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अनुकट्ठित
स्वीकृति - एकादस इमे रागचरितस्सानुकूलता, अभि. अव. 113; पाठा. अनुकूलका भाव पु० [अनुकूलभाव], अनुकूलता, स्वीकृति, सम्मान, श्रद्धा सत्था दहरस्स अत्तनो अनुकुलभाव ञत्वा, ध. प. अड. 2.92; सामिकस्स अनुकूलभावेन वसे वत्तनसीला, वि. व. अट्ठ. 57; - मित्त पु., [ अनुकूलमित्र ], विश्वासी मित्र, मनोहर या सुखद मित्र अनुकूलमित्तो विय, ध. स. अट्ठ. 172; अभि. अव. 21; - वत्ती त्रि. [ अनुकूलवर्तिन् ], अनुकूल रहने वाला, आज्ञाकारी, अनुवर्ती, अनुवर्तन करने वाला - सब्बत्थ ते अनुकूलवत्ती भविस्सामीति अत्थो, जा. अट्ठ. 4.233; समानेन अनुकूलवत्तिना परिजनेन सद्धिं वासो यस्स सो समानवासो, सु० नि० अट्ठ. 1.24; - ले अ., क्रि. वि., अविपरीत रूप में, तट के सहारे - सुवण्णवण्णं सम्बुद्ध, अनुकूले समाहितं, अप
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1.277.
अनुकट्ठित उत् + √क्वथ के भू० क० कृ० का निषे. [अनुत्क्वथित], नहीं उबलता हुआ, उबाल की स्थिति में न
तं सुत्वा
पहुंचा हुआ उदपत्तो अग्गिना असन्तत्तो अनुकट्ठितो अनुरसदकजातो, अ. नि. 2 ( 1 ) . 216, पाठा. अनुक्कुधितो. अनुके वट्ट पु. एक ब्राह्मण का नाम अनुकेवट्टब्राह्मणो... जा. अट्ठ 6.235. अनुक्कट्ठचीवर नपुं., कर्म. स. [अनुत्कृष्टचीवर ], वह चीवर, जो नियमानुरूप नहीं है, निर्धारित नियम के विरुद्ध चीवर यं हत्थे ठपेत्वा लद्वं, हत्थेयेव ठपितं, तं अनुक्कद्वचीवरं नाम, विसुद्धि. 1.61. अनुक्कण्ठना स्त्री॰, उक्कण्ठना का निषे, तत्पु० [ अनुत्कण्ठा], सन्तुष्टि, संतोष, धैर्य, उत्कण्ठा का सर्वथा अभाव- राजा पुत्तस्स अनुक्कण्ठनत्थाय तानि पञ्च कुमारसतानि तस्स सन्तिकेयेव ठपेसि, जा. अट्ठ. 6.5. अनुक्कण्ठित त्रि.. उक्कण्ठित का निषे, तत्पु० [अनुत्कण्ठित], सन्तुष्ट, प्रसन्न - ततो ततो आगम्म रमन्ति अभिरमन्ति
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अनुक्कण्ठिता हुत्वा निवसन्तीति अत्थो, खु. पा. अट्ठ. 90; सत्ता अत्तनो अत्तनो निब्बत्तट्ठाने अभिरममानाव अनुक्कण्ठिताव जीवितं जहन्ति, जा० अट्ठ. 3.49.
अनुक्कम पु०, [अनुक्रम], क. क्रम के अनुरूप, तांता, क्रमबद्धता, उत्तराधिकार, धीरे धीरे उचित समय में इदहि सुत्तं इमिना अनुक्कमेन भगवता अवुत्तम्पि... खु. पा. अट्ठ. 72; अनुक्कमेन गेहे निसीदापेत्वा अन्तोगब्भे निपज्ज, जा० अट्ठ. 1.159; ... अनुक्कमेन भद्रयोब्बनं पत्वा ध. प. अ. 1.50; ततो परं भङ्गानुपस्सनादिवसेन
अनुक्खेप
म.
विपस्सनं उस्सुक्कापेत्वा अनुक्कमेन अरियमग्गं गण्हन्तो उदा. अट्ठ. 194; ख. युद्धभूमि के अश्वों के प्रशिक्षण में अपनाया गया एक विशेष तरीका या प्रकार तमेनं अस्सदमको उत्तरि कारणं कारेति अनुक्कमे मण्डले .... नि. 2.118; अनुक्कमेति चत्तारोपि पादे एकप्पहारेनेव उक्खिपने च निक्खिपने च, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.114; - आगत त्रि.. [अनुक्रमागत ], परम्परा से प्राप्त, किसी विशिष्ट क्रम में प्राप्त - अनुक्कमागतं पन पाळिपदं गहेत्वा इधेव कतं, म. नि. अट्ठ. ( मू०प.) 1 ( 2 ).101. अनुक्कमति अनु + √ कम का वर्त., प्र. पु. ए. व. [ अनुक्राम्यति], शा. अ. पीछे जाता है, बगल में चलता है, ला. अ. तात्पर्य ग्रहण करता है, धारण करता है, समझता है न्ति वर्त., प्र. पु. ब. व. - ये सत्थवाहेन अनुत्तरेन, सुदेसितं मग्गमनुक्कमन्ति, इतिवु, 58; अनुक्कमन्तीति देसनानुसारेन अनुगच्छन्ति पटिपज्जन्ति, इतिवु, अट्ठ. 233; - क्कमं वर्त. कृ., पु०, प्र. पु. ए. व. - ददमानो पियो होति, सतं धम्मं अनुक्कम, अ. नि. 2 ( 1 ). 36 : - क्कमे विधि., प्र. पु०, ए. व., - हत्थिक्खन्धावपतितं, कुञ्जरो चे अनुक्कमे, थेरगा. 194; मितवे निमि. कृ. अनुक्कमितवे सक्का, यायं पटिपदा दहा, स. नि. 1 ( 1 ).28; - मित्वा पू० का० कृ० - इतो वा एत्तो वा अनुक्कमित्वा... आरुळहो विय च गच्छति, म. नि. अट्ठ. (मू०प०) 1 (2). 233.
तस्स
अनुक्खित्त त्रि, उक्खित्त का निषे, तत्पु० स० [अनुत्क्षिप्त ].
बहिर्भूत-कृत, अनिष्कासित, नहीं हटाया गया या दूर न ले जाया गया - अनुच्चारितकतन्ति कप्पियं कारापेतुं आगतेन भिक्खुनाईसकम्पि अनुक्खित्तं वा अनपनामितं वा कतं, पाचि. अट्ठ. 85.
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अनुक्खिपं अनु + खिप का वर्त. कृ. प्र. वि. ए. व. [ अनुत्क्षिपन् ], लुढ़काता हुआ, एक ओर फेंकता हुआ, बगल में कर दे रहा - दारको वट्टमनुक्खिपं, आसीविसमकोपयि, चरिया. 403; वट्टमनुक्खिपन्ति खिपनवट्टसण्ठानताय वट्टन्ति लद्धनामं गेण्डुकं अनुक्खिपन्तो, गेण्डुककीळं कीळन्तोति अत्थो, चरिया. अट्ठ. 222.
अनुक्खेप पु०, अनु + √खिप [ अनुक्षेप ], शा. अ. पीछे की ओर फेंकना, बदले में लौटाना; ला. अ. क्षतिपूर्ति करना • अनुजानामि, भिक्खवे, अनुक्खेपे दिन्ने अतिरेकभागं दातुन्ति, महाव. 376; तत्थ अनुक्खेपो नाम यंकिञ्चि अनुक्खिपितब्ब अनुप्पदातब्बं कप्पियभण्डं महाव. अट्ठ. 383; - टि. यदि किसी भिक्षु को दूसरे भिक्षुओं से अधिक मूल्य वाला चीवर
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