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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आख्यातकण्ड " अ. ( व्याकरण के विशेष सन्दर्भ में), क्रिया, काल, पुरुष, वचन एवं वाच्य के अर्थों को प्रकाशित करने वाला पद, क्रियापद - किरियं अक्खायती आख्यातं किरियापद, सद्द. 3.811; 'किरियं आख्याति कथेती ति आख्यातं, सद्द. 2. 326; तेन तृ. वि. ए. क. - अयं अभिहितकत्ता आख्यातेन कथितत्ता सद. 3.691 स्सष. वि. ए. व. -क्रियाभिधानता एवं आख्यातस्रोव लक्खणं सद्द. 1.25 तो प. वि., ए. व. आख्याततो व नामपदतो च वचनस्स... सेकारागमो होति, सद्द. 3.842; - ते सप्त. वि. ए. व. स्यादयो नामे, त्यादयो आख्याते, सद. 3.642:- सु व. व. अविभत्तिकनिद्देसो नामिकेसुपलब्धति, नाख्यातेसू ति विज्ञेय्य सद. 1.15. आख्यातकण्ड पु.. रू. सि. के छठे अध्याय का शीर्षक (ए. ग्रूनवेडेल द्वारा संपादित तथा 1883 ई. में बर्लिन से प्रकाशित). -- आख्यातकप्प पु०, 1. क. व्या. के छठे अध्याय का शीर्षक, इसमें 408 से 525 तक संख्या वाले सूत्र अन्तर्भूत हैं: 2. स. के पच्चीसवें परिच्छेद का शीर्षक, सद्द 3.811-844; स्मिं सप्त, वि०, ए. व. सो पनाख्यातकप्पस्मिं वित्थारेनागमिस्सतीति सर. 1.3. आख्यात त्रि. [आख्यातज्ञ] आख्यात या क्रिया के प्रयोगों में कुशल - हि तृ. वि., ब. व. - धीरेहि आख्यातञ्जूहि लक्खितं, सद्द. 1.25. आख्यातत्त नपुं, भाव. [आख्यातत्व] आख्यात होना, क्रियासूचक पद होना तं प्र. वि. ए. व. - एत्था पि आख्याततं विगच्छति स 3.831 ते सप्त. वि. ए. व. गहादितो यथारह आख्यातते नामते च प्प पहा. सह. www.kobatirth.org - - - 3.825. आख्यातपच्चय पु. तत्पु. स. [आख्यातप्रत्यय ] क्रि. रू. बनाने वाले ति न्ति आदि प्रत्यय तथा भू-आदि-गणों के विकरण-प्रत्यय या प्र० वि०, ब० व. तत्रापि आख्यातपच्चया दुविधा विकरणपच्चय नोविकरणपच्चयवसेन् सद्द. 1.2. आख्यातपद नपुं॰, तत्पु० स० [आख्यातपद], क्रिया, काल, पुरुष, वचन एवं वाच्य के अर्थों को कहने वाला क्रियापद दं प्र. वि., ए. व. फुसति वेदयति विजानातीति एवमादिकं किरियापधानं आख्यातपदं नेत्ति, अट्ठ. 163, विहरतीति एस्थ वीति उपसग्गपद, हरतीति आख्यातपदन्ति म. नि. अड. (भू.प.) 1 ( 1 ) 5: - देन 22 आख्यातिकपद 1.21. तृ. वि. ए. क. तत्थ पठमपुरिसो आख्यातपदेन तुल्याधिकरणे ..... सद्द आख्यातभाव पु. आख्यात का भाव. [आख्यातभाव]. क्रियापद होने की अवस्था - वो प्र. वि., ए. व. - अञ्ञासिकोण्डञ ति नामं एत्थ हि आख्यातभावो अन्तरघायति सद. 3831. आख्यातविभत्ति स्त्री० तत्पु० स० [ आख्यातविभक्ति], क्रिया के कालों, पुरुषों, वचनों आदि को विभाजित करके प्रकाशित करने वाले प्रत्यय या विभक्ति-चिह्न ति न्ति आदि आख्यातप्रत्यय यो प्र. वि. ब. व. दसधा आख्यातविभत्तियो उपिता सद. 1.56. आख्यातसद पु. तत्पु. स. [आख्यातशब्द ] धातुओं से निष्पन्न तथा क्रिया आदि को कहने वाला शब्द स्स प वि., ए. व. भू धातुतो निप्फन्नाख्यातसद्दस्स नेव विसेसकरो, - — Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सद्द. 1.4. आख्यातसागर पु०, तत्पु० स० [आख्यातसागर ]. क्रिया-पदों का सागर, अत्यधिक संख्या में क्रियापदों से परिपूर्ण - रं द्वि. वि. ए. क. - आख्यातसागरमथज्जतनीतरङ्ग क. व्या. 3.1. आख्याति आ + √ख्या का वर्त., प्र. पु. ए. व. [ आख्याति ], कहता है, घोषणा करता है, विज्ञापित करता है तत्थ किरियं अक्खायतीति आख्यातं किरियापद, सद्द० 3.811; पाटा अक्खायतीति - - आख्यातिक त्रि.. [आख्यातिक], कालों, वाच्यों एवं पुरुषों का आख्यान या कथन करने वाला (क्रियापद) के नपुं. प्र. वि. ए. व. किरियालक्खणं आख्यातिकं अलिङ्गभेदइति, सद्द० 1.27; - स्सष. वि., ए. व. तत्र आख्यातिकस्स किरियालक्खणत्तसूचिका त्यादयो विभत्तियो, सद. 1.13: - के सप्त. वि. ए. व. तथा प्याख्याति तस्स तब्बोहारों निरुत्तियं, सद्द० 1.21; का पु०, प्र. वि., ब.व. कत्थचाख्यातिका होन्ति कत्थथि पन नामिका. सह. 1.181. आख्यातिकपद नपुं. कर्म. स. [आख्यातिकपद]. क्रियापद. कालों, वाच्यों एवं पुरुषों का अर्थ कहने वाला 'गच्छति' आदि पद दं प्र. वि., ए. व. चाख्यातिकपदं तिकारक, सद. 1.10: आख्यातिकपदं नाम सकम्मकम्मकं For Private and Personal Use Only - सद्द० 1.12; तो प.वि., ए. व. यं आदिसु कत्थचि पनाख्यातिकपदतो, सद्द. 2.511; - दे सप्त. वि., ए. व. आख्यातिकपदे भावकारकवोहारो निरुत्तिनयं निस्साय गतो, सद. 1.10 दानि प्र. वि. ब.व.तरमा प्रतीति आदीनि आख्यातिकपदानि दिद्वानि येव www
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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