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पुराण
पद्म | गया इस प्रकार राजाके महिल में से द्रव्य लावे और कुब्यसन सेवे । कईएक दिनों में भावन पर ॥६॥ देश से आया घर में पुत्रको न देखा तब स्त्री को पूछा स्त्री ने कहा इस सुरंग में होकर राजा के
महिल में चोरी को गया है । तब यह पिता पुत्र के मरण की शंका कर उसके लावने को मुरंगमें गया । सो यह तो जावे था और पुत्र अावे था पुत्रने जाना यह कोई बैग आवे है उसने बैरी जान खड्ग से मारा पीछे स्पर्शकर जाना यह तो मेरा बापहे तब महादुखी होय डरकर भागा और अनेक देश भूममा कर मरा पिता पुत्र दोनों कुत्ते भए फिर गीदड़ भए फिर मार्जार भए फेर रीछ भये फिर न्योला भये, फेर भैसे भये, फिर बलध भये, इतने जन्मों में परस्पर घातकर मरे, फिर विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देशमें मनुष्य भये, उग्र तपकर एकादश स्वर्ग में उत्तर अनुत्तर नामा देव भए वहांसे आयकर जो भावन नामा पिता था वह तो पूर्णमेघ विद्याधर भया और हरिदास नामा पुत्र जो था सो सुलोचन नामा विद्याधर भया इस बैर से पूर्णमेघ ने सुलोचन को मारा । तब गणधर देव ने संहस्रनयन को और मेघवाहन को कहा तुम अपने पितावोंका इस भांति चरित्र जान संसारका बैर तजकर समता भाव धरो और सगर चक्रवर्तीने गणधर देवको पूछा कि हे महाराज मेघवाहन और सहस्रनयन का बैर क्यों भया तब भगवान की दिव्य ध्यान में आज्ञा भई कि जम्बूद्दीपके भरतक्षेत्र में पद्मक नामा नगर है तहां प्रारम्भ नामा गणित शास्त्रका पाठी महा धनवन्त था उसके दो शिष्य एक चन्द्र एक श्रावली भये इन दोनों में मित्रता थी दोनों धनवान गुणवान् विख्यात हुये इनके गुरु प्रारम्भ ने ओ अनेक नयचक्रमें अति विचक्षण या मन में विचाग कि कदाचित यह दोनों ||
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