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अनुज्जङ्गी/अनुज्झङ्गी 243
अनुहान उज्जोतनानुज्जोतनपटिज्जोतन - सञ्जोतनट्ठो, पटि. म. लद्धं.... म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).97; - पटिञात त्रि., अट्ठ. 1.87; एकत्ते जोतनट्ठो अभिनेय्यो, एकत्ते उज्जोतनट्ठो [अनुज्ञातप्रतिज्ञात], अनुमोदित एवं स्वीकृत - तेन खो पन अभिजेय्यो, पटि. म. 17; एकत्ते अनुजोतनहुँ बुज्झन्तीति- समयेन ... अम्बट्ठो नाम माणवो ... अनुआतपटिआतो बोज्झङ्गा, पटि. म. 298.
सके आचरियके तेविज्जके पावचने, दी. नि. 1.76-77; अनुज्जङ्गी/अनुज्झङ्गी स्त्री., ब. स. [नताङ्गी], गोलाकार अनुज्ञातपटिआतोति अनुआतो चेव पटिञातो च, अङ्गों वाली स्त्री, वर्तुलाकार अङ्गों वाली सुन्दरी, लचकदार आचरियेनस्स यं अहं जानामि, तं त्वं जानासी तिआदिना अङ्गों वाली सुन्दरी, अनिन्दित अङ्गों वाली, सर्वाङ्गशोभना अनुजातो, आम आचरिया'ति अत्तना तस्स सुन्दरी - सा कथज्ज अनुज्झङ्गी, पथं गच्छति पत्तिका, जा. पटिवचनदानपटिञाय पटिआतोति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. अट्ठ. 7.253; अनुज्झङ्गीति अगरहितअङ्गी, जा. अट्ठ. 7.255. 1.201. अनुज्जलयि/अनुज्जलयी अनु + जल का अनद्य., प्र. अनुज्ञेय्य त्रि., [अनुज्ञेय], अनुमतियोग्य, अनुमोदित होने पु., ए. व., पंक्ति में प्रज्ज्वलित किया, कतारों में दीपकों को योग्य, सम्मतियोग्य - तथागतस्स ... धम्म देसेन्तस्स जलाया - गन्धतेलेन पूरेत्वा, दीपानुज्जलयी तहिं अप. 2.249. सन्तयेव परियायं अनुज्ञेय्यं, दी. नि. 3.34; (अनुज्ञेय्यन्ति अनुज्जा स्त्री., विधुर की पत्नी का नाम - अनुज्जाति अनुजानितब्बं अनुमोदितब्बं, दी. नि. अट्ठ. 3.20); एवंनामिका, जा. अट्ठ. 7.184.
अनुज्ञेय्यञ्चेवाह, भन्ते, भगवतो अनुजानिस्सामि, अ. नि. अनुज्जुक त्रि., उज्जुक का निषे०, तत्पु. स. [अनृजुक]. 1(2).227. कुटिल, वक्र, टेढ़ा प्रदुष्ट, प्रदूषित - या तिंसति सारमया अनुटीका स्त्री., [अनुटीका]. टीका या भाष्य की व्याख्या - अनुज्जुका, जा. अट्ठ. 3.280.
लीनत्थवण्णना नाम अनुटीका, ग. वं. 60; स. उ. प. में अनुज्जुगामी त्रि., [अनृजुगामिन]. टेढ़ा-मेढ़ा चलनेवाला, द्रष्ट, अभिधम्म के अन्त.. वक्रगति से चलने वाला (सर्प) - अनुज्जुगामी उरगा अनुट्ठहति अनु + Vठा का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अनुतिष्ठति]. दुजिव्ह, दाठावुधो घोरविसोसि सप्प, जा. अट्ठ. 4.294. निष्पादित करता है, काम को ठीक से पूरा करता है, अनुज्जुभूत त्रि., [अनृजुभूत], वह, जो सीधा अथवा सरल उद्योगशील रहता है, देख रेख या सेवा करता है - अनट्ठहति न हो, वह, जो प्रदुष्ट प्रकृति का हो चुका है - अनुज्जुभूतेन कालेन, कम्मफलं तरिसज्झति, जा. अट्ठ. 5.117; तस्मि हरं महन्तं, जा. अट्ठ. 5.283.
तस्मिं काले तं तं किच्चं करोति, जा. अट्ठ. 5.118. अनुज्झानबहुल त्रि., अनु + उज्झान + बहुल अनुट्ठाता पु., उत्तिट्ठति के कर्तृ. कृ. का निषे. [अनुत्थाता], [अनुच्छायनबहुल], अकष्टपूर्ण, परछिद्रान्वेषण न करने आलसी, अध्यवसाय अथवा पराक्रम से रहित, शक्तिहीन, वाला - सद्धो होति हिरिमा धितिमा ... अनुज्झानबहुलो वीर्य से रहित - अनुट्ठाता च यो नरो, सु. नि. 963; मेत्ताविहारी, मि. प. 319.
अनट्ठाताति वीरियतेजविरहितो उट्ठानसीलो न होति, सु. अनुञा स्त्री., [अनुज्ञा], आज्ञा, आदेश, अनुमति, सम्मति, नि. अट्ठ. 1.134; यत्थालसो अनुट्ठाता, अच्चन्तं सुखमेधति, सहमति, अनुमोदन - सम्मुत्यानुआ वोहारेस्वथ, अभि. प. स. नि. 1(1).251. 1133; मो. व्या. 6.9; रआनुआय चारिक, म. वं. 9.8. अनुहान' नपुं., उट्ठान का निषे. [अनुत्थान], आलस्य, अनुज्ञात त्रि., [अनुज्ञात], अनुमति को प्राप्त, अनुमोदित प्रमाद, वीर्य या पराक्रम का अभाव - आलस्यञ्च पमादो च. राजा द्वारा आदिष्ट, प्रज्ञप्त, विहित, स्वीकृत- बिम्बिसारेन अनुट्ठानं असंयमो, स. नि. 1(1).50; अनट्ठानन्ति कम्मसमये अनुज्ञातं होति, महाव. 94; यो वो मया गिलानपच्चयभेसज्ज कम्मकरणवीरियाभावो, स. नि. अट्ठ. 1.90; - मल त्रि., ब. परिक्खारो अनुआतो, दी. नि. 3.96; अनुजातोसि पन त्वं स. [अनुत्थानमल], आलस्य अथवा शिथिल पराक्रम के रहपाल, मातापितूहि ... म. नि. 2.256; अनुज्ञातो अहं मल या दोष वाला - असज्झायमला मन्ता, अनुहानमला मत्या, जा. अट्ठ. 6.18; भगवता तिचीवरानि अनुज्ञातानि, घरा, अ. नि. 3(1).37; ध. प. 241; उट्ठानवीरियाभावो घरानं ध. प. अट्ठ. 2.41; - त्त नपुं.. भाव. [अनुज्ञातत्व], स्वीकृत मलं नाम, अ. नि. अट्ठ. 3.215; - सेय्या स्त्री., तत्पु. स. या अनुमोदित कर दिये जाने की स्थिति, अनुमोदित [अनुत्थानशय्या], मरणशय्या, पूर्ण रूप से शिथिलता को अवस्था- भगवता हि अनुज्ञातत्तायेव भिक्खूहि ... पणीतचीवरं । ला देने वाली मृत्यु की अवस्था - तत्थ गन्वा
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