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अनुस्सरति
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अनुस्सरति बहूपकारं वदामि, अनुस्सरणम्पह, भिक्खवे, तेसं भिक्खूनं अससुकानि, सु. नि. 696; अनुस्सरन्तो सम्बुद्ध, अग्गं दन्तं बहूपकारं वदामि ..., इतिवु. 76; अनुस्सरणन्ति समाहितं, थेरगा. 354; - रन्तिया स्त्री., वर्त. कृ., ष. वि., रत्तिट्ठानदिवाट्टानेसु निसिन्नस्स इदानि अरिया ... ए. व., अनुस्मरण कर रही स्त्री - तस्सा इदं सत्वा लाभा दिब्बविहारादिगुणविसेसारम्मणं अनुस्सरणं इतिवु. अठ्ठ. 288; वत मेति अनस्सरन्तिया बलवपीतिसोमनस्सं उदपादि, उदा. .... तस्स सो चित्तप्पसादोपि तं अनुस्सरणमत्तम्पि महप्फलं अट्ठ. 329; - रमानो वर्त. कृ., आत्मने, पु., प्र. वि., ए. महानिससमेव होति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).169; स. उ... व., अनुस्मरण कर रहा - सो तमनुस्सरमानो अरञगतोपि प. के रूप में गुणानु, पुब्बेनिवासानु के अन्त. द्रष्ट.; - रुक्खमूलगतोपि सुआगारगतोपि अभिक्खणं उदानं उदानेसि, नय पु., तत्पु. स. [अनुस्मरणनय], बीती बातों को स्मरण उदा. 89;- रियमान वर्त. कृ., कर्म. वा., अनुस्मरण किया करने की पद्धति या तरीका - तत्रायं अनुस्सरणनयो ..., जा रहा - अनुस्सरियमानसुखतो च सारणीयं म. नि. अट्ठ. विसुद्धि. 1.190; - वत्थु नपुं, तत्पु. स. [अनुस्मरणवस्तु]. (मू.प.) 1(2).117; - स्सर अनु., म. पु., ए. व. [अनुस्मर], अनुस्मरण का विषय, वह वस्तु या व्यक्ति, जिसका स्मरण स्मरण करो- सब्बं अनुस्सरेवं ते सुखं सज्जु भविस्सति, म. बाद में किया जा रहा है- एवं भगवा पेतानं दक्खिणानिय्यातने वं. 23; - रथ ब. व. [अनुस्मरत], अनुस्मरण करें - ... कारणभूतानि अनुस्सरणवत्थूनि दस्सेन्तो, खु. पा. अट्ट. तिण्णं रतनानं गुणे अनुस्सरथा ति..., जा. अट्ठ. 2.121; - 170; यस्मा तेसं इमानि अनुसरणवत्थूनि अनुस्सरन्तो कुलपुत्तो स्सरे विधि., प्र. पु., ए. व. [अनुस्मरेत्], अनुस्मरण करना दक्खिणं दज्जाति दस्सेन्तो, पे. व. अट्ठ. 25; - समता चाहिए - अत्थं धम्म संयमं ब्रह्मचरियं, अनुस्सरे चेव समाचरे स्त्री., तत्पु. स. [अनुस्मरणसमता], अनुस्मरण की समानता च, सु. नि. 328; - रेय्य उपरिवत् - अनुस्सरेय्य सम्बुद्ध या एकरूपता - परिनिब्बानसमताय समापत्तिसमताय धम्मञ्चानुवितक्कये, अ. नि. 2(1).198; - रेय्यासि म. पु., अनुस्सरणसमताय च, उदा. अट्ठ. 328; 329; - ए. व., तुम अनुस्मरण करोगे - इध त्वं, महानाम, तथागतं णानिसंसगाथा स्त्री., सद्धम्मो के अट्ठारवें खण्ड का । अनुस्सरेय्यासि - इतिपि ... विज्जाचरणसम्पन्नो ... शीर्षक, सद्धम्मो. 580-587.
देवमनुस्सानं बुद्धो भगवा'ति, अ. नि. 3(2).296; - रेय्यं उ. अनुस्सरति अनु +/सर का वर्त., प्र. पु.. ए. व. [अनुस्मरति], पु., ए. व., मैंने अनुस्मरण किया - अनेकविहितं पुब्बेनिवास बार-बार स्मरण करता हे, पूर्ववर्ती जन्मों या पूर्व काल की अनुस्सरेय्यं, म. नि. 1.44; - रि प्र. पु., ए.व., उसने बातों का मन में स्मरण करता है, मन में बीती बातों को अनुस्मरण किया- मयि एवं सरन्तम्हि, भगवापि अनुस्सरि, लाता है या धारण करता है, पूर्व में घटित घटनाओं आदि अप. 1.387; - रिं उ. पु., ए. व., मैने अनुस्मरण किया - का मन में अनुचिन्तन करता है, बारी-बारी से या एक-एक चरिमे वत्तमानम्हि, सरणं तं अनुस्सरिं, अप. 1.72; - 5 प्र. करके स्मरण करता है - अरियसावको तथागतं अनुस्सरति पु.. ब. व., उन लोगों ने अनुस्मरण किया - दिस्वा में ..., अ. नि. 1(1).236; तथागतं अनुरसरतीति अट्ठहि वाणिजा भीता, बुद्धसेट्ठमनुस्सरु, अप. 2.69; - रित्थ म. कारणेहि तथागतगुणे अनुस्सरति, अ. नि. 2.188; ..., यथा पु., ए. व., आत्मने, तूने अनुस्मरण किया - मास्सु पुब्बे समाहिते चित्ते अनेकविहितं पुब्बेनिवासंअनुस्सरति, दी. नि. रतिकीळितानि, हसितानि च अनुस्सरित्थ, जा. अट्ठ, 5.182; 1.11; - रामि उ. पु., ए. व., मैं अनुस्मरण करता हूं- इति - रिस्सति भवि०, प्र. पु., ए. व., वह अनुस्मरण करेगा -- साकारं सउद्देसं अनेकविहितं पुब्बेनिवासं अनुस्सरामि, पारा. .... अतीते बुद्धे ... परियादिन्नवट्टे सब्बदुक्खवीतिवत्ते जातितोपि 5; म. नि. 1.28; अनुस्सरामीति एकम्पि जाति द्वेपि जातियोति अनुस्सरिस्सति, दी. नि. 2.6-7;- रिस्सामि उ. पु., ए. व., एवं जातिपटिपाटिया अनुगनवा अनुगन्वा सरामि, पारा. मैं अनुस्मरण करुंगा - कुतो पनाहं अनेकविहितं पुब्बेनिवासं अट्ठ. 1.118; - न्ति वर्त., प्र. पु., ब. व., अनुस्मरण करते अनुस्सरिरसामि, म. नि. 2.233; - रितुं निमि. कृ., अनुस्मरण हैं - यं मं ज्ञाती सालोहिता पेता कालङ्कता पसन्नचित्ता करने हेतु - यावतकम्पि मे इमिना अत्तभावेन पच्चनुभूतं अनुस्सरन्ति तेसं तं महफ्फलं ..., म. नि. 1.41; - तम्पि नप्पहोमि साकारं सउद्देसं अनुस्सरितुं, म. नि. 2.233; रं/रन्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व., अनुस्मरण करता - रित्वा पू. का. कृ., अनुस्मरण करके - अनुस्सरित्वा हुआ - भरन्ति मातापितरो, पुब्बे कतमनुस्सर अ. नि. सम्बुद्धं, पदुमुत्तरनायकं अप. 1.153; - रितब्ब सं. कृ., 2(1).39; अपतनो गमनमनुस्सरन्तो, अकल्यरूपो गळयति अनुस्मरण किया जाना चाहिये, अनुस्मरण करने योग्य -
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