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अच्छरा
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अच्छरिय
अच्छरा' स्त्री., [बौ. सं. अच्छटा, अ. मा. अच्छरा], शा. अ. उंगलियों के अग्रभाग को आपस में मिला देना, उंगलियों को चटकाना, चुटकी बजाना - रं द्वि. वि., ए. व. - बोधिसत्तो अच्छा पहरित्वा .... जा. अट्ठ. 2.371; अत्तनो पमाणं न जानाथ, अपगच्छथाति अच्छर पहरि ध. प. अट्ठ. 1.238; ला. अ. 1. चुटकी बजाने में लगने वाला एक क्षण का समय, अल्प-समय - ... द्वे च तुम्बा एकच्छराक्खणे पवत्तचित्तस्स ..., मि. प. 112; ला. अ. 2. माप के सन्दर्भ में एक चुटकी भर, बहुत थोड़ा सा - ... मय्ह पन पत्थं तण्डुलानं चतुभागं खरीस्स अच्छरं सक्खराय करण्डक .... देहि, जा. अट्ठ. 5.382; अच्छरगहणमत्ते सिद्धत्थके लद्धं वट्टतीति, ध, प. अट्ठ. 1.396; ला. अ. 3. आज्ञा, डांट-फटकार अथवा तिरस्कारसूचक उंगली की चेष्टा - ... अच्छर पहरित्वा मोरिं वस्सापेसि. जा. अट्ठ. 4.299; - गहणमत्त त्रि., चुटकी भर में आने योग्य, अतिस्वल्प मात्रा वाला - अच्छरग्गहणमत्ते सिद्धत्थके लद्धं वट्टतीति, ध. प. अट्ठ. 1.396; - घातकालिक त्रि., चुटकी बजाने की अतिस्वल्प समयावधि वाला - ... अनिच्चसञ्जन्तु अच्छराघातकालिक, सद्धम्मो. 490; - योग्ग त्रि., उंगली द्वारा प्रहार किये जाने योग्य, थप्पड़ मारने योग्य, तिरस्करणीय - अयं पन अट्ठकथानयो - अच्छरायोग्गन्ति अच्छरियं, अच्छर पहरितुं युत्तन्ति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 1.42; - सङ्घातमत्त पु., शा. अ. चुटकी का बजाना, ला. अ. अत्यन्त कम अवधि का काल, क्षणमात्र की कालावधि - अच्छरासङ्घातमत्तम्पि, चेतोसन्तिमनज्झग, थेरगा. 405; अच्छरासङ्घातमत्तम्पि चे, भिक्खवे, भिक्खु मेत्ताचित्तं आसेवति ..., अ. नि. 1(1).13; अच्छरासङ्घातमत्तम्पीति अच्छराघटितमत्तम्पि खणं अङ्गुलिफोटनमत्तम्पि कालन्ति अत्थो, थेरीगा. अट्ठ, 85; - सङ्घातवग्ग पु., अ. नि. के एकक निपात का पांचवां वर्ग, अ. नि. 1(1).13-14; - सद्द पु.. उंगलियों के चटकाने का शब्द, चुटकी का शब्द - इन तृ. वि., ए.व.-..यथा अच्छरसन वस्सति...जा. अठ्ठ 3108; टि. व्यु. पूरी तरह से संदिग्ध, संभवतः इसका सम्बन्ध अक्षर,
आ + Vत्सर अथवा ऋच्छटा में देखा जा सकता है. अच्छरा' स्त्री., [अप्सरस्, अप्सरा, आप + /सर् से व्यु.], देवकन्याएं, स्वर्गलोक में नृत्य करने वाली अप्सरा - यो प्र. वि., ब. व. - अच्छरायो त्थियं वुत्ता रम्भा चालम्बुसादयो, देवित्थियो, अभि. प. 24-25; - रा प्र. वि., ए. व. - विचरसि चित्तलतेव अच्छरा, थेरीगा. 375; तिदिवोकचराव अच्छरा,
जा. अट्ठ. 7.161; तस्सा मे पस्स विमान, अच्छरा कामवणिनीहमस्मि, वि. व. 334; - गण पु., [अप्सरागण], अप्सराओं का समूह या मण्डली - णं द्वि. वि., ए. व. - नन्दस्स सक्यपुत्तस्स अच्छरागणं दस्सेत्वा अरहत्तं अदासि, जा. अट्ठ. 4.201; - गणसंघुट्ठ त्रि., अप्सरागणों द्वारा अनुगुञ्जायमान, अप्सराओं के संगीत से गूंज रहा - अच्छरागणसङ्घलु, पिसाचगणसेवितं, स. नि. 1(1).37; - सङ्गण पु., देवकन्याओं या अप्सराओं का समूह - णं द्वि. वि., ए. व. - तथेव त्वं अच्छरासङ्गणं इम, वि. व. 152; - सङ्घ पु.. उपरिवत्-ई द्वि. वि., ए. व. - महन्तं अच्छरासङ्घ वण्णेन अतिरोचसि, वि. व. 35; - वो प्र. वि., ए. व. - अच्छरासको पि नंदिस्वा पासादतो ओरोहित्वा आह, ध. प. अट्ठ. 2.171; - सङ्घपरिवुत त्रि०, अप्सराओं के समूह के साथ - त्तो पु., प्र. वि., ए. व. - बोधिसत्तो देवो विय अच्छरासङ्घपरिवुतो, जा. अट्ठ. 1.68; - सहस्सपरिवार त्रि., हज़ारों अप्सराओं से घिरा हुआ - अच्छृरासहस्सपरिवारो भविस्सति ..., ध, प. अट्ठ. 1.16; - सुत्त नपुं.. स. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, स. नि. 1(1).37. अच्छरिका स्त्री., अच्छरा से व्यु., चुटकी की आवाज़ - य त. वि., ए. व. - थेरो तस्स सह निक्खमनाव अरहत्तं पत्वा अच्छरिकाय सञ्ज अदासि, विसुद्धि. 1.45; - सद्द पु., चुटकी बजाने का शब्द - अच्छरिकासई करोन्तो विय विचरति, खु. पा. अट्ठ. 51. अच्छरिय 1. त्रि., [आश्चर्य], अद्भुत, अनुपम, भव्य,
आश्चर्यमय, सुन्दर - विम्हयेच्छरियाभुता, अभि. प. 736; - यानं नपुं.. ष. वि., ब. व. - यथाबलं ... गिलानुपट्टानेन अच्छरियानं रसानं संविभागेन .... दी. नि. 3.145; - ये सप्त. वि., ए. व. - ... अच्छरिये मधुररसे लभित्वा सयमेव अखादित्वा .... दी. नि. अट्ठ. 3.126; 2.क. नपुं.. आश्चर्य - अतेव मे अच्छरियं, हीङ्कारो पटिभाति म जा. अट्ठ. 7.293; ... अच्छरियन्ति अतिविय मे अच्छरियं, जा. अट्ठ. 7.295; तं दिस्वा मद्दी अच्छरियं पवेदेसि, जा. अट्ठ. 7.272; 2.ख. भगवान् बुद्ध के उपदेशों से हर्षित व्यक्तियों द्वारा अभिनन्दक वचनों के रूप में अद्भुत आश्चर्य, कौतुक या चमत्कारसूचक निपा. - अच्छरिय, भन्ते अब्भुतं, भन्ते, याव परिसुद्धो, भन्ते तथागतस्स छविवण्णो परियोदातो, दी. नि. अट्ठ. 2. 101; अच्छरियं, भन्ते, नागसेन, बुद्धानं, अब्भुतं, भन्ते, नागसेन, बुद्धानं .... मि. प. 125; - यमुत-सुत्त नपुं.. म. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, म. नि. 3.161-66; - कथा स्त्री., सा.
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