________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अड्ढ
96
अड्ड
मानवशरीर की लम्बाई से आधी लम्बाई वाला - न, भिक्खवे, अड्डकायिकानि बिब्बोहनानि धारेतब्बानि, चूळव. 276; अद्धकायिकानीति उपड्डकायप्पमाणानि, येसु कटितो पट्ठाय याव सीसं उपदहन्ति, चूळव. अट्ठ. 60; - काल पु.. धनवान होने का समय - अवस्साति अडकाले अड्डा हुत्वा सामिकमेव अनुवत्तति, जा. अट्ठ, 3.59; - कासिक/कासिय त्रि., शा. अ. काशी में निर्मित कौशेयवस्त्र का आधा भाग, ला. अ. क. काशी की आधी आबादी के लिये पर्याप्त कम्बल - तेन खो पन समयेन कासिराजा जीवकस्स कोमारभच्चस्स अड्डकासिकं कम्बलं पाहेसि, महाव. 370; ख. पांच सौ मुद्राओं के मूल्य योग्य - अडकासियन्ति एत्थ कासीति सहस्सं वुच्चति, तं अग्घनको कासियो, अयं पन पञ्चसतानि अग्घति तस्मा, अड्डकासियो ति वृत्तो, महाव. अट्ठ. 378; - कासी/कासि स्त्री., काशी जनपद की एक गणिका का नाम, थेरीगा. की 25-26 गाथाओं की कवयित्री - अडकासि भिक्खुनी इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 2.281; - टि. संभवतः काशी जनपद से प्राप्त समस्त राजस्व का आधा भाग देने के फलस्वरूप इसका नाम 'अडकासि' किया गया - अड्डकासिगणिका विय बहूनं पिया मनापा, जा. अट्ठ. 5.444; - कुडक/कुट्टक नपुं., [अर्थकुड्यक], आधी दीवार, आधी भित्ति - अनुजानामि, भिक्खवे, अड्डकुट्टकन्ति, चूळव. 278; - कुम्भूपम त्रि., [अर्धकुम्भोपम], अधजल गगरी जैसा - अडकुम्भूपमो बालो, रहदो पूरोव पण्डितो, सु. नि. 726; - कुल नपुं. [आढ्यकुल], समृद्ध कुल, समृद्ध वंश - समणो खलु भो गोतमो अड्डा कुला पब्बजितो महद्धना महाभोगा, दी. नि. 1.101; चोरा उदकनिद्धमनेन नगरं पविसित्वा एकस्मि अडकुले उमङ्ग भिन्दित्वा .... ध. प. अट्ठ. 1.271; - कुसि स्त्री., भिक्षुचीवर पर बीच बीच में की गयी आड़ी-तिरछी सिलाई - अडकुसिम्पि नाम करिस्सति, महाव. 378; अडकुसीति अन्तरन्तरा रस्सपत्तानं नाम, महाव. अट्ठ. 384; - कोस पु... [अर्धक्रोश], आधा कोस - इतो गन्वा अडकोसं तत्थ नेसं अगारक, जा. अट्ठ. 6.97; - कोसकाहार त्रि., भोजनपात्र में से आधा आहार ग्रहण करने वाला- सावका कोसकाहारापि अड्डकोसकाहारापि बेळुवाहारापि अड्डबेळुवाहारापि, म. नि. 2.209; - क्खि नपुं.. [अर्द्धाक्षि], आधी खुली तथा आधी बन्द आंख - अपलोकत्वाति सिनेहरसविफारसंसूचकेन अवक्खिना आबन्धन्ती विय ओलोकत्वा, उदा. अट्ठ. 138; सत्थारं अवक्खिकेन ओलोकेसि, ध. प. अट्ठ. 2.338; -
खादित त्रि., आधा खाया हुआ, अर्द्धभक्षित - येहि अड्डखादितानि, तेसं वमनविरेचनं दत्वा .... जा. अट्ठ 3.173; - गाथा स्त्री.. [अर्द्धगाथा], आधी गाथा - इमं अड्डगाथं वत्वा सो पच्चेकबुद्धो आह, सु. नि. अट्ठ.1.58; - गावुत नपुं.. [अर्द्धगव्यूति], आधे गावुत की लम्बाई (एक चौथाई योजन अस्सी उसभों के बराबर माप वाला माना जाता है) - सो अवगावुतमत्तं गतकाले निवत्तित्वा .... जा. अट्ठ. 6.68; - चन्द नपुं.. [अर्द्धचन्द्र], एक प्रकार के पादपविशेष का नाम - अडचन्दं मया दिन्न, धरणीरुहपादपे, अप. 1.245; - चन्दक पु.. [अर्द्धचन्द्रक], आधे चन्द्रमा की लघु आकृति - मालाकम्मलताकम्ममकरदन्तकगोमुत्तक अड्डचन्दकादिभेद वा विकाररूपं न वट्टति, पारा. अट्ठ. 1.233; - चन्दिय पु.. एक थेर का नाम - इत्थं सुदं आयस्मा अड्ढचन्दियो थेरो इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 1.245; - चूळ नपुं.. अर्थ अनिश्चित, कुछ के अनुसार साढ़े तेरह (अड्डचुद्दस), कुछ के अनुसार साढ़े तीन (अड्ढचतुत्थ), अन्यों के अनुसार असम्पूर्ण अर्द्धभाग (अड्डचूळ) - वाहसतानं खो, महाराज, वीहीनं अड्डचूळञ्च वाहा वीहिसत्तम्बणानि ..., अ. नि. अट्ट, 1.47; मि. प. 112; अडचूळन्ति थोकेन ऊनं उपड्ड कस्स पन उपङ्घन्ति? अधिकारतो वाहस्साति विज्ञायति, अडचुद्दसन्ति केचि, अडचतुत्थान्ति अपरे, साधिक दियडसतं वाहाति दळुहं कत्वा वदन्ति, वीमंसितब्बं, अ. नि. टी. 1.90; - चेळक पु., व्य. सं., एक स्थविर का नाम - इत्थं सुदं आयस्मा अड्वचेळको थेरो इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 1.134; - छक्क त्रि., [अर्धषष्ठ], साढ़े पांच - अड्डछक्केसु जातकसतेसु .... ध. स. अट्ठ. 33; - ज्झामक त्रि., आधा भुना हुआ, अर्धदग्ध - थोकेनम्हि झामो, अवज्झामकोव मुत्तोति, जा. अट्ट, 1.387; - दुपाद त्रि., [अर्धाष्टपाद]. आठ पादों से आधे अर्थात् चार पैरोंवाला, चतुष्पद, चौपाया - अट्ठवपदो चतुप्पदस्स, मेण्डो अट्ठनखो अदिस्समानो, जा. अट्ठ. 6.182; - ठुमक त्रि., साढ़े सात - अडट्ठमकधातुयो अरूपपरिग्गहोति रूपारूपपरिग्गहोव कथितो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.74; - द्वरतन त्रि., ब. स., साढ़े सात रतनों की ऊंचाई वाला - सत्तरतनं वा ... नागं अट्ठमरतनं वा, स. नि. 1(2).196; हत्थिनागो सत्तरतनो वा अड्डद्वरतनो वा, अ. नि. 3(2).171; - तिय त्रि., [अर्द्धतृतीय], ढाई - ततियोडतियो तथा, अभि. प. 477; अड्डेन ततियो अड्डतियो, मो. व्या. 3.105; क. व्या. 389; एवं अवतियेसु मासेसु वीतिवत्तेसु अत्तनो सन्तिके ठिते परिचारिके पुच्छि,
For Private and Personal Use Only