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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्मावती को संस्थापना : ३३ वस्तुतः अंधकार युग नहीं था। उस समय जो कला एवं राजनैतिक दर्शन के प्रयोग हुए, उनकी विशेष महत्ता आज के युग में भी स्वीकार की जा रही है। ३.१५ नागों को शासन-प्रणाली नागों की शासन-प्रणाली विशेष रूप से महत्वपूर्ण है । ईसा की पहली शताब्दी में भारत में जो शासन-प्रणाली प्रचलित थी, आज बीसवीं शताब्दी में उसका संशोधित स्वरूप प्रयोग में लाया जा रहा है । यह शासन-प्रणाली संघात्मक कही जा सकती है। कहने का तात्पर्य यह है, कि पद्मावती में केन्द्रीय शासन स्थापित था, और भारत के अन्य क्षेत्रों में उसकी शाखाएँ बिखरी हुई थीं। मथुरा और कान्तिपुरी का उल्लेख तो पुराणों में भी किया गया है । विन्ध्यशक्ति के प्रकरण में हम यह देख चुके हैं, कि वह भी एक अधीनस्थ शासक था । गुप्तों ने भी संघीय शासन-पद्धति नागों से ही सीखी होगी। डॉ० जायसवाल ने भारशिव वंश की दो भिन्न-भिन्न शाखाओं का उल्लेख किया है। पद्मावती के शासन को उन्होंने टाकवंशीय शासन बताया है। इसका आधार उन्होंने 'भाव-शतक' नामक हस्तलिखित प्रति को माना है, जो वीरसेन के समय में ही लिखी गयी थी। मथुरा के राजवंश को उन्होंने यदुवंशी बताया है । यह नाम 'कौमुदी महोत्सव' नामक नाटक से लिया गया है । इन दोनों ग्रन्थों का रचना-काल एक ही बताया गया है । मथुरा के शासकों के सिक्के कम मिलते हैं। इन शासकों ने अपने सिक्के नहीं चलाये । इससे यह अनुमान सहज में ही लगाया जा सकता है, कि पद्मावती में एक केन्द्रीय टकसाल होगी, जहाँ से सिक्के बन कर अन्य स्थानों पर जाते होंगे । पद्मावती का राज्य धनधान्य-सम्पन्न और गौरवशाली राज्य था। नागों की शासन-प्रणाली के सम्बन्ध में गणपति नाग का नाम बड़े महत्व का है। गणपति का अर्थ होता है गणों का स्वामी । इससे इस बात का पता चलता है, कि नागों के समय में गणराज्य था, और गणपति इस संघराज्य की केन्द्रीय सत्ता को सम्हाल रहा था। गणपति कोई वास्तविक नाम नहीं था। इसका प्रमाण यह है कि गणपति के दो अन्य नाम भी दिये गये हैं। एक है गणेन्द्र, और दूसरा है गणपेन्द्र । गणपति और गणेन्द्र लगभग समान अर्थ वाले शब्द हैं। इन नामों में एक अन्य विशेषता परिलक्षित होती है। इन तीनों नामों में गण शब्द समान है । इससे गणराज्य का विचार और भी पुष्ट हो जाता है । गणराज्य की यह प्रथा नागों के शासनकाल तक ही प्रचलित रही हो, ऐसी बात नहीं । प्राचीन इतिहास में इस प्रकार के प्रमाण उपस्थित हैं, जिनसे यह निर्णय किया जा सकता है कि गुप्तों के शासनकाल में भी यह प्रथा बनी रही थी। ३.१६ संघीय शासन का स्वरूप इस बात का निश्चय होने के उपरान्त कि पद्मावती में संघीय शासन-व्यवस्था रही होगी, इस बात पर भी विचार करना प्रासंगिक प्रतीत होता है कि यह संघीय व्यवस्था कैसी होगी ? इस विषय में महत्वपूर्ण बात यह है, कि पद्मावती शासन और For Private and Personal Use Only
SR No.020523
Book TitlePadmavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Sharma
PublisherMadhyapradesh Hingi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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