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आपतति
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आपत्ति
आपतति आ +vपत् का वर्त, प्र. पु., ए. व. [आपतति],
आ धमकता है, अचानक टूट पड़ता है, तेजी से आ पहुंचता है, आ जाता है, किसी ओर अभिमुख होकर उड़ता है - सि म. पु., ए. व. - पहहरूपो आपतसि, जा. अट्ठ. 6.280; आपतसीति आगच्छसि तदे. - न्तं वर्त. कृ., पु., द्वि. वि., ए. व. - तमापतन्तं दिस्वान, जा. अट्ठ. 5.356%; - न्तेसु सप्त. वि., ब. व. - रूपसद्दगन्धरसफोहब्बधम्मेसु आपतन्तेसु, मि. प. 337; - न्ती स्त्री., प्र. वि., ए. व. - धेनु वेगेन आपतन्ती, उदा. अट्ठ. 75; - ती अद्य., प्र. पु., ए. व. - दण्डमादाय नेसादो, आपती तुरितो भुसं, जा. अट्ठ. 5.356; - तिस्सति भवि०, प्र. पु., ए. व. - धनपालको हत्थी आपतिस्सति, मि. प. 199; - तित्वा/त्वान पू. का. कृ. - आपातं परिपातं, आपतित्वा आपतित्वा परिपतित्वा परिपतित्वा, उदा. अट्ठ. 290; कच्चि यन्तापतित्वान, दण्डेन समपोथयि, जा. अट्ठ. 5.344; आपतित्वानाति उपधावित्वा, जा. अट्ट. 5.345. आपतन नपुं., आ +vपत से व्यु., क्रि. ना., आ गिरना - नाय च. वि., ए. व. - सभण्डा उपगच्छन्ति,
वस्सस्सापतनाय ते, अप. 1.365. आपत्त नपुं., आप का भाव. [आपत्व], जल का स्वभाव, जलत्व, तरलता - त्तेन तृ. वि., ए. व. - आपस्स
आपत्तेन अननुभूतं. म. नि. 1.413. आपत्तज्ञभागिय त्रि., दूसरी आपत्ति से सम्बद्ध - यं नपुं. प्र. वि., ए. व. - आपत्तञभागियं वा होति अधिकरणअभागियं वा, पारा. 263; - स्स ष. वि., ए. व. -- आपत्तञभागियं वा होति अधिकरणञभागियं वा ति आदिमाह, या च सा अवसाने आपत्तञभागियस्स
अधिकरणस्स वसेन चोदना वृत्ता, पारा. अट्ठ.2.167. आपत्ताधारता स्त्री॰, भाव., आपत्ति के विषय में उत्पन्न विवाद का आधारभाव, सात प्रकार की आपत्तियां - आपत्ताधारता चेव, किच्चाधिकरणम्पिच, विन. वि. 2760%; आपत्ताधारता नाम, सत्त आपत्तियो मता, विन. वि. 2762. आपत्ताधिकरण नपुं., तत्पु. स., भिक्षुजीवन में किए गए अपराधों या आपत्तियों से सम्बन्धित वैधानिक मुद्दा या मामला, चार प्रकार के अधिकरणों में से एक - णं प्र. वि., ए. व. - अधिकरणं नाम चत्तारि ... -विवादाधिकरणं, अनुवादाधिकरणं आपत्ताधिकरणं, किच्चाधिकरणं, पारा. 256%;
पञ्चपि आपत्तिक्खन्धा आपत्ताधिकरणं, सत्तपि आपत्तिक्खन्धा आपत्ताधिकरण न्ति एवं आपत्तियेव आपत्ताधिकरणं पारा. अट्ट. 2.163; - स्स ष. वि., ए. व. - छ आपत्तिसमुट्ठाना आपत्ताधिकरणस्स मूलं, चूळव. 199; आपत्ताधिकरणस्स छ, चूळव, अट्ठ. 176; - पच्चया अ., प. वि., प्रतिरू. निपा., आपत्ति-विषयक विवाद-विषय के कारण - आपत्ताधिकरणपच्चया चतस्सो आपत्तियो
आपज्जतीति, परि. अट्ठ. 199. आपत्तानापत्ति स्त्री., द्व. स., आपत्ति (अपराध) एवं अनापत्ति (अपराध का अभाव) - त्ति प्र. वि., ए. व. - विवादाधिकरणं आपत्तानापत्तीति? विवादाधिकरणं न आपत्ति, परि. 290; - तिं द्वि. वि., ए. व. - आपत्तानापत्तिं न
जानाति, परि. 255; 345; परि. अट्ठ. 166. आपत्ति स्त्री., [आपत्ति], शा. अ., आकर कहीं पर गिर जाना, आ गिरना, प्राप्ति, प्रवेश, आ पहुंचना - यथा पनस्स हेतुपच्चयपरियेसनापत्ति होति, विसुद्धि. महाटी. 2.346%3; ... आपत्तीति आपज्जनं होति, पाराजिकस्साति पाराजिका गम्मस्स, पारा. अट्ठ. 1.208; "आपत्ति पाराजिकस्सा ति पाराजिकसङ्घाता आपत्ति अस्स, पाराजिकसञितस्स वा वीतिक्कमस्स आपज्जनं उल्लपनन्ति अत्थो विसुद्धि. महाटी. 1.48; कतमं आपत्ति नो अधिकरणं? सोतापत्ति समापत्ति अयं आपत्ति नो अधिकरणं, चूळव. 203; - तो प. वि., ए. व. - दसहाकारेहि पेसुझं उपसंहरति - जातितोपि ... आपत्तितोपि..., पाचि. 20; ला. अ. क., केवल स. प. में प्राप्त, तार्किक दोष में आ फंसना, अयुक्तियुक्तता में आपतित हो जाना - न पटिपत्तिया वञ्झभावापत्ति अभावपापकत्ताति चे, विसुद्धि. 2.137; निब्बानस्सेव अणआदीनम्पि निच्चभावापत्तीति चे विसुद्धि. 2.138; - तो प. वि., ए. व. - सब्बत्थ सब्बदा सब्बे सञ्च एकसदिसभावापत्तितो, विसुद्धि. 2.232; ला. अ. ख., भगवान् बुद्ध द्वारा प्रज्ञप्त तथा पातिमोक्ख, सुत्तविभङ्ग एवं खन्धकों में संग्रहीत विनय-शिक्षा पदों का उल्लंघन, विनयविपरीत आचरण (अपराध) में आपतन या आ फंसना, विनयमातिका के अनुसार, पाराजिक, संघादिसेस, पाचित्तिय, पाटिदेसनीय एवं दुक्कट नामक पांच आपत्तियां परिगणित - तत्थ कतमा पञ्च आपत्तियो? पाराजिकापत्ति, सङ्घादिसेसापत्ति पाचित्तियापत्ति, पाटिदेसनीयापत्ति, दुक्कटापत्ति, परि. 188; पदभाजनीय विभङ्ग के अनुसार, पाराजिक, संघादिसेस, थुल्लच्चय, पाचित्तिय, पाटिदेसनीय,
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