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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्याय एक पद्मावती १.१ पद्मावती का नाम लेने के साथ ही आज इस बात की कल्पना स्वाभाविक नहीं कि यह किसी प्राचीन नगरी का नाम होगा। यहाँ तक कि कोषकार भी 'पद्मावती' शब्द के अर्थ-विश्लेषण में उस संकेत को भूल जाते हैं, जो पुराणों में मिलता है। कोषकार ने पद्मावती के ६ अर्थ दिये हैं। किन्तु इन अर्थों में उस अर्थ की ओर कोई संकेत नहीं, जिसके आधार पर पद्मावती को वर्तमान पद्म-पवाया के रूप में पहचाना जा सके । खेद का विषय है कि इस प्राचीन वैभवशाली नगर को इस प्रकार भुला दिया गया । ईसा की प्रथम चार-पाँच शताब्दियों तक यह नगर हिन्दू संस्कृति का एक प्रमुख केन्द्र था । प्राचीन वैभव और उत्कर्ष का यह सूर्य किस प्रकार अस्त होता गया. इस बात का उल्लेख तक नहीं मिलता। विजेता शक्ति विजित शक्ति के गुणों से किसी-न-किसी रूप में तो लाभान्वित होती ही है । इतिहास में ऐसे उदाहरण कम मिलेंगे, जब विजेता शक्ति ने विजित शक्ति के वैभव पर इस प्रकार पर्दा डाला हो । पद्मावती में एक भव्य मन्दिर को एक भोंडे आयताकार चबूतरे के द्वारा आच्छादित कर दिया गया था । उत्खनन कार्य के द्वारा ही मन्दिर की परिकथा को पुनर्जीवन मिला है। आगामी पृष्ठों में इस नगरी के उत्कर्षापकर्ष का विवरण प्रस्तुत किया गया है। हर्ष का विषय है कि अब तक ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हो चुके हैं, जिनके आधार पर पद्मावती का परिगत स्वरूप स्पष्ट रेखाओं के द्वारा अंकित किया जा सके। १. ये ६ अर्थ हैं :--(१) एक मात्रिक छन्द, (२) अपने समय की लोकप्रिय प्रचलित कथा के अनुसार महाकवि जायसी रचित 'पद्मावत' महाकाव्य के अनुसार सिंहल की एक राजकुमारी जिससे चित्तौर के राजा रतनसेन ब्याहे थे, (३) पटना नगर का एक प्राचीन नाम, (४) पन्ना नगर का प्राचीन नाम, (५) उज्जयिनी का एक प्राचीन नाम, (६) मनसादेवी, (७) कश्यप ऋषि की कन्या और जरत्कारु ऋषि की पत्नी, (८) जयदेव कवि की स्त्री, (8) एक नदी का नाम । रामचन्द्र वर्मा, संक्षिप्त हिन्दी शब्द-सागर, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, सं० २०१४ वि० । For Private and Personal Use Only
SR No.020523
Book TitlePadmavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Sharma
PublisherMadhyapradesh Hingi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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