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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपदेश पदेषु ॥१८३॥ परावृत्तिः जणगरूवं तु । करुणं च संपलतो अणगहा तत्थ सो तेसिं ॥६५१।। पच्छा भज्जारूवं अण्णपसत्तं समतसिंगारं । भूओ य अहिलसंत ऊसुगमच्चंतणेहजुय।।६५२।। तहवि ण मणगुत्ताएँ चलणं णियरूव देव वंदणया। थुणणं लोगपसंसा एवंपिण चित्तभेओ उ॥६५३।। भावस्या | वयगुत्तीए साहू सण्णायगठाण गच्छए दट्ठ । चोरग्गह सेणावइ विमोइउं भणइ मा साह ॥ ६५४ ॥ चलिया य जण्णयत्ता सण्णाय| गमिलणमंतरा चेव । मायपियभायमाई सोवि णियत्तो समं तेहिं ।। ६५५ ।। तेणेहिं गहिय मुसिया मुक्का ते चिंति सो इमो साहू ।। गुरुकुल | अम्हेहिं गहियमुको तो बेई अम्मगा तस्स ॥६५६ ॥ तुब्भेहि गहियमुको ? आमं, आणेह बेड़ तो छुरियं । जा छिदमि थणं णणु कि वास: ते सेणावई भणइ ।।६५७।। दुज्जम्मजायमेसो दिट्ठ। तुज्झे तहावि नवि सिटुं । कह पुत्तोत्ति अह ममं किह णवि सिट्ठति धम्मकहा ॥६५८|| आउट्टो उवसंतो मुक्को मझपि तंसि माइति । सव्वं समप्पियं से वइगुत्ती एव कायया ॥६५९|| काइयगुत्ताहरणं अद्धा| णपवण्णगो महासाहू । आवासियम्मि सत्थे ण लहइ तहिं थंडिलं किंचि ॥६६०।। लद्धं चऽगेण कहवी एगो पाओ जहिं पइट्ठाइ । (ता) तहिं ठिएगपाओ सब्य राई तहिं थद्धो॥६६।। ण य अत्थंडिलभोगो तेण को तत्थ धीरपुरिसणं । सकपसंसा देवागमो य तह भेसणमखोहो ॥ ६६२ ॥ सीहग्गह संपाडणमचलणभंगाण दुकडं सम्मं । सुरवंदणा पसंसण अईव लोगेणमुक्करिसो ॥ ६६३ ॥ एवंविहो उ भावो गुणठाणे हंदि चरणरूवम्मि । होति विसिट्ठखउवसमजोगओ भव्धसत्ताणं ॥ ६६४ ॥ देहाऽसामथम्मिवि आसयसुद्धी ण ओघओ अन्ना । चरणम्मि सुपुरिसो ण हि तुच्छोवि अकज्जमायरति ।। ६६५ ॥ दव्वादिया न पायं सोहणभाव- H॥१८३ ॥ हस्स होंति विग्धकरा । बझकिरियाओ य तहा हवंति लोगवि सिद्धमिणं ॥ ६६६ ॥ दइयाकण्णुप्पलताडणं व सुहडस्स णिन्बुईपटू For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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