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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपालम्ब 398 अपि नच्चेन्ता अपारुतघरा मजे विहरिस्सन्तीति, दी. नि.. 1.120; अपारुतघराति चोरानं अभावेन द्वारानि असंवरित्वा विवटद्वाराति अत्थो, दी. नि. अट्ट, 1.239; - द्वार त्रि., उपरिवत् - ... अपारुतद्वारे निवेसने ... गच्छथ, जा. अट्ठ. 1.255-56. अपालम्ब पु., अप + आ + Vलम्ब से व्यु. [अपालम्ब], आलम्बन, सहारा, पकड़ने का सहारा, रथ पर लकड़ी से बनी हुई वे पट्टिकाएं, जिनका सहारा लेकर लोग रथ पर बैठते हैं - हिरी तस्स अपालम्बो, सत्यस्स परिवारणं स. नि. 1(1).37; तस्स अपालम्बोति यथा बाहिरकरथस्स रथे ठितानं योधानं अपतनत्थाय दारुमयं अपालम्बनं होति, दी. नि. अट्ठ. 1.79; बाहु सच्चमपालम्बोति अत्थसन्निस्सितबहस्सुतभावमयेन अपालम्बेन समन्नागतो, जा. अट्ठ. 7.143; बाहुसच्चमपालम्बो, ठितचित्तमपाधियो, जा. अट्ठ. 7.142. अपालम्बन नपुं., उपरिवत् - तरस अपालम्बोति ... दारुमयं अपालम्बनं होति, एवं इमस्स ... हिरोत्तप्पं अपालम्बनं, स. नि. अट्ठ. 1.79. अपालयु पाल का अद्य.. प्र. पु.. ब. व., पालन किए, रक्षा की- सज्झायधनधासु, ब्रह्म निधिमपालयु, सु. नि. 287. अपाळिनयत्त नपुं, अपाळिनय का भाव., त्रिपिटक में निर्धारित नीतियों के विपरीत मार्ग का रहना, बुद्धवचनों से विपरीत पद्धति का होना - अपाळिनयत्ता, अभिरूपाय का देय्याति अयं हि सद्दसत्थतो आगतो नयो, सद्द. 1.130-31. अपासाणसक्खरिक त्रि., पासाणसक्खरिक का निषे., ब. स. [अपाषाणशर्करिक], कंकड़ों एवं पत्थरों से रहित (खेत) - खेत्तं अनुन्नामानिन्नामि च होति, अपासाणसक्खरिकञ्च होति, अ. नि. 3(1).70. अपासादिक त्रि., पासादिक का निषे. [अप्रासादिक]. असन्तोषजनक, मन में प्रसन्नता न लाने वाला, मन को न खिला देने वाला - ..., आदिनवा अपासादिके, अ. नि. 2(1),235; सत्तमे अपासादिकति अपासादिकेहि कायकम्मादीहि समन्नागते, अ. नि. अट्ठ. 3.82. अपासि ।पा के अद्य. का प्र. पु., ए. व., पिवति के अन्त. द्रष्ट.. अपाहत/अपहत त्रि., अप + आ + Vहर का भू. क. कृ. [अपहृत], शा. अ. दूर कर दिया गया, विनाशित, ला. अ. तार्किक दोषों के आधार पर निराकृत या खण्डित, अस्वीकृत, तिरस्कृत - यमस्स वादं परिहीनमाहु, अपाहतं पहविमंसकासे, सु. नि. 833; तत्थ परिहीनमाह अपाहतन्ति अत्थब्यञ्जनादितो अपाहतं परिहीनं वदन्ति, सु. नि. अट्ठ. 2.233; अपाहतस्मिं पन मङ्क होति, निन्दाय सो कुप्पति रन्धमेसी, सु. नि. 832; अपाहतस्मिन्ति पञ्चवीमंसकेहि अत्थापगतं ते भणित, सु. नि. अट्ठ. 2.233. अपाहाय/अवहाय अप + आ + vहा का पू. का. कृ. [अपहाय], छोड़ कर, त्याग करके - उजुमग्गं अवहाय, कुम्मग्गमनुधावति, जा. अट्ठ. 7.121. अपि' अ., निपा., स्वरों से पूर्व अप, अप्य अथवा अप्प रूप में प्राप्त, कहीं कहीं 'पि' अथवा 'प' रूप में भी प्राप्त [अपि]. सम्भावना, अपेक्षा, प्रश्न, समुच्चय, गर्हा या निन्दा, आशङ्का या शङ्का तथा संवरण आदि अर्थों का सूचक - अपि सम्भावनापेक्खा पऽहं समुच्चयेसु च, गरहादिसु च अत्थेसु वत्तती ति पकासये, ... अपि महाकं पण्डितका ति, सद्द. 3.884; सम्भावने च गरहापेक्खासु च समुच्चये पन्हे सञ्चरणे चेव आसंसत्थे अपीरितं, अभि. प. 1183; 1. संभावना के अर्थ में- अपि दिब्बेसु कामेस, रतिं सो नाधिगच्छति, ध. प. 188; मेरुञ्चपि विनिविज्झित्वा गच्छेय्य, सद्द. 3.884; 2. उपेक्षा अर्थ में - अयम्पि धम्मो अनियतो ति, पारा. 297; 3. समुच्चय अर्थ में - अन्तम्पि अन्तगुणम्पि आदाय अधोभागा निक्खमति, म. नि. 3.224; उपरिअत्थं उपादाय सम्पिण्डनत्थो पिकारो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).261; 4. गर्हा या निन्दा के अर्थ में - अपि महाकं पण्डितकाति, सद्द. 3.884; 5. प्रश्न का संसूचक - अपि किञ्चि लभित्थाति, पारा, अट्ठ. 1.28-29; पालि-साहित्य में 'अपि' एवं 'पि' के कुछ विशिष्ट प्रयोग - 1. आरम्भ में या आदि में प्रयुक्त; क. भी, में भी, और भी - अपि दिब्बेसु कामेस, रतिं सो नाधिगच्छति,ध. प. 187; अपि अतरमानानं, फलासाव समिज्झति, जा. अट्ट, 1.141; अपि अग्गिं पविसिस्सामि, नेवत्तना एकवारं जहितविसं पच्चाहरिस्सामीति ..... जा. अट्ठ. 1.298; ख. संभावनार्थक निपा., प्रायः वर्त. अथवा विधि. के क्रि. रु. के साथ प्रयुक्त; संभवतः, शायद, हो सकता है कि - अपेत्थ मुदं विन्देम, अपि अस्सादना सिया, सु. नि. 449; तदाहं सुखितो मुत्तो, अपि पस्सेय्य मातरन्ति, ... अपि नाम मातरं पस्सेय्यन्ति, जा. अट्ठ. 3.239; ग. पर्यालोचन या विमर्श का सङ्केतक - अपाहं बुद्ध पच्चक्खेय्यन्ति वदति, पारा 27; अपाहं सियन्ति होति. अपाहं इत्थं सियन्ति होति, अपाहं एवं सियन्ति होति, अपाह अञथा सियन्ति होति, विभ. 460; घ. पूर्वकथन से For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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