________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दाशासाय.KA.
.
|| सिद्धीइ निक्णाणं ॥ १०३ ॥ सत्थोलग्ग परिच्छा अदाण गम थेव दाण गहणंति । अण्णे उ पक्खवाया चउसत्थ विसेसविण्णाणं
नयिक्या उपदश पद ॥१०४ ।। इच्छाइ महं रंडा पइरिण तम्मित्त साहु ववहारे । मंतिपरिच्छा दोभाग तयणु अप्पस्स गाहणया ॥१०५॥ सयसाहस्सी | धुत्तो अपुन्वखोरम्मि लोगडंभणया । तुज्झ पिया मझेवं तदण्णधुत्तेण छलणत्ति ।। १०६ ॥ वेणइयाइ निमित्त सिट्ठिसुया हत्थि-11
दृष्टान्ताः ॥१५१॥ | पय विसेसोत्ति । गुम्विणि दाहिण पुत्ते थेरी तज्जायणाणादी॥१०७॥ एत्थेव अत्थसत्थे कप्पग गंडाइछेदभेदणया। जक्ख
| पउत्ती किच्चप्पओय अहवा सरावमि ॥ १०८ ॥ लेहे लिवीविहाणं वट्टाखेड्डणमक्खरालिहण । पिडिमि लिहियवायणमक्खरबिंदाइ सुयणाणं ।। १०९ ॥ गणिए य अंकनासो अण्णे उ सुवष्णजायणं दंडे । आयव्वयचिंता तह अण्णे उ हियायरिय संखा ॥११॥ कूवे सिराइणाणं तुल्ले तत्थवि सिरित्थमाहणणं । अष्णे णिहाणसंपतुवायमो विंति एवं तु ॥ १११ ।। आसे रक्खिय धूया चम्मोवल रुक्ख धीर जायणया । अण्णे कुमारगहणे लक्खणजुयगहणमाइंसु ।। ११२ ।। गद्दभ तरुणो राया तप्पिय बुड्डाणऽदंसर्ण कडगे। पिइभत्त णयण वसणे तिसाइ खर मुयण सिरसलिलं ॥ ११३ ॥ लक्खण राये देवी हरणे सोगमि आलिहे चलणा । उवरिं ण दिट्ठ
जोगो अच्छित्ता सासणे चेव ॥ ११४ ॥ गंठी मुरुंडगूढं सुत्तं समदंड मयणवट्ठो य । पालित्त मयण गालण लठ्ठीतर लाबुसिव्वण| या ॥ ११५ ।। अगए विसकर जवमेत वेज्ज सयह हथिवीमंसा । मंति पडिवक्ख अगए दिढे पच्छा पउत्ती उ ।। ११६ ॥ गणिया रहिए एकं सुकोस सड्डित्ति थूलभद्दगुणे । रहिएण अंबलुंबी सिद्धत्थगणट्ट दुक्करया ॥ ११७ ॥ सीता साडी कज्जं दीहं तण है॥१५१॥
गच्छ कुंच पइवाणी । लेहायरियपणामण अवहमि तहा सुसिस्साणं ।। ११८ ॥ णियोदे पोसिय जार खुरकए रत्ति तिसिय दग| हमरणे । उज्झण णाविय पुच्छा जाए तयगोणसुवलद्धो ।। १११ ।। गोणे णेत्तुद्धरणं घोडग जीहाइ पडणमो उवरिं । मंदमईववहारे र
AAAAAAAX
For Private and Personal Use Only