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अमन्तरे
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अब्माचिक्खति
अब्मन्तरे अ., क्रि. वि., अब्भन्तर (1) का सप्त. वि., प्रतिरू निपा., क. अन्दर में, भीतर में, चित्त के अन्दर, हृदय में - अब्भन्तरे वातो जीवो... निक्खमति च, मि. प. 27; 244; अब्भन्तरे अत्ता नाम ... नत्थि. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).272; अब्भन्तरे रागादीनं उपसन्तताय, ध. प. अट्ठ. 2; ख. प. वि. में अन्त होने वाले नाम के पश्चात् प्रयुक्त, बीच में, के साथ, में से एक - तरसेवं... आतिसङ्घस्स अब्भन्तरे अयं तथा उदपादि, जा. अट्ट. 1.68; अभिक्खुके ..... भिक्खुनुपस्सयतो अड्डयोजनअन्तरे ओवाददायका .. न वसन्ति, पाचि. अट्ठ. 51; तस्सा पुब्बे ... पविट्ठमत्ताय उम्भारमन्तरे सकलसरीरं उग्घाटितवच्चकुटि विय दुग्गन्धं जातं, अ. नि. अट्ठ. 1.134. अब्माकुटिक/अभाकुटिक त्रि., भाकुटिक का निषे. [अभ्राकुटिक], भौंहे नहीं तानने वाला, अहंकार-रहित, दर्परहित, विनम्र - को पु.. प्र. वि., ए. व. - गोतमो एहिस्वागतवादी सखिलो सम्मोदको अभाकुटिको उत्तानमुखो पुब्बभासी, दी. नि. 1.102; अब्भाकुटिकोति यथा एकच्चे परिसं पत्वा थद्धमुखा सटितमुखा होन्ति, न एदिसो, परिसदस्सनेन ... होति, दी. नि. अनु. 1.231; समणो किर गोतमो अन्भाकुटिको उत्तानमुखो सुखसम्भासो पटिसन्थारकुसलो, ध. प. अट्ठ. 2.286; - का पु.. प्र. वि०, ब. व. - अम्हाक... सण्हा... एहिस्वागतवादिनो अब्भाकुटिका उत्तानमुखा पुब्बभासिनो, पारा. 282; अब्भाकुटिका ति इमिना । भाकुटिकभाकुटिकाकारस्स अभावो दस्सितो, पारा. अठ्ठ. 2. 187. अब्मागत त्रि.. अभि + आ + गम का भू. क. कृ. [अभ्यागत]. शा. अ. अपनी ओर आया हुआ, ला. अ. अतिथि, आगन्तुक - ता पु.. प्र. वि. ब. व. - ... निक्खन्ता अभागता, सब्बेपि ते तं... भोजनं न लभिंसु. मि. प. 155%; - ते पु., द्वि. वि., ब. व. - ते... पूजेस्साम अभागते च आसनोदकेन पटिपूजेस्सामाति, अ.नि. 2(1).33; अभागतेति अत्तनो सन्तिकं आगते, अ. नि. अट्ठ. 1.18; - तानं पु., ष. वि., ब. व. - समण ब्राह्मणानं पन अभागतानं आसनं दत्वा पादधोवनञ्च दातब्बं, अ. नि. अट्ट, 1.19; अहं मनुस्सेसु मनुस्सभूता, अब्भागतानासनकं अदासिं. वि. व. 5; अभागतानन्ति अभिआगतानं, सम्पत्तआगन्तुकानन्ति अत्थो, वि. व. अट्ठ. 18. अमागमन नपुं.. अभि + आ + गम से व्यु., क्रि. ना. [अभ्यागमन], शा. अ. अपनी ओर किसी का आना, आ
पहुंचना, आगमन - नं प्र. वि., ए. व. - कच्चित्थ, भोन्तो कुसलं अनामयं, चिरस्समभागमनम्हि इधाति, जा. अट्ट. 3.466; चिरस्समभागमनन्हि वो इधाति अज्ज तुम्हाक इध अभागमनञ्च चिरं जातं तदे.; भिक्खुसङ्घस्स अब्भागमनं आरोचेसी'ति, अ. नि. 2(2).208; ला. अ. मैथुन-कर्म हेतु सम्पर्क - परिसस्स वा अभागमनं सादियेय्य, पाचि. 297. अब्माघातनिस्सित त्रि., अभि + आ + Vहन से व्यु.. अभाघात + निस्सित का तत्पु. स. [अभ्याघातनिःश्रित], वघस्थल में स्थित - तं नपुं. प्र. वि., ए. व. - पुब्बण्णनिस्सितं वा होति, अपरण्णनिस्सितं वा होति, अब्भाघातनिस्सितं वा होति, पारा. 231; एत्थ पन अभाघातन्ति कारणाघरं, वेरिघर पारा. अट्ठ.2.141. अब्माचिक्खति अभि + आ + चिक्ख का वर्त.. प्र. वि., ए. व. [अभ्याचष्टे], आरोप लगाता है, किसी बात को अनुचित रूप में प्रस्तुत करता है - अत्तनादुग्गहितेन अम्हे येव अभाचिक्खति, पारा. अट्ठ. 1.20; अमचिक्खतीति अम्हाकञ्च अब्भाचिक्खनं करोति, पारा. टी. 1.80; - सि म. पु., ब. व. - अत्तना दुग्गहितेन अम्हे चेव अब्माचिक्खसि, म. नि. 1.185; - क्खामि उ. पु., ए. व. - न च भगवन्तं अभूतेन अभाचिक्खामि, म. नि. 3.179; -न्ति प्र. पु.. ब. व. - न च भवन्तं गोतमं अभूतेन अब्भाचिक्खन्ति, धम्मस्स चानुधम्म ब्याकरोन्ति, दी. नि. 1.146; एवंवादिं खो में ... एके समणब्राह्मणा असता तुच्छा मुसा अभूतेन अब्भाचिक्खन्ति, दी. नि. 3.25; अभाचिक्खन्तीति अभिआचिक्खन्ति, दी. नि. अट्ठ. 3.13; - न्तो पु., वर्त. कृ., प्र. वि., ए. व., दोषारोपण करने वाला - तत्थ अभूतवादीति... मुसावादं कत्वा तुच्छेन परं अभाचिक्खन्तो, ध. प. अट्ठ. 2.272; - न्ता उपरिवत्, ब. स. - न च ... भगवन्तं ... अभूतेन अभाचिक्खन्ता, महाव. 314; - क्खे य्याथ विधि., म. पु., ब. व. - न च भगवन्तं अभूतेन अब्भाचिक्खेय्याथ. स. नि. 2(1).6; - क्खेय्याम विधि., उ. पु., ब. व. - न च भगवन्तं अभूतेन अभाचिक्खेय्याम, म. नि. 2.158; - क्खन्तेसु पु., वर्त. कृ., सप्त. वि., ब. व. - यस्मा इमे... फरुसाहि वाचाहि अभाचिक्खन्तेसुपि... दस्सेन्ति, उदा. अट्ठ. 211; - क्खि अद्य., प्र. पु.. ए. व. - ..., अभाचिक्खि अभूतेन, उदा. अट्ठ. 214; - क्खिं अद्य.. उ. पु., ए. व. - पच्चेकबुद्धं सुरभिं, अब्भाचिक्खिं अदूसक, अप. 1.328; - क्खितो पु., भू. क. कृ., प्र. वि., ए. व. - अयञ्च मे अभूतेन अभाचिक्खितो, ध. प. अट्ठ. 2.66.
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