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६ : पद्मावती
प्रकार का एक अन्य उदाहरण सुरवाया का है । सुरवाया के सम्बन्ध में प्राप्त शिलालेख के सम्बन्ध में उन्होंने बताया है कि सुरवाया का प्राचीन नाम 'सरस्वती' दिया गया है। सुरवाया रूप की निष्पत्ति ‘वती' के स्थान पर वाया के प्रयोग द्वारा हुई। इसी प्रकार पद्मावती के अन्तिम 'वती' का वाया बन गया होगा। यद्यपि भाषा में परिवर्तन तो बड़े अटपटे ढंग से हो जाया करते हैं, किन्तु वती का वाया हो गया होगा इस विषय में एक शिलालेख के अतिरिक्त और दूसरा प्रमाण नहीं मिलता । अतएव वती के वाया हो जाने और पद्मा के दमा अंश का लोप हो जाने के विषय में निर्णायक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ध्वनि के इस परिवर्तन का समर्थन ध्वनि विज्ञान द्वारा नहीं होता । किन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि पवाया के स्थान पर पद्मावती को पहचानने में कोई कठिनाई उपस्थित हो रही हो । नाम के परिवर्तन की बात जाने दीजिये, अन्य ऐतिहासिक साक्ष्य इतनी अधिक मात्रा में मिल गये हैं कि अब इस विषय में कोई संदेह शेष नहीं रह गया है।
___अब तो आवश्यकता केवल इस बात की है कि पद्मावती के सम्बन्ध में अधिक-सेअधिक सामग्री प्राप्त हो जिससे कि इसकी परिगत कथा को शृखलाबद्ध किया जा सके। पद्मावती के अवशेषों के संकलन की समस्या जितनी महत्वपूर्ण है उस संकलित सामग्री के विधिवत विश्लेषण की समस्या इससे कम महत्व की नहीं।
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