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प्रोफ़ेसर मोहनलाल शर्मा की इस छोटी-सी किन्तु महत्वपूर्ण कृति में पद्मावती के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पुरातात्त्विक आदि सभी पक्षों पर गम्भीरता के साथ प्रकाश डाला गया है । लेखक ने समस्त उपलब्ध सामग्री से लाभ उठाया है और अपनी बात को संयत, गम्भीर एवं सरल भाषा में व्यक्त किया है ।
प्राचीन इतिहास में रुचि रखने वाले प्रबुद्ध पाठकों एवं विश्वविद्यालयों के उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों एवं शोध-रत छात्रों को यह कृति तृप्ति प्रदान करेगी।
प्रभु ८ मा ५०
संचालक मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी
भोपाल
-आठ
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