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सुल्लक
दशशास्त्रीय
कम भुक्खा दाडिमगह आगमो उ इतरस्स । वंदण पासण पुच्छा एत्तो पच्छित्ति णो वंदे ॥ ३७९ ॥ देह इमं गच्छ निवं मग्गाहि & अशुभानु उपदश पदासदूर पादलेवोत्ति । गमणं निवमग्गण धम्पसस्थि च्छेओ उ हत्थाणं ।। ३८० ॥ तत्तो आगमचिण्णव्वतोसि बंदण णतीए ण्हाणं तु | बन्धः
| हत्थुल्लुज्झण साहण पाणायामे तहा भावो ॥ ३८१ ।। पुच्छा किं णो पढमं असुद्धितो तं वतित्ति गुरुदोसो । किरियापत्थाहरणा ण ॥१६॥ | अन्नहाऽवेति अणुबंधो ॥ ३८२ ।। रुद्दो य इमो एत्थं चइयब्बो धम्ममग्गजुत्तेहिं । एयम्मि अपरिचत्ते धम्मोवि हु सबलजो होति
|संकाशादि ॥ ३८३ ।। लोउत्तरंपि एत्थं निदरिसर्ण पत्तदसणाईवि । असुहाणुबंधतो खलु अणंतसंसारिया बहवे ।। ३८४ ॥ चउदसपुवघराणं
| दृष्टान्ताः अपमत्ताणंपि अंतरं समए । भणियमणतो कालो सो पुण उववज्जए एवं ॥३८५।। गंठीओं आरओविहु असई बंधा ण अण्णहा होइ। ता एसोऽवि हु एवं णेओ असुहाणुबंधोति ॥ ३८६ ।। नणु सुद्धाणाजोगो आसि चिय पत्तदंसणाईण । तेसिममुहाणुबंधो णाव| गओ कह णु एत्तो उ ? ॥३८७॥ एयापगमणिमित्तं कई व एसो उ हंत केसिंचि । एयं मिहो विरुद्धं पडिहासइ जुज्जए कह णु ?
॥ ३८८ ।। भण्णइ जहोसहं खलु जत्तेण सया विहाणओ जुतं । तह वोच्छिदइ वाहिं ण अण्णहा एवमेसोऽवि ।। ३८९ ।। एत्तो उ | अप्पमाओ भणिओ सम्बत्थ भयवया एवं । इहरा ण सम्मजोगो तस्साहय सोवि लूहो (लद्धा)त्ति ॥३९०॥ अवयारवियारम्मी अणुद्रभूए जं पुणो तदब्भासो । होइ अहिलसियहेऊ सदोसहं जह तहेसोऽवि ॥ ३९१ ॥ पडिबंधविचारम्मि य निदंसिओ चेव एस
| अत्थोत्ति । ओसहणाएण पुणो एसो च्चिय होइ विष्णेओ ।। ३९२ ॥ एत्तो उइओ वीरा कहिंचि खलिएवि अवगमे तस्स । तह IT ॥१६७|| | एयजोगउ च्चिय हंदि सकज्जे पयदिसु ॥३९३।। साहुपदोसी खुद्दो १ चेतियदयोवओगि संकासो २। सीयलविहारिदेवो ३ एमाई एत्थुदाहरणा ।। ३९४ ॥ रुद्दो सिक्खवणाए साहुपओसी विसम्मि सादेब्वं । आलुगहत्थे साहण देवय कहणाएँ निच्छूढो ।। ३९५ ॥
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