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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अहहा 726 अहिंसक अहहा निपा., अ. [अहहा], शोक, खेद, आश्चर्य, दया एवं तरस आदि का सूचक, अरे, हाय-हाय, ओहो हो, उफ - अहहा बाललपना, परिवज्जेथ जग्गतो ति, जा. अट्ठ. 3.397; तत्थ अहहाति संवेगदीपनं तदे... अहापयन्त त्रि., सहा (त्यागदेना) के प्रेर. के वर्त. कृ. का निषे. [अहापयत्], बरबाद न करता हुआ, नहीं छोड़ता हुआ, उपेक्षा या तिरस्कार न करता हुआ - यं पु., प्र. वि., ए. व. - ओवादकारी भतपोसी, कुलवंसं अहापयं, अ. नि. 2(1).39. अहापितग्गि त्रि., ब. स. [अहाविताग्नि], अग्नि में आहुतियां न डालने वाला, अग्नि को प्रज्वलित न करने वाला - अभिन्नकट्ठोसि अनाभतोदको, अहापितग्गीसि असिद्धभोजनो, जा. अट्ठ. 5.192. अहापेत्वा हा (त्याग देना) के प्रेर. के पू. का. कृ. का निषे.. किसी भी चीज को नहीं छोड़कर - पुढो खो पन पहाभिनीतो अहापेत्वा अलम्बित्वा परिपूर वित्थारेन ... होति, अ. नि. 1(2).89; अहापेत्वा ... अपरिहीनं... कत्वा, अ. नि. अट्ठ. 2.311 अहारिय त्रि., Vहर (ले जाना) के सं. कृ. का निषे. [अहार्य], दूर न ले जाए जाने योग्य, हरण नहीं किए जाने योग्य, नहीं चुराने या लूटने योग्य - किंसु नरानं रतनं, किंसु चोरेह्यहारियान्ति, स. नि. 1(1).42. अहारियरजमत्तिक त्रि., ब. स. [अहार्यरजमृत्तिक], वह, जिसके द्वारा राग की धूल और मिट्टी न हटाई जा सके - के पु., सप्त. वि., ए. व. - रहदेहमस्मि ओगाळहो, अहारियरजमत्तिके, थेरगा. 759; - को पु.. प्र. वि., ए. व. - अहारियरजमत्तिकति अपनेतुं असक्कुणेय्यो रागादिरजो मत्तिका कद्दमो एतस्साति अहारियरजमत्तिको, रहदो .... थेरगा. अट्ठ. 243. अहारी त्रि., हारी का निषे. [अहारिन, बाहर की ओर न ले जाने वाला, बाहर की ओर न निकालने वाला - एको उदकमणिको अच्छिद्दो अहारी अपरिहारी, स. नि. 2(2).302; अहारी अपरिहारीति उदकं न हरति न परिहरति, न परियादियतीति अत्थो, स. नि. अट्ठ. 3.142. अहालिद्द त्रि., हालिद्द का निषे. [अहारिद्र], शा. अ. हल्दी की तरह हल्के रंग से नहीं रंगा हुआ, ला. अ. स्थिर, क्षणक्षण में रंग न बदलने वाला - यस्स चित्तं अहालिदं, जा. अट्ठ. 3.76; यस्स पुग्गलस्स चित्तं अहालिदं हलिदिरागो विय खिप्पं न विरज्जति, थिरमेव होति, तदे.. अहास पु., हास का निषे., तत्पु. स. [अहास], अत्यधिक खुशी में न फूल जाना, नहीं इठलाना - सो प्र. वि., ए. व. - अहासो अत्थलाभेसु. जा. अट्ठ. 3.411; अहासो अत्थलाभेसूति महन्ते इस्सरिये उप्पन्ने अप्पमादवसेन अहासो अनुप्पिलावितत्तं ततियं साध. तदे.. अहासधम्म पु., हासधम्म का निषे., तत्पु. स. [अहासधर्म]. मौजमस्ती या आनन्द का अभाव - उदके अहसधम्मे अहसधम्मसी , अनापत्ति, पाचि. 152. अहासि हर (ले जाना, छीन लेना) के अद्य, का प्र. पु., ए. व., उसने छीन लिया, चुरा लिया, लूट लिया - अक्कोच्छि म अवधि में, अजिनि मं अहासि मे, ध. प. 4; अहासि मेति मम सन्तकं पत्तादीसु किञ्चिदेव अवहरि ध. प. अट्ठ. 1.29; पनुण्णकोधो..... यो ब्राह्मणो सोकमलं अहासि, सु. नि. 473-- 74. अहि' अस (होना) के अनु. का म. पु., ए. व., तुम हो, अस्थि के अन्त. द्रष्ट. (ऊपर).. अहि पु.. [अहि], सांप, सर्प-प्रजाति के अन्तर्गत आने वाला अजगर, नाग आदि -- हि प्र. वि., ए. व. - आसीविसो भुजङ्गो हि भुजगो च भुजङ्गमो, अभि. प. 653; अपदानं अहि मच्छा... तत्थ अहिग्गहणेन सब्बापि अजगरगोनसादिभेदा दीघजाति सङ्गहिता, पारा. अट्ठ. 1.206; - हिं द्वि. वि., ए. व. - अहिं कीळापेन्तो बाराणसियं ... विचरि जा. अट्ठ. 3.171; - ना तृ. वि., ए. व. - तेन खो पन समयेन अञ्जतरो भिक्खु अहिना दट्ठो होति, महाव. 282; - स्स ष. वि., ए. व. - अहिस्स कुणपं अहिकुणपं. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).159. अहिंसक' त्रि., [अहिंसक]. हिंसा न करने वाला, दूसरे प्राणियों को उत्पीड़ित न करने वाला - को पु., प्र. वि., ए. व. - स वे अहिंसको होति, यो परं न विहिंसती ति, स. नि. 1(1).192; तत्थ अहिंसकोति अहं कस्सचि अहिंसको सीलाचारसम्पन्नो, जा. अट्ठ. 4.405; - का ब. व. - अहिंसका अतीतंसे, छ सत्थारो यसस्सिनो, अ. नि. 2(2).83; अहिंसका अतीतंसेति एते छ सत्थारो अतीतसे अहिंसका अहेसु. अ. नि. अट्ठ. 3.124. अहिंसक पु., 1. अंगुलिमाल का मूल नाम, श्रावस्ती के राजपुरोहित भार्गव का पुत्र, जन्म होते ही राजा का चित्त बेचैन हो गया, अतः इसका नाम हिंसक हुआ, पीछे यही नाम अहिंसक में बदल गया - तस्स नामं करोन्ता यस्मा जायमानो ख्यो चित्तं विहेसेन्तो जातो, तस्मा हिंसकोति For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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