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अतिथूल 108
अतिदेव नि. 2.403; - बलि पु.. [अतिथिबलि], अतिथियों के लिये -स अनु., म. पु., ए. व. - इज त्वं तत्थ कारणं अतिदिसा दिया जाने वाला उपहार - ... अरियसावको ... पञ्चबलिं ति, मि. प. 279. कत्ता होति-आतिबलिं, अतिथिबलिं, पुब्बपेतबलिं .... अ. अतिदीघ त्रि., [अतिदीर्घ], बहुत लम्बा - नातिदीघा नातिरस्सा नि. 1(2).79; अतिथिबलिन्ति आगन्तुकानं बलिं, अ. नि. ...... दी. नि. 2.131; म. नि. 1.122; नातिदीघातिआदीहि अट्ठ.2.306.
छदोसविरहितं सरीरसम्पत्ति दीपेति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अतिथूल त्रि., कर्म. स. [अतिस्थूल], अत्यधिक मोटा - 1(1).372. .... महासुदस्सनस्स इस्थिरतनं पातुरहोसि अभिरूपा ... अतिदीन त्रि., [अतिदीन], बहुत अधिक दुर्गतिग्रस्त -
नातिकिसा नातिथूला.... दी. नि. 2.131, विलो. अतिकिसा. सोकेन चातिदीनो व, अप. 2.209. अतिथोक त्रि., [अतिस्तोक], बहुत कम, अत्यल्प - सो अतिदुक्कर त्रि., [अतिदुष्कर], बहुत कठिन, दुष्कर, बहुत
पत्तोदकं पटिग्गण्हाति नातिथोकं नातिबहु, म. नि. 2.346. कठिनाई से करने योग्य - बहुञ्च दुक्कर कम्म, कतं में अतिदप्पित त्रि., [अतिदर्पित], अत्यधिक अन्धकारग्रस्त, अतिदुक्कर, अप. 2.220, थेरीगा. अट्ठ. 216; इदं मया बहुत अधिक घमंडी - अतिदप्पितो वतायमायस्मा, म. नि. सतसहस्सकप्पाधिकानि चत्तारि असङ्घयेय्यानि अतिदुक्करानि अट्ठ. 2.514(रो.).
आचरित्वा पारमियो पूरेत्वा .... उदा. अट्ठ. 170. अलिदयित त्रि., [अतिदयित], बहुत प्यारा - तस्सा तिदयिता अतिदुक्ख त्रि., [अतिदुःख], अत्यधिक दुःख देने वाला, आसु .... अप. 2.250; थेरीगा. अट्ठ. 78.
बहुत अधिक कष्टकारक - अक्खमो अतिदुक्खो ति अपायो अतिदहरत नपुं.. भाव., अत्यधिक कम आयु अथवा अपरिपक्व भायितब्बको, सद्धम्मो. 95; - परेत त्रि., अत्यधिक दुःखों से अवस्था - किं यक्खो कुमारं अतिदहरत्ता न इच्छतीति भीता अभिभूत, बहुत अधिक दुःखों से व्यथित - अतिदुक्खपरेतो पुच्छिसु. सु. नि. अट्ठ. 1.202.
विरवन्तो पच्चति, जा. अट्ट, 5.267; - वाच त्रि., अत्यधिक अतिदान नपुं., [अतिदान], अत्यधिक दान, प्रबल । कठोर वचन बोलने वाला - अतिदुक्खवाचो ति वा पाठो, दानपरायणता - तुम्हेहि ब्रह्मो पकतो, अतिदानेन खत्तियो, अतिविय फरुसवचनो मुसावादपेसुआदिवचीदुच्चरितनिरतो, जा. अट्ठ. 7.287; अतिदानं, महाराज, लोके विदूहि वणितं । पे. व. अट्ठ. 13; पाठा. अतिदुट्ठवाचो.. थुतं पसत्थं मि. प. 258; - दायी त्रि., अत्यधिक दान देने अतिदुद्दस त्रि., [अतिदुर्दर्श], वह, जिसे खोज पाना, समझना, वाला, अत्यधिक उदार - अतिदानदायी लोके कित्तिं पापुणाति, जानना अथवा देख सकना बहुत कठिन है - ... परमगम्भीर मि. प. 258.
अतिदुद्दसं सहसुखुमं... अमतं निब्बानं .... उदा. अट्ठ. 318. अतिदारुण त्रि., [अतिदारुण], बहुत निष्ठुर, निर्दय, कठोर, अतिदुब्मिक्खछातक त्रि., अत्यधिक भूख एवं दुर्भिक्ष से भयंकर - विचरि अतिदारुणो सदा, परहिंसाय रतो असञ्जतो, पीड़ित अथवा परिपूर्ण - नातिसीतं नातिउण्ह, पे. व. 480; कारेन्तो कम्मकरणं निरये अतिदारुणं सद्धम्मो. नातिदुभिक्खछातक, जा. अट्ठ. 1.95. 7; त्वहि अतिदारुणरस कम्मस्स कतत्ता अतिसरो, जा. अतिदूर त्रि., [अतिदूर, बहुत दूर, अत्यधिक दूर में स्थित अट्ठ. 4.6; तदा मे कम्मजा वाता उप्पन्ना अतिदारुणा, अप. - सेनासनं नातिदूर होति नाच्चासन्नं, अ. नि. 3(2).13; 2.227.
थामसम्पन्नता पन अतिदूरं उप्पतति, जा. अट्ठ. 3.426; अतिदिद्विया क्रि. वि., सप्त. वि., प्रतिरू. निपा., उत्तम ज्ञान नातिदूरे गन्तब्बं, महाव. 52; - ता स्त्री., भाव., बहुत या दृष्टिसम्पन्नता के कारण - अतिदिट्ठिया दिद्विविपन्नो अधिक दूरी में होना - विहारानं पन नगरतो नातिदूरताय होति, महाव. 82; चूळव. 9.
नाच्चासन्नताय
गमनागमनसम्पत्तिया अतिदिवा सप्त. वि. प्रतिरू. निपा., दिन बहुत ढल जाने अनाकिण्णविहारट्ठानताय छायूदकसम्पत्तिया ... च रमणीयता पर, दिन में बहुत देरी करके; विकाल में, अपराह्न में - दट्टब्बा, उदा. अट्ठ. 264. अतिदिवा पटिक्कमति, महाव. 89; स. नि. 1(1).232; अ. अतिदेव' पु., बुद्ध के गुणों का सूचक विशे., देवों के भी नि. 2(1).108.
अधिष्ठाता देव, भगवान् - देवानं अतिदेवो भवेय्य, मि. प. अतिदिसति अति + दिस का वर्त.. प्र. पु., ए. व., 258; - प्पत्त त्रि., देवों से भी अधिक उत्तम स्थिति को प्राप्त विस्तृतरूप में व्याख्या करता है, स्पष्ट रूप से कहता है; करने वाला - निरुपधिको अतिदेवपत्तो, स. नि. 1(1).167;
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