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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २ : पद्मावती १.२ स्थान निर्धारण पवाया, जिसे 'पद्म - पवाया' अथवा 'पदम-पवा' कहा जाता है, मध्य रेलवे के डबरा स्टेशन से लगभग साढ़े तेरह मील दूर स्थित है । डबरा ग्वालियर से चालीस मील दक्षिण है। डबरा से एक सड़क भितरवार के लिए जाती है । उसी सड़क पर 8 मील चलने पर बैलगाड़ी का एक कच्चा रास्ता मिलता है । इसी मार्ग पर साढ़े चार मील की यात्रा कर लेने पर हमें उस प्राचीन नगरी के दर्शन होते हैं, जिसे आज पवाया कहा जाता है। उसका ऐतिहासिक नाम पद्मावती है । पद्मावती का नाम पवाया कब हो गया, इस विषय में कोई उल्लेखनीय साक्ष्य नहीं मिलता । जनमुख पर आज भी पवाया का ' पदम पवाया' नाम रूढ़ है । 'पदम' पद्मावती का ही संक्षिप्त रूप है । प्राचीन पद्मावती नगरी पवाया और उसके आस-पास के क्षेत्र में बसी हुई थी । इस सम्बन्ध में गाँवों को अभिहित करने की एक सामान्य प्रवृत्ति का उल्लेख करना समीचीन होगा । किसी गाँव की स्थिति के सही-सही निरूपण के लिए उसके निकटवर्ती गाँव का नाम उसके साथ मिला कर बोला जाता है । दो गाँवों के युग्म बना कर उनका उल्लेख करने की प्रवृत्ति भारत के विभिन्न भागों में बहुत प्राचीन काल से मिलती है । पवाया के निकटवर्ती गाँवों में प्रचलित इस प्रवृत्ति का उल्लेख करना अधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार के युग्म हैं : पवापचपेड़िया ( पवाया के पास का एक गाँव पचपेड़िया भी है) रायपुर धमकन ( रायपुर के सही स्थान निर्धारण के लिए धमकन के साथ युग्म बनाया गया है, यह रायपुर एक छोटा-सा गाँव है), करेरा- पिछोर तथा डबरा - पिछोर ( पिछोर दो हैं, एक करेरा के पास और दूसरा डबरा के पास ) ( उक्त युग्मों से दोनों की स्थिति का बोध कराया गया है), पौहरीसिरसौद तथा सिरसौद करेरा (सिरसौद दो अलग-अलग गाँव हैं, एक करेरा के निकट और दूसरा पौहरी के निकट ), बदरवास - पिछोर तथा कोलारस - बदरवास ( बदरवास भी दो भिन्नभिन्न स्थान हैं, एक कोलारस के पास दूसरा पिछोर के पास ) । पवाया के साथ भी पदम का उच्चारण इसी अथवा इससे मिलते-जुलते तथ्य को प्रकट करता है । अब विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या पवाया के साथ प्रयुक्त पदम अंश के आधार पर ही पद्मावती को पहचाना जा सकता है ? यह बात सही है कि इस साक्ष्य को सम्पूर्ण साक्ष्य नहीं कहा जा सकता । किन्तु अन्य साक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में इसका स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है । पवाया को ऐतिहासिक पद्मावती के रूप में पहचानने के लिए इतिहासकारों ने जो प्रयत्न किये हैं वे सराहनीय होने के साथ-साथ निर्णायक भी सिद्ध हुये । अब यह बात निस्संदेह सत्य है कि वर्तमान पवाया तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्र का नाम पद्मावती था । यह एक भव्य नगर था और नवनाग साम्राज्य की राजधानी था। ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में यह संस्कृति का एक प्रसिद्ध केन्द्र था । १.३ पद्मावती का नामोल्लेख पद्मावती के सम्बन्ध में प्राचीनतम नामोल्लेख हमें 'विष्णु पुराण' में मिलता है, यथा, For Private and Personal Use Only
SR No.020523
Book TitlePadmavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Sharma
PublisherMadhyapradesh Hingi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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