SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 371
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अन्तोवळञ्ज अन्तोवळञ्ज पु.. कर्म. स. भीतर वाला आवास, आवास का भीतरी भाग बोधिसतो चिन्तेसि इदं पिळन्धन अन्तोदकज्जे — www.kobatirth.org — ... 344 नद्व जा. अट्ठ. 1.368. अन्तोवळञ्जनक त्रि आवास के भीतरी भाग में निवास करने वाला - सब्बे अन्तोवलञ्जनके मनुस्से गहेत्वा चूळामणिं आहरापेथाति जा. अड. 1. 366: अमच्चा मातुगामे उपादाय अन्तोवलञ्जनके किलमेन्ति जा. अड्ड. 1.366; तस्मा अन्तोवळञ्जनकानम्पि तं गत्वा पलायितुं न सक्का, एवं नेव बहिवळञ्जनकानं, न अन्तो, उय्याने वळञ्जनकानं गहणूपायो दिस्सति जा. अड. 1.368. अन्तोवसनक त्रि. भीतर निवास करने वाला, चित्त में विद्यमान - अनन्तेवासिकन्ति अन्तोवसनककिलेसविरहित, स. नि. अड. 3.46. अन्तोवस्स नपुं. अव्ययी, स. वर्षा ऋतु के भीतर आने वाला काल, वर्षा ऋतु - इदानि कित्तकं अन्तोवस्सं अवसिद्वेन्ति, वि. व. अट्ठ० 52; भिक्खुनियो अन्तोवस्सं चारिक चरन्ति पाथि 405 चरमानो ततो तिंसयोजनिके ठाने खदिरवनं गन्त्वा अन्तोवरसेयेव तेमासान्तरे सह पटिसम्भिदाहि अरहतं पापुणि घ. प. अट्ट. 1.355: दिस्वा च पन उपकट्टे अन्तोवस्से आकासेन गन्त्वा गामद्वारे ओतरि, घ. प. अ. 2.356 भाव पु. वर्षा ऋतु के काल का होना, वर्षावास की कालावधि का होना ते अन्तोवरसभावेन सत्थु सन्तिकं गन्तुं अविसहन्ता ध. प. अट्ठ. 1.36. अन्तोविहाराभिमुख त्रि. ब. स. बिहार के भीतर की ओर अभिमुख या अग्रसर अयं सा यक्खिनीति, अयं सा यक्खिनीति, ... सण्ठातुं असक्कोन्ती नियत्तेत्वा अन्तोविहाराभिमुखी पक्खन्दि, ध. प. अट्ठ. 1.32. " अन्तोस पु, कर्म, स. शा. अ. आन्तरिक सङ्कोच, ला. अ. मन की शिथिलता, मन में उत्साह एवं पराक्रम का अभाव अनातापिनो अन्तोसङ्क्षेपो अन्तरायकरो होति, दी. नि. अड. 2.313: म. नि. अड. (म.प.) 1 ( 1 ).254 अन्तो सङ्गेपो अन्तोओलीयनो, कोसज्जन्ति अत्थो, लीन. (दी. नि. टी.) 2.273. अन्तोसमोरोध पु. [अन्तस्समवरोध ] आन्तरिक रुकावट, मानसिक अवरोध, मानसिक निष्क्रियता या शिथिलता, चित्तवृत्तियों की शिथिलता मिाति... ओनाहो परियोनाहो अन्तोसमोरोधो मिद्धं सुप्पं पचलायिका सुप्पं सुप्पना सुष्पिततं महानि. 314; अब्भन्तरे समोरुन्धतीति अन्तोसमोरोधो, महानि. अड. 352. . अन्दु / अन्दू अन्तोसल्ल त्रि. ब. स. [अन्तःशल्य ] शा. अ. वह जिसके अन्दर बाण का नुकीला किनारा चुभा हुआ हो, ला . अ. वह चित्त, जिसे राग, द्वेष आदि के सात प्रकार के शल्य या बाण बेध रहे हों अन्तोसल्लं सुसिरगतं भेराज्जेन अनुलिम्पति परिपच्चनाय, मि. प. 120. - अन्तोसाणितो अ०, प० वि०, प्रतिरू, निपा., पर्दे के अन्दर से बोधिसत्तं परिवारेत्वा निसिन्ना धातियो रञ सम्पत्तिं परिसस्सामा ति अन्तोसाणितो बहि निक्खन्ता, जा० अट्ठ 1.68. अन्तोसार त्रि. [अन्तःसार] क. शा. अ. भीतर में सारतत्त्व रखने वाला तिणा लतानि ओसझोति अन्तो फेग्गुबहिसारतिणानि च लतानि च अन्तोसारओसधियो च, जा. अड्ड. 5.88; ख. ला. अ. आन्तरिक गुणों से परिपूर्ण - न कण्हो तचसा होति, अन्तोसारो हि ब्राह्मणो, जा. अह 4.9; अन्तोसारोति अमन्तरे सीलसमाधिपञाविमुत्ति समन्नागतो. तदे.. अन्तोसीमगत त्रि, तत्पु. स. [सीमान्तर्गत], संघकर्म उपोसथ आदि के लिए निर्धारित सीमा के अन्दर विद्यमान यावतिका भिक्खू अन्तोसीमगता तेहि भाजेतब्ब, महाव. 404; तथ सीमाय देतीति अन्तोसीमं गतेहि तु विन. वि. 2728 अन्तोसुद्ध त्रि. [ अन्तः शुद्ध], आन्तरिक रूप से विशुद्ध, विशुद्ध चित्त वाला अन्तोसुद्ध बहिसुद्ध अधिमुत्तमनासवं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अप. 1.107. अन्तोसोक पु०, कर्म. स. [ अन्तःशोक ], भीतरी शोक, आन्तरिक शोक... सोको सोचना सोचितत्तं अन्तोसोको अन्तोपरिसोको अयं ...,.दी. नि. 2.228; म. नि. 3.299; पटि. म. 33; विभ. 113. अदबन्धन अर्थ वाली एक धातु - अदि बन्धने, सद्द 2.377. - अन्दति अन्द का वर्त. प्र. पु. ए. व. बांधता है अन्दति अन्द्र सद्द. 2.377. अन्दु पु०, व्य. सं., श्रीलङ्का के एक प्राचीन ग्राम का नाम अन्दूति विस्सुतं मन्दपओ गाम पुरन्तिके, . 59.5. अन्दु / अन्दू स्त्री॰ [अन्दू], हाथों अथवा पैरों को बांधने वाली बेड़ी या हथकड़ी अन्दुराहो पन एत्थ इत्थिलिङ्गो गहेतब्बो पालियं इत्थिलिप्रयोगदरसनतो, सद. 2377: सो ओरिमतीरे दळहाय अन्दुया पच्छावाहं गाळहबन्धनबद्धो, सद्द. 3.377; दी. नि. 1.222; अप्पेकच्चे रज्जूहि अपेकच्चे अब्रूहि अप्पेकच्चे सङ्घलिकाहि, स. नि. 1 ( 1 ).93; अन्दूबन्धनसङ्घातं दारुज, पञ्च रज्जुबन्धनं ध. प. अट्ठ. 2.311. For Private and Personal Use Only ... -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy