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अट्ठिसञ्चय
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अड्ड
हाच
अस्थिकङ्काल मात्र ही शेष है, हड्डियों का ढेर - दिवसभागे महन्ता सुनखा उपधावित्वा अद्विसङ्घातमत्तावसेसं सरीरं करोन्ति, पे. व. अट्ठ. 179. अट्ठिसञ्चय पु.. [अस्थिसञ्चय], अस्थिसमुच्चय, अस्थियों का समूह, हड्डियों का ढेर - एकरसेकेन कप्पेन, पुग्गलस्सटिसञ्चयो, इतिवु. 14. अट्ठिसञा स्त्री॰ [अस्थिसञ्ज्ञा], अशुभ अनुस्मृतियों के अन्तर्गत शरीर को अस्थिपञ्जर के रूप में देखना या समझना - केवलं अडिसआय, अफरी पथविं इम, थेरगा. 18. अट्ठिसन्धि पु., [अस्थिसन्धि], हड्डियों का जोड़, अस्थिसन्धि - कटकटाति विरवन्तेहि अद्विसन्धीहि स... तो, जा. अट्ठ. 7.320. अट्ठिसमूह पु., [अस्थिसमूह], हड्डियों का समूह, अस्थिपुञ्ज, हड्डियों की राशि- अद्विपुञ्जोति अट्ठिसमूहो, इतिवु. अट्ठ. 74. अट्ठिसीस त्रि., ब. स. [अस्थिशीर्ष], हड्डियों से भरा सिर, वह, जिसका सिर हड्डियों का ढांचा-मात्र प्रतीत हो - अडिसीसाति मंसस्स अभावतो अतिविय अद्विताय पतनुभावतो वा तचोनद्धअद्विमत्तसीसा, लीन. (दी.नि. टी.) 2.37. अद्विसेन पु.. [अस्थिसेन], ब्राह्मण कुलोत्पन्न एक बोधिसत्त्व का नाम - बोधिसत्तो एकस्मिं निगमे ब्राह्मणकुले निब्बत्ति, अट्ठिसेनकुमारोतिस्स नाम करिंसु, जा. अट्ठ. 3.310; - जातक नपुं., [जातक], जातक संख्या 403 का नाम, जा. अट्ठ. 3.309-313. अद्विसेस त्रि., [अस्थिशेष], वह, जिसमें हड्डी के अतिरिक्त कुछ भी शेष नहीं हो, केवल हड्डी मात्र - सेसभागानि डव्हिसु, अट्ठीसेसानि सब्बसो, अप. 2.211. अद्विस्सर पु.. एक प्रत्येकबुद्ध का नाम - पञ्च कोट्ठासे निरये पच्चित्वा, ततो मुच्चित्वा अद्विस्सरो नाम पच्चेकबुद्धो भविस्सति, मि. प. 119; ध. प. अट्ठ. 1.86. अद्भुत्तरसत नपुं., [अष्टोत्तरशत], एक-सौ-आठ की संख्या - उपरिमञ्चे राजधीतरं ठपेत्वा गन्धोदकघटानं अद्वत्तरसतेन न्हापेत्वा काळकण्णि पवाहेस्सामी ति, जा. अट्ठ. 1.436. अगुप्पत्ति/अत्थुप्पत्ति स्त्री., [अर्थोत्पत्ति], धर्मदेशना के लिये सर्वथा उपयुक्त अवसर की उत्पत्ति - अट्टप्पत्तिञ्च दीपेत्वा, करिस्सामत्थवण्णनं खु. पा. अट्ठ. 173; सुत्तदेसनाय वत्थुभूतस्स अत्थस्स उप्पत्ति अत्थुप्पत्ति, अत्थुप्पत्ति एव अट्टप्पति, उदा. अट्ठ. 25; - क त्रि., वह धर्मदेशना, जो किसी अवसर-विशेष के कारण प्रकाशित की गयी हो, अर्थ
विशेष को ध्यान में रखकर दिया गया (उपदेश) - सा एतस्स अत्थीति अटुप्पत्तिको, उदा. अट्ठ. 25; चत्तारो हि सुत्तनिक्खेपा अत्थज्झासयो, परज्झासयो, पुच्छावसिको, अट्टप्पत्तिकोति, दी. नि. अट्ठ. 1.48; - काल पु., धर्मदेशना की सप्रयोजन उत्पत्ति का अवसर - अपि च चतूहि कारणेहि बुद्धा भगवन्तो चारिक चरन्ति, जङ्घविहारवसेन सरीरफासुकत्थाय, अत्थुप्पत्तिकालाभिकङ्घनत्थाय, भिक्खून ...., दी. नि. अट्ठ. 1.196. अट्ठसभमत्त त्रि., ब. स., आठ उसभ माप वाला - अनुसभमत्तं ठानं पक्खन्दित्वा, जा. अट्ठ, 4.130; - टि. एक उसभ 140 हाथ का होता है. अद्वसभवित्थत त्रि., आठ उसभ माप तक फैला हुआ -
अवसभवित्थतं मग्गं, जा. अट्ठ. 5.311. अद्वसभवित्थार त्रि., ब. स., उपरिवत् - अद्वसभवित्थाराय नदिया ..., जा. अट्ठ. 1.74; अवसभवित्थारं आगमनमग्गं
समतलं कत्वा , जा. अट्ठ. 7.362. अड्ड' त्रि., [आढ्य], धनी, धनवान, धनाढ्य - अड्डो त्वनित्थियं भागे धनिस्मिं वाच्चलिंगिको, अभि. प. 1039; इब्भो त्वड्डो तथा धनी, अभि. प. 725; भवहि सोणदण्डो अड्डो महद्धनो महाभोगो, दी. नि. 1.99; अढा दलिद्दा च फुसन्ति फस्सं. बालो च धीरो च तथेव फुट्ठो, थेरगा. 783; - क त्रि., [आढ्यक], धनी, समृद्ध, धनाढ्य - बाराणसीनगरं दूरघुटुं, तत्थाह गहपति अडको अहु दीनो, पे. व. 247; अड्डकोति अड्डो महाविभवो, पे. व. अट्ठ. 94; न खत्तियोति न च ब्राह्मणोति, न अडका बलवा तेजवापि, जा. अट्ठ. 4.448. अड्डः/अद्ध 1. पु./नपुं.. [अर्ध], आधा, समान भाग - अड्वो त्वद्धो उपवो च, अभि. प. 53; अद्ध वृत्तं समे भागे, अभि. प. 54; तं कत्वा नेगमो अग्धं, अड्डेनग्घं ठपेसि मं. थेरीगा. 25; 2. किसी भी मुद्रा या माप की 1/2वीं इकाई - अड्डो पादो, चत्तारो मासका, जा. अट्ठ. 3.396; अड्ढ वा पादं वा कहापणं वा पेसेन्ति, ध. प. अट्ठ. 1.145, स. उ. प. में द्रष्ट. अपर., मज्झिम., पुब्ब.. पुरिम., उप., दसड्ढ., दि., दुव-; - करीसमत्त त्रि., केवल आधे करीष की माप वाला - पुण्णोपि अड्डकरीसमत्तं ठानं कसित्वा ..., वि. व. अट्ठ. 51; - कहापण नपुं. [अर्द्धकार्षापण], आधा कार्षापण - अकुसलं दिवस अड्डकहापणं निबिसेय्य, अ. नि. 3(2).69; अपरे अन्तरवीथिचतुक्क राजद्वारादीसु निसीदित्वा कहापणअडकहापणपादमासकरूपादीनिपि निस्साय देसेस्सन्ति, जा. अट्ठ. 1.325; - कायिक त्रि.. [अर्द्धकायिक].
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