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अद्दा
अद्दा' स्त्री० [आर्द्रा], नक्षत्रों के बीच छट्ठा नक्षत्र मिगसिरमदा च पुनब्बसु अभि. प. 58 अदा पुनब्बसु फुस्सो सद्द. 2.359.
अद्दा' √दा का अद्य。, प्र० पु०, ए. व., द्रष्ट. अद्द के अन्त.. अद्दायते / अल्लायते अद्द' का ना. धा., वर्त., प्र. पु. ए. व., आत्मने. [आर्द्रयति], गीला जैसा प्रतीत होता है, भीगा सा लगता है - अल्लायते अयं रुक्खो, जा. अट्ठ. 4.313; अल्लायतेति उदकभरितो विय अल्लो हुत्वा पञ्ञायति, जा. अट्ठ. 4.314. अद्दारिक, कर्म, स. [आर्द्रारिष्टक] अरिष्टक का ताजा बीज वण्ण त्रि. अरिष्टक के ताजे बीज जैसे काले रङ्ग या रूप बाला केसा... कालका अद्दारिद्वकवण्णा, विभ. अट्ठ. 221 विसुद्धि. 1.240; अद्दारिद्वकवण्णाति अभिनवारिट्ठफलवण्णा, विसुद्धि. महाटी 1.288; - समान त्रि ताजे अरिष्टक के फल जैसा काले रंग वालामज्झेकण्ड होति...अदारिकसमानं.... महानि. 261. अद्दावलेपन त्रि., अद्द' + अवलेप ब० स० [आर्द्रावलेपन ], नवीन या ताजे अवलेपन वाला अद्दावलेपना उपकारियो म. नि. 1.121; कूटागारं साला वा बहलमत्तिका अद्दावलेपना, स. नि. 2 ( 2 ). 187, पाठा. अद्दावलिम्पना.
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अदि पु.. [अद्रि ]. चट्टान, पर्वत, शिलाखण्ड पब्बतो गिरि सेलोडी अभि. प. 605, अहि सिलुच्चयो चा ति गिरिषण्णतियों इमा, सद्द. 429.
अत्रि, [अदृष्ट], वह, जो देखा नहीं गया है - दिट्ठा वा येव अदिट्ठा, सु. नि. 147; यदा ते चिरवासिमाता अदिट्ठा, स.नि. 2 ( 2 ) 313; - टि. सुद्धि (सुदिह) तथा दुद्दिट्ठ (दुदि) की भांति यहां भी दकार का द्वित्वभाव है. अदित/ अति अ + इ + त [अर्दित], दुष्प्रभावित, पीड़ित, उत्पीड़ित, वह जिसे कष्ट, पीड़ा दी गई हो कामरागेन अट्टितो, थेरगा. 406; बन्धुसोकेन अद्दितो, सद्धम्मो 281; तं सुत्वा काळकण्णी अद्दिता हुत्वा, जा. अड. 3.228. अद्दियति/अट्टीयति √अद्द' का वर्त., प्र. पु. ए. व., उद्विग्न, व्यग्र, अथवा खिन्न होता है अहियामि हरायामि, थेरीगा 140; एवमयं अट्टीयती ति.... थेरीगा. अट्ठ. 246. अदिलर नपुं. एक राष्ट्र का नाम अल्लकप्परहे पन दुभिक्खे ध प अड्ड 1.98 पाठा, अल्लकप्पर. अद्दुव व्यु० संदिग्ध, घुटना न च अद्दुवेन सङ्घट्टेन्तो गच्छति, म. नि. 2346; अटुवेन अटुवन्ति जण्णुकेन जण्णुक. म. नि. अ. (म.प.) 2.274.
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अद्ध
अद्ध' पु० / नपुं,, [अर्ध], आधा, द्रष्ट. अड्ड के अन्त अद्ध' / अड्डत्रि [आढ्य], धनी, सम्पन्न समृद्ध अड्डा दलिहा व फुसन्ति फस्स थेरगा. 783.
अब पु. [अध्वन्, पु. अध्यान नपुं.] शा. अ. स्थान एवं काल का क्षेत्र विस्तार, कालावधि समय या स्थानविषयक क्षेत्र - विस्तार - अद्धो भागे पथे काले, अभि. प. 994, मग्गो पन्थो पथो चाद्धा, अभि. प. 190; ला. अ. मार्ग अथवा भवचक्र में संसरण कर रहे प्राणियों के जीवनकाल की विशिष्ट अवधि अतीत प्रत्युत्पन्न एवं अनागत, इन तीन खण्डों में प्राणियों के संसरण की स्थिति का द्योतक - अतीतो महाराज अद्धा, अनागतो अद्धा, पच्चुपन्नो अद्धा 'ति, मि. ए. 49. द्धा प्र. वि., ए. व. एवं ब. व. - दीघो चद्धा सुदुग्गम जा. अह 7.285 द्वानं द्वि. कि.. ए. व. एत्तकं अद्धानं... उदा. अट्ठ. 68; अद्धानं पटिपन्नस्स ... अप. 1.84; स. उ. प. के रूप में अतीतद्वान, अनागतमद्धान, कान्तारद्धान, कालद्धान, गतद्वान आदि के अन्त. द्रष्ट; टि. भगवान बुद्ध ने प्रतीत्य-समुत्पाद नय की 12 अनुलोम कड़ियों द्वारा चक्राकार अस्तित्व (भव-चक्र) में प्राणी के संसरण को प्रकाशित करते हुए यह सङ्केत भी दिया है कि प्राणी के संसरण का एक लम्बा मार्ग है जिसे 'दीघ अद्धा' कहा गया है। अतः अद्धा का विशिष्ट पारिभाषिक तात्पर्य प्रतीत्यसमुत्पाद के आलोक में अवधेय है ग त्रि.. [अध्वग]. शा. अ. मार्ग प चला हुआ ला. अ. अधिक आयु वाला, वृद्ध बुड्डो हेस्सति अद्धगो, म. सं. 40.7; तुल. अद्धगू: गत त्रि. [अध्यगत) शा. अ. अधिक आयु को प्राप्त, भवचक्र के पर्याप्त मार्ग को पार कर चुका, अनुभवी, लम्बे समय को बिता चुका अद्धगतोति तयो अद्धे अतिक्कन्तो, महानि, अट्ठ 15 अद्धगता ति अद्ध, चिरकालं अतिक्कन्ता, स. नि. अट्ठ 1.144; चिरपब्बजितो अद्धगतो वयो अनुष्पतो... दी. नि. 1.42 अद्धगतोति अद्धानं गतो, द्वे तयो राजपरिवट्टे अतीतो दी. नि. अह. 1.120... जिण्णो, वुड्डो, महत्वको अद्धगतो, वयो अनुष्पत्तो. दी. नि. 1.99 ला. अ. व्रतों एवं चर्याओं आदि की मर्यादा का अनुल्लंघन करते हुए आचरण करने वाला, अच्छे आचरण के मार्ग में पहुंचा हुआ अद्धगतोति मग्गपटिपन्नो ब्राह्मणानं वतचरियादिमरियाद अवीतिक्कम्मचरणसीलो दी. नि. अड. 1.228; - गू पु., [अध्वग], यात्री, भवचक्र द्वारा सङ्केतित जन्म-मरण के यात्रा-पथ का पथिक पथावी पथिकोद्धगु अभि. प. 347; तस्मा न चद्धगू सिया, ध. प. 302; न हेव