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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहुत्वं जीमसमासे का एवं अप्पाबहुयं दव्वपमाणेहि साहेज्जा ॥ २८१ ॥ धम्माधम्मागासा तित्रिवि दबट्ठया भवे थोवा । तत्तो अणंतगुणिया पोग्गल८ अल्प दिब्या तओ समया ॥२८२ ॥ धम्माधम्मपएसा तुल्ला परमाणवो अणंतगुणा । समया तओ अर्णता तह खपएसा अणंतगुणा ॥२८३। बहुत्वं धम्माधम्मपएसेहिंतो जीवा तओ अणंतगुणा । पोग्गलसमया खपि य पएसओ तेणणंतगुणा ॥ २८४ ॥ ॥२५४॥ __बहुभंगदिट्ठिवाए दिठ्ठत्थाणं जिणोवइटाणं । धारणपत्तट्ठो पुण जीवसमासत्थउवउत्तो ।। २८५ ॥ एवं जीवाजीवे वित्थरभिहिए समासनिद्दिष्ठे । उवउत्तो जो गुणए तस्स मई जायए विउला ।। २८६ ॥ इति जीवसमाससूत्रं ॥ 'रिसहो ये त्यादिगाथायाः (४९) परतः नंगलियपट्ट खीलिय पट्टरिए पट्टखीलियारहियं । एग दुबंधे य तहा छई पुण कोडिए मिलियं ॥ ५० ॥ 'पुवस्स उ परिमाण' मित्यादिगाथायाः (११३) परतः पुब्ब १ तुडिया २ डडा ३ व ४ हुहुय ५ तह उप्पले ६ य पउमे ७य । नलिण ८ च्छनिउर ९ अउए १० नउए ११ मउए १२ य बोद्धव्वे ॥ ११४ ॥ चूलिय १३ सीसपहेलिय १४ चोद्दस ठाणा उ अंगसंजुत्ता । अट्ठावीसं ठाणा चउणउयं होइ अंकसयं ॥ ११५॥ 'एवं जीवाजीवे त्यादि (२८६) गाथात: जीवा १ पोग्गल २ समया३ दव४ पएसा५ य पज्जपा६ चेव । थोवा१ गंता२णेता विसेस अहिया४ दुवेऽणता ॥२८७॥ प्राचीन पुस्तके उपर्युक्ता गाथा अधिकाः पाठान्तररूपेण च, परमुपयुक्ताः CHAR ॥२५॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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