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अनुलोमक
की कुछ वर्णनाओं का शीर्षक: कथा. 2 पटिपदा स्त्री.. कर्म. स. [ अनुलोम-प्रतिपत्] उपयुक्त अथवा उपयुक्त मार्ग, अनुकूल प्रक्रिया, सीधी तर्क-पद्धति सम्मापटिपदाय अनुलोमपटिपदाय अपच्यनीकपटिपदाय सीलेसु परिपूरिकारिताय इन्द्रियेसु गुत्तद्वारताय भोजने 'मत्तश्रुताय महा. नि. 10 अनुलोमपटिपदायाति अविरुद्धपटिपदाय, न पटिलोमपटिपदाय महानि, अह. 50: समणसामीचिप्पटिपदाति समणानं अनुच्छविका समणानं अनुलोमप्यटिपदा म. नि. अट्ठ. ( मू०प.) 1 (2). 221; - पटिलोम त्रि. सीधे तथा उलटे क्रम वाला, आगे की ओर से तथा पीछे की ओर से प्रारम्भ होने वाला मं अ. क्रि. वि., सीधे एवं उलटे क्रम से, नियमित क्रम में एवं विपरीत क्रम में अथ खो भगवा रतिया पठमं ग्रामं पटिच्चसमुप्पादं अनुलोमपटिलोम मनसाकासि, महाव. 1; अनुलोमपटिलोमन्ति अनुलोमञ्च पटिलोमञ्च, महाव. अड. 226 एवं अनुलोमपटिलोमं छसु देवलोकेसु सम्पत्तिं अनुभवन्ता विचरन्ति जा. अट्ठ. 4.431 छसु कामावचरसग्गेसु अनुलोमपटिलोमेन महन्तं देविस्सरिय अनुभवन्ता विचरन्ति जा. अड. 4.284 पद्वान नपुं. पट्टा. अ. के एक खण्ड का शीर्षक, पट्टा. अट्ठ. 490; - पापना स्त्री. तत्पु, स. अनुलोमपक्ष में निग्रह की प्राप्ति तेन यत रेतिआदि अनुलोमपक्खे निग्गहस्स पापितत्ता अनुलोमपापना नाम, कथा. अड. 110; - रोपना स्त्री, अनुलोम-पक्ष की तर्क-पद्धति में निग्रह का आरोपण या दोष का आविष्करण
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यं तत्थ वदेसीतिआदि अनुलोमपक्ो निग्गहस्स आरोपितत्ता अनुलोमरोपना नाम, कथा. अड. 110 मावसान नपुं. अप्पनावीथि के तृतीय चरण अनुलोम का अन्त या समाप्ति अनुलोमावसानहि सूरे तिक्खं विपस्सनं अभि, अव. 1325. अनुलोमिक 1 त्रि. [अनुलोमिक] उचित क्रम में आया हुआ, क्रमसङ्गत, स्वाभाविक अथवा नियमित क्रम में प्राप्त, ठीक या नियमित क्रम वाला, सीधे क्रम के हिसाब से रखा गया एस वीघनिकायोति, पठमो अनुलोमिको, ध. स. अट्ट. 27; अयं अनुलोमिकायं खन्तियं ठितो. उदा. अड्ड 111; ये चस्स धम्मा अवखाता, सामज्ञस्सानुलोमिका इतिवु, 74.:-. पटिच्चसमुप्यन्नेसु धम्मेसु अनुलोमिका खन्ति पटिलद्धा होति यथाभूतं आणं विभ. 389 2. नपुं. चार महाप्रदेश सुते विनये अनुलोमे, पञ्ञते अनुलोगिक, परि, 302; अनुलोमिकं नाम चत्तारो महापदेसा परि अड्ड. 202 स. उ. प. के रूप में अननु तदनु, नेतिधम्मानु, पब्बज्जितानु. भेदानु, सच्चानु, सिक्खापदानु के अन्त द्रष्ट
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अनुल्लपना
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अनुलोमेति अनुलोम के ना. धा. का वर्त. प्र. पु. ए. व. [अनुलोमयति] क. प्रायः द्वि. वि. में अन्त होने वाले नामों के साथ प्रयुक्त, ठीक-ठाक अथवा अनुकूल कर देता है, अनुकूल दिशा की ओर ले जाता है यागु देन्तो आयु देति
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वात अनुलोमेति... दसानिसंसा यागुयाति महाव. 297; - मेत्वा पू. का. कृ., अनुकूल बनाकर ठीक दिशा की ओर ले जाकर वातं अनुलोमेतीति वातं अनुलोमेत्वा हरति अ. नि. अट्ठ. 3.79; ख. किसी के द्वारा अनुकूल बना दिया जाता है या नियन्त्रित कर दिया जाता है भगवतो हि वाचाय कायो अनुलोमेति, उदा. अड. 103 तं चे अकपियं अनुलोमेति, पारा. अट्ठ. 1. 179: - न्ति वर्त, प्र० पु०, ब० व., अनुकूल या अनुरूप बना देते हैं, विनियमित कर देते हैंये ते, भिकावे, भिक्खू सुग्गहितेहि सुसन्ते हि व्यञ्जनष्पतिरूपकेहि अत्थञ्च धम्मञ्च अनुलोमेति अ. नि. 1 (1) 85 यित्वा / मेत्वान पू. का. कृ.. अपने अनुरूप करतं अनुलोमयित्वा कपिये अनवज्जे उत्वा समणधम्मं देव परियेसितब मि. प. 338: नव बुद्धवचनं अनुलोमेत्वान सब्बदा, मि. प. 338: ग. ष. वि. में अन्त होने वाले नाम के साथ आने पर अनुकूल या अनुरूप बन जाता है- अननुलोमिकेति सासनस्स न अनुलोमेतीति अननुलोमिक अ. नि. अड्ड. 2.76; भगवतो हि वाचाय कायो अनुलोमेति, कायस्सपि वाचा. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 1(1)55: घ. सही या अनुकूल दिशा की ओर चलता है, अनुकूल हो जाता हैयथा, महाराज, वंसो यत्थ वातो, तत्थ अनुलोमेति..... मि. प. 338.
बना कर
अनुल्लपनता स्त्री. उल्लपन के भाव का निषे स्वयं को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहना, डींग न हांकना अनालपनतायाति अनुल्लपनताय म. नि. अड. ( मू.प.) 1 (2).308 तुल.
अनालपनता.
134.
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अनुल्लपना स्त्री अनु + √लप से व्यु पीछे कहा गया कथन, अनुकरण पर बोला हुआ वचन, अनुवाद - यो तत्थ अनुवादो अनुवदना अनुल्लपना अनुभणना... चूळव. 196; अनुल्लपना अनुभणनाति उभयं अनुवदनवेवचनमत्तमेव चूळव. अट्ठ. 39; आलपना लपना सल्लपना उल्लपना समुल्लपना
अनुप्पियभाणिता... विम. 404 नाधिप्पाय त्रि. ब स.. स्वयं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखलाने की प्रवृत्ति से रहित
अनापत्ति अधिमानेन, अनुल्लपनाधिप्पायस्स, उम्मत्तकस्स खित्तचित्तस्स, वेदनाद्वस्स आदिकम्मिकस्साति, पारा.
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