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अनज्झाचार
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अनञ
अनज्झाचार पु., अज्झाचार का निषे०, पापमय दुराचार का अभाव, सदाचार, अनतिक्रमण- इमेसं अट्ठन्न मिच्छत्तानं या अकिरिया ... अनज्झाचारो, इदं वुच्चति सब्बपापस्स अकरणं नेत्ति. 38; एवमेव ... अनज्झाचारेपि परामसनेन गभावक्कन्ति होति, मि. प. 132; तस्मिं अनज्झाचारो अचलो असम्पवेधी, दी. नि. अट्ठ. 3.87. अनज्झापत्ति स्त्री., अकरणीय अथवा वर्जित कामों का न करना, अनतिचार - या तस्मिं समये चतहि वचीदुच्चरितेहि ... विरति ... अनज्झापत्ति ... अयं ... सम्मावाचा .... ध. स. 299; पाणातिपाता विरमन्तस्स, या ... पाणातिपाता ... विरति ... अनज्झापत्ति ... इदं वुच्चति पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं, विभ. 323, द्रष्ट. अज्झापत्ति एवं आपत्ति. अनज्झापन्न त्रि., अज्झापन्न का निषे., 1. (कर्त. वा. में द्वि. वि. के साथ प्रयुक्त) अपराध अथवा अकरणीय कर्म न करनेवाला, अनुचित कर्मों में नहीं आपतित - सुद्धो होति पुग्गलो ... पाराजिक धम्म अनज्झापन्नो, पारा. 260; 2. कर्म. वा., वह, जिसे किया न गया हो, जिस पर पहुंचा न गया हो, अप्राप्त - अनज्झापन्ना वा होति, आपज्जित्वा वा बुट्टिता, महाव. 131. अनज्झायक त्रि., अज्झायक का निषे. [अनध्यायक], अध्ययन न करने वाला, वेदों में अपारङ्गत - यो सो ... माणवको अनज्झायको अनुपनीतो, म. नि. 2.368. अनज्झारुळ्ह त्रि., अज्झारुळह का निषे. [अनध्यारूढ़], दूसरों द्वारा अभिभूत नहीं किया हुआ, ऊपर न चढ़ा हुआ एवं अभिभूत न करने वाला, न अत्यधिक फैला हुआ न ही बढ़ा हुआ - सत्तिमे ... बोज्झङ्गा अनावरणा ... चेतसो अनज्झारुळ्हा भाविता, स. नि. 3(1).118. अनज्झावुत्थ त्रि., अज्झावुत्थ का निषे., आबाद न किया हुआ, नहीं बसा हुआ, अधिगृहीत न किया हुआ - अज्झावुलु वा अनज्झावुटुं वा आचिक्खितब्ब, चूळव. 353; तेन खो पन समयेन ... राजकुमारस्स कोकनदो नाम पासादो .... अनज्झावुट्ठो समणेन वा ब्राह्मणेन वा .... म. नि. 2.287; - क त्रि., आबाद न किया हुआ, अनधिगृहीत - ... अनज्झावुत्थकं दानि इदन्ति ... गण्हतोपि.... पारा. अट्ठ. 1.280, पाठा. अनज्झावुट्ठ. अनज्झिट्ठ त्रि., अज्झिट्ट का निषे. [अनध्येष्ट, न + अधि+ Vइष + क्त], अयाचित, अप्रार्थित, अनिवेदित, वह, जिसे कुछ करने हेतु कहा नहीं गया है - सङ्घमज्झे अनज्झिट्ठा धम्म भासन्ति, महाव, 141; अनज्झिट्ठो वा आरामगतानं
भिक्खून धम्म भणति, महानि. 167; अनग्झिट्टो वाति थेरेहि ... अनाणत्तो अनायाचितो च महानि. अट्ठ. 270. अनज्झेसित त्रि., उपरिवत् - अनानुपुट्ठोति अपुट्ठो ...
अयाचितो अनज्झसितो..., महानि. 48. अनज्झोत्थरण नपुं./त्रि., अज्झोत्थरण का निषे०, अभिभूत न करना, अपराभव, अप्रसहन, अभिभूत न करना - पुन अनज्झोत्थरणभावेन किलेसन्धकारं विद्धसेत असमत्थताय ..., ध. स. अट्ठ. 97. अनज्झोपन्न त्रि., अज्झोपन्न का निषे, अविषयीभूत, सरोकाररहित, निरपराध, शिकार न बनने वाला - यं पनस्स खमति, तं अगधितो ... अनज्झापन्नो ... परिभुञ्जति, दी. नि. 3.33, द्रष्ट. अज्झोपन्न, अज्झापन्न. अनज्झोसान नपुं., अज्झोसान का निषे., अलोभ, अनुपादान,
अनासक्ति, रागयुक्त न होना - ... तेसमयं दिट्टि असारागाय ... अनज्झोसानाय सन्तिके ..., म. नि. 2.81. अनज्झोसित त्रि., अज्झोसित का निषे., वह, जिसके प्रति लोभ, आसक्ति अथवा राग उत्पन्न नहीं हुआ है - सा अनिच्च ... अनज्झोसिताति ... अनभिनन्दिताति पजानाति, म. नि. 3.293; अनज्झोसिताति गिलित्वा परिनिट्ठापेत्वा गहेतुं न युत्ताति, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.223. अनञ्जित त्रि., अञ्ज के भू. क. कृ. का निषे०, अपरिमार्जित, अभूषित, मलिन, अपरिष्कृत - दुम्मक्खरूपाति अनजितामण्डितलूखनिवासनपारुपना ... किलिट्टरूपाति, जा. अट्ठ. 3.206; रम्मरूपन्ति अनञ्जितं अमण्डितं, जा. अट्ठ. 7.367; परूळहकच्छलोमो सो अनजितअमण्डितो ..... मि. प. 161; - क्ख त्रि., मलिन नेत्रों वाला, धुंधली आंखो वाला - दुम्मक्खरूपाति अनजितक्खा अमण्डितरूपा लूखसङ्घाटिधरा, जा. अट्ठ. 4.267, तुल. अक्ख. अनञ त्रि., अञ का निषे., तत्पु. स., पहचान-सूचक सर्व अथवा अदुतियो या एको जैसे संख्या-सर्व. का स्था. [अनन्य], 1. दूसरा नहीं, अभिन्न, समान, केवल एक, अद्वितीय, - ... येहि समन्नागतस्स ...द्वेयेव गतियो भवन्ति अना , दी. नि. 1.77; एतदेव पच्चयं करित्वा अनजं. पाचित्तियन्ति, पाचि. 63; द्वेव तस्स गतियो भवन्ति अनआ ..... मि. प. 162; 2. ब. स. - (न विज्जति अञो यस्स सो), वह, जिसके लिये कोई दूसरा सेव्य या उपास्य न हो, केवल एक में ही अनुरक्त - न च अनञ्जस्स राजिनो, जा. अट्ठ. 7.191; पाठा. न च अञस्स; - गरही त्रि., [अनन्यगी], किसी दूसरे की निन्दा न करने वाला -
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