________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अकाच
अकाल
वाला - निकामलाभी होति अकिच्छलाभी अकसिरलाभी, म. नि. 2.19; दिट्ठधम्मसुखविहारानं निकामलाभी... अकसिरलाभी. अ. नि. 2(1).125. अकाच त्रि., निषे०, ब. स. [अकाच], कलङ्करहित, निर्मल - अयं मणि वेळुरियो, अकाचो विमलो सुभो, जा. अट्ठ. 2.344; सुद्धो निदोसो विमलो अकाचो, सु. नि. 480. अकाची त्रि., [अकाचिन्], पवित्र, निर्दोष - अकाचिनन्ति निदोसं... वि. व. अट्ठ. 212. अकातून निपा., कर के पू. का. कृ. का निषे. [अकृत्वा]. न करके - अकातून पुञ्ज किलमिस्सन्ति सत्ता, क. व्या. 566. अकापुरिससेवित त्रि., तत्पु. स. [अकापुरुष-सेवित], दुष्ट मनुष्यों के द्वारा असेवित, सज्जनों द्वारा सेवित - ब्रह्मविहारं भावेमि, अकापुरिससेवितं, थेरगा. 649; पटिविझिं पदं सन्तं, अकापुरिससेवितं, थेरीगा. 189. अकाम त्रि., ब. स. [अकाम], राग, प्रेम या कामनाओं से मुक्त, अनभिलाषी, राग से अप्रभावित - ओघातिगं पुदमकाममागम, सु. नि. 1102; जेट्ठस्स च भातुनो अकामरस ...., जा. अट्ठ, 5.176; - क त्रि., निषे. ब. स., कामनारहित, प्रबल इच्छा से मुक्त - मरणेनपि ते मयं अकामका विना भविस्साम, म. नि. 2.256; तात, त्वं किर अम्हे अकामके पहाय पब्बजामी ति वदसि, जा. अट्ठ. 5.176; - करणीय त्रि., कर्म. स., बिना कामना के ही किया जाने वाला - अकामकरणीयम्हि, विवध पापेन लिप्पति, जा. अट्ठ. 5.225; न हि, भन्ते, अकामकरणीया... मातापितूनं मि. प. 226; - कामी त्रि., कामनाओं अथवा तृष्णा से मुक्त - सुत्वानहं वीरमकामकामि सु. नि. 1102; - ता स्त्री., भाव. [अकामता], स्वतः, अन्तः-स्फूर्त, अनचाहापन, अपने-आप, अपरिहार्य रूप से - यथा पन पक्के गण्डे गण्डभेदेन पुब्बलोहितं अकामताय निक्खमति, म. नि. अट्ठ. 1.278; - रूप त्रि., अनिच्छु, अनभिलाषी, निराकांक्षी- अजे अकामरूपा नाम नत्थि , जा. अट्ठ. 4.30. अकामा निपा., अ., क्रि. वि. [अकामं], किसी की इच्छा के विरुद्ध, अनिच्छा से, अनजाने या मनमाने रूप से - अकामा अकरणीयं वा, करणीयं वापि कुब्बति, जा. अट्ठ. 5.225; यंवदा तक्करा रओ, अकामा पियभाणिनो, जा. अट्ठ. 6.226; अकामा भागं नो ददे, चूळव. 313. अकामित त्रि., निषे. स., जो प्रिय न हो, अप्रिय, अवांछित - अकन्तन्ति अकामितं, निस्सिरिकं वा, विभ. अट्ठ. 8.
अकार पु., [अकार], नागरी वर्णमाला का प्रथम स्वर अक्षर, किसी वर्ण या अक्षर के बाद में उच्चारण की सुविधा के लिए 'कार' प्रत्यय जोड़ा जाता है, अकार कहने से अ-वर्ण (अ एवं आ) का बोध होता है - अ कारो निपातमत्तो, जा. अट्ठ. 1.480; अकारो निपातमत्तं, स. नि. अट्ठ. 1.164. अकारक त्रि., 1. निषे., तत्पु. स. [अकारक], वह, जिसने कुछ भी नहीं किया या जिसने कोई गलत काम नहीं किया है, निर्दोष - ... किं सम्म कारकोसी ति पुच्छित्वा अकारकोम्ही ति वुत्ते अत्तनो मनोपदोसं रक्खितुं सक्खि, नासक्खी ति पुच्छि , जा. अट्ठ. 4.27; मि. प. 180; ध. प. अट्ठ. 2.16; 2. वह, जिसने शोभन कार्य नहीं किया है, अयोग्य, निकम्मा - अहं खो, भन्ते, भिक्खूनं अकारको, तेन में भिक्खू न उपद्वेन्तीति, महाव. 393. अकारण' त्रि., निषे., ब. स. [अकारण], कारणरहित, स्वतःस्फूर्त - नत्थि बुद्धानं... अकारणमहेतुकं गिरमुदीरणं, मि. प. 146. अकारण क. नपुं.. [अकारण], कारण का अभाव, ख. क्रि. वि., बिना कारण के, अप्रत्याशित रूप में, व्यर्थ - किं इम अकारणेन नासेमि, जा. अट्ठ. 1.405; अयं ब्राह्मणो न अकारणेन इमं ब्रहारचं आगतो, जा. अट्ठ. 7.312. अकारण नपुं., अनैतिक कार्य, अनर्थ से भरे हिंसा आदि दुष्कर्म - अनयं नयतीति अकारणं कारणन्ति गण्हाति, जा. अट्ठ 4.217. अकारण' नपुं.. असंभव स्थल, अनुपयुक्त विषय - अट्ठानं तं,
अकारणं तन्ति वुत्तं होति, सु. नि. अट्ठ. 1.83. अकारितपुब्ब त्रि., [अकारितपूर्व], पूर्व काल में नहीं किया गया - यथा तं अकारितपुब्बं कारणं कारियमानस्स, म. नि. 2.118. अकारिय त्रि., निषे., तत्पु. स. [अकार्य], न करने योग्य, अकरणीय - वितिण्णपरलोकस्स, नत्थि पापं अकारियं ध. प. 176; इतिवु. 15. अकारुञता स्त्री., निषे., भाव. [अकारुण्यता], निष्ठुरता, कठोरता, असौम्यता - तेन हि तस्स अकारुञ्जता सम्भवति, मि. प. 199. अकाल पु., निषे०, तत्पु. स. [अकाल], अनुपयुक्त समय, असमय - राजा थेरस्स पत्तं गाहापेत्वा भत्तस्स अकालो ति पत्तपूरं चतुमधुरं दापेसि. जा. अट्ठ. 1.231; कालं वा अकालं वा एस कुक्कुटो न जानाति, जा. अट्ठ. 1.418; अकालो, भो, अयं रो दस्सनाय, मि. प. 154; अकालो खो ताव
For Private and Personal Use Only