जो ठिइबंधो हस्सो इत्तो आवरणतुल्लो य ॥६२॥ जा अभवियपाउग्गा उप्पिमसायसमयाउ आ (जा) जेट्ठा। एसा तिरियगतिदुगे नीया| गोए य अणुकडी ॥ ६३ ॥ तसबायरपज्जत्तगपत्तेयगाण परघायतुल्ला उ । जावट्ठारसकोडाकाडा हेट्ठा य साएणं ॥ ६४॥ तणु-G॥२५८॥ तुल्ला तित्थयरे अणुकड्डी तिव्वमंदया एत्तो । सवपगईण नेया जहन्नयाई अणतगुणा ॥६५॥ निव्वत्तणा उ एक्किक्कस्स हेडोवरि
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