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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अद्धान 158 अद्भूननव द्रष्ट. म. नि. अट्ट (मू.प.) 1(1).279, म. नि. टी. (मू.प.) अट्ठ. 30; - मग्गपटिपन्न त्रि., राजमार्ग पर जाता हुआ - 1(1).323; -किलमथ पु., लम्बी यात्रा के कारण उत्पन्न ... अज्ञतरो भिक्खु कोसलेसु जनपदे अद्धानमग्गप्पटिपन्नो शारीरिक थकान - सो अद्धानकिलमथं विनोदित्वा .... खु. होति, महाव. 116; ... भगवा अन्तरा च राजगह अन्तरा च पा. अट्ठ. 157; - कोविद त्रि., तत्पु. स., मार्ग को जानने नाळन्दं अद्धानमग्गप्पटिपन्नो होति, दी. नि. 1.1; - वेमत्तता वाला - नाहं दुक्खक्खमा राज, नाहं अद्धानकोविदा, जा. स्त्री., तत्पु. स., कालावधि-विषयक विषमता, समय की अट्ठ. 5.185; - क्खम त्रि., लम्बे समय तक टिकाऊ, लम्बी अवधि का अन्तर, बोधिसत्त्व द्वारा पारमिताओं के परिपाचन दूरी को सहन करने में सक्षम - ... एवहि सो रथो . हेतु अपेक्षित कालावधि से सम्बन्धित अन्तर - अयं नेस अद्धानक्खमो होति ..., जा. अट्ठ. 7.143; अद्धानक्खमो अद्धानवेमत्तता, सु. नि. अट्ठ. 2.122. होति, अ.नि. 2(1).25; अद्धानक्खमो होतीति दूरं अद्धानमग्गं अद्धापच्चुप्पन्न त्रि., कालावधि अथवा क्षण-विशेष की दृष्टि गच्छन्तो खमति, अधिवासेतुं सक्कोति, अ. नि. अट्ठ. 3.12; से वर्तमान, समय की सन्तति में विद्यमान - पच्चुप्पन्नञ्च - गमन नपुं., तत्पु. स., मार्ग पर गमन, यात्रा में गमन - नामेतं तिविध - खणपच्चुप्पन्नं सन्ततिपच्चुप्पन्न चारिक चरमानोति अद्धानगमनं गच्छन्तो, उदा. अट्ठ. 148; अद्धापच्चुप्पन्नञ्च, ध. स. अट्ठ. 435. एकस्सद्धानगमनं, ध. प. अट्ठ. 1.373; - दरथ पु., यात्रा अद्धाभवति क्रि. रू., अधि + भू अथवा अभि + भू का से उत्पन्न कष्ट या व्यथा - ... सब्ब अद्धानदरथं वपसमेन्तो स्था., अभिभूत करता है, ऊंचे स्तर पर होता है, प्राधानता विय .... दी. नि. अट्ठ. 1.231; - नन्तरता स्त्री., अद्धान में होता है, प्रमुख होता है - न्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. + अनन्तर का भाव., कालविस्तार-विषयिणी व्यवधान-रहित व., अभिभूत करते हुए - अथप्पियं वा पन अप्पियं वा समीपता, काल की अनन्तरता - अद्धानन्तरताय अद्धाभवन्तो अभिसम्भवेय्य सु. नि. 974; अद्धाभवन्तो ... ति अनन्तरपच्चयो...., पट्ठा. अट्ठ. 345; द्रष्ट. कालन्तरता; - एवं पियप्पियं अभिभवन्तो .... सु. नि. अट्ठ. 2.265; - पञ्ह पु., [अध्व-प्रश्न], मि. प. के दूसरे वग्ग अद्धान-वग्ग द्धभवि अद्य०, प्र. पु., ए. व. - किसु सब्बं अद्धभवि. स. नि. के एक खण्ड का नाम, मि. प. 48-49; - परिच्छेद पु.. 1(1).45; अद्धभवीति नामं सब्बं अभिभवति अनुपतति, स. तत्पु. स. [अध्वपरिछेद], क काल का तीन कालों में नि. अट्ठ. 1.85; - द्धभावेति प्रेर., प्र. पु., ए. व. - ... न बटवारा, समय का समुचित विभाजन - नो च खो हेव अनद्धभूतं अत्तानं दुक्खेन अद्धभावेति, म. नि. 3.9... अद्धानपरिच्छेदे कुसलो होति. म. नि. अट्ट. (मू.प.) 1(1). अद्धिक त्रि., [बौ. सं. अधिवक], यात्री, पथिक, राहगीर, 128; ख. कालविषयक निर्धारण, जीवनावधि का निर्धारण - घुमक्कड़ - ... कन्तारपटिपन्नो याव इच्छितवानं न पापुणाति, ... एवं अरिया ... अद्धानपरिच्छेदं कत्वा ...., उदा. अट्ठ. ताव अद्धिकोयेव, ध, प. अट्ठ. 1.341; ... एक अद्धिकं दिस्वा 28; अद्धानपरिच्छेदोति जीवितद्धानस्स परिच्छेदो, विसुद्धि. ...... ध. प. अट्ठ. 1.252; अद्धिकेति अद्धानं आगते, जा. अट्ठ. 2.348; - परिज्ञा स्त्री., तत्पु. स., निर्वाण, निर्वाण के मार्ग 4.87. का परिज्ञान - अद्धानपरिआत्थं खो, आवुसो, भगवति ब्रह्मचरियं अद्धव त्रि., धुव का निषे. [अध्रुव], अस्थिर, चलनशील, वुस्सती ति .... स. नि. 3(1).26; अद्धानपरिञत्थन्ति अनिश्चित, अशाश्वत, वह जो स्थिर, टिकाऊ अथवा सदा संसारद्धानं निब्बानं पत्वा परिञातं नाम होति, तस्मा निब्बानं बना रहने वाला न हो - ... ते मयं अनिच्चा अद्धवा अद्धानपरिआति वुच्चति, स. नि. अट्ठ. 3.168-169; - अप्पायुका.... दी. नि. 1.16; अनिच्चा वत सङ्घारा, अद्धवा, परियायपथ पु., अद्धान नामक लम्बा गमनपथ, लम्बी दूरी तावकालिका, अना. वं. 135; अनिच्चा अद्धवा कामा, थेरीगा. वाला रास्ता - ... मा नं कुणालं सकुणं अद्धानपरियायपथे 491; ... एवं अद्धवा, भिक्खवे, सङ्घारा ..., स. नि. 1(2). किलमथो उब्बाहेत्था ति, जा. अट्ट, 5.412; - परिस्सम पु.. 171; - सील त्रि., ब. स., अनिश्चित आचार वाला, स्वभाव तत्पु. स., मार्ग पर चलने से होने वाला परिश्रम - ... से ही विनश्वर, अनिश्चित प्रकृति का, अनैतिक - निच्चं अद्धानपरिस्सम पटिविनोदेत्वा .... वि. व. अट्ठ. 259; - अद्धवसीलस्स सुखभावो न विज्जति, जा. अट्ठ. 3.63. मग्ग पु., कर्म. स. [बौ. सं. अध्वमार्ग, अध्वानमार्ग], यात्रा अद्भूननव त्रि., अद्ध' + ऊन + नव [अङ्खननव], साढ़े करने के लिए प्रयुक्त मार्ग, ऊंचा राजमार्ग, राजपथ - ... आठ, नौ में आधा कम, 8.5 - अद्भूननवमत्ता भाणवारा, सावत्थि उद्दिस्स गिम्हसमये अद्धानमग्गं पटिपन्ना, वि. व. उदा. अट्ठ. 4, पाठा. अड्ढूननव. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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