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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 62 दूसरे भद्रबाह का समय ईस्वी सन से 53 वर्ष पूर्व माना जाता है। अत: दोनों भद्रबाहओं के मध्य तीन शताब्दियों का अंतराल है। श्वेताम्बर साहित्य में द्वितीय भद्रबाहु को वराहमिहिर का भाई लिखा है । वराहमिहिर का काल ई.पू. 505 निश्चित है। चन्द्रगुप्त का पूर्वाधिकारी नन्द जैन था, यह बात खारवेल के शिलालेख से स्पष्ट है। भद्रबाहु श्रुतकेवली और चन्द्रगुप्त मौर्य की समकालीन सिद्ध है। आर्य सुहस्ती और सम्प्राति ____ 'कल्पसूत्र स्थिरावली' के अनुसार आर्य यशोभद्र के दो शिष्य थे- संभूतविजय और भद्रबाहु । संभूतविजय के शिष्य का नाम भद्रबाहु था । स्थूलभद्र के दो शिष्य थे- आर्य महागिरि और सुहस्ती। __ आर्य भद्रबाहु का स्वर्गवास वीर निर्वाण से 170 वर्ष पश्चात् हुआ। स्थूलभद्र वीर निर्वाण 170 से 215 तक आचार्य पद पर रहे। इनके पश्चात् आर्य महागिरि 30 वर्ष तक और तत्पश्चात् सुहस्ती 46 वर्ष तक पदासीन रहे। श्वेताम्बरीय उल्लेखों के अनुसार स्थूलभद्र अंतिम नंद के मंत्री शर्कहाल (शकटार) के पुत्र थे। उनके शिष्य सुहस्ती ने अशोक के पौत्र सम्प्रति को जैन धर्म में दीक्षित करके जैनधर्म का महान् उद्धार कराया था। स्थूलभद्र का स्वर्गवास चन्द्रगुप्त के राज्यकाल में हुआ है। आर्य सुहस्ती ने चन्द्रगुप्त मौर्य, तत्पुत्र, बिम्बसार, तत्पुत्र अशोक और अशोक के पौत्र सम्प्रति का राज्यकाल देखा। श्री जायसवाल ने चन्द्रगुप्त का राज्यकाल ई.पू. 326 ई. से 302 तक तथा सम्प्रति का राज्यकाल ई.पू. 40 से 23 तक ठहराया है। अर्थात् चन्द्रगुप्त और सम्प्राति के मध्य एक शताब्दी काअन्तर है। जैन स्रोतों के अनुसार सम्प्राति चंद्रगुप्त के 105 वर्ष पश्चात् राज्यासन पर बैठा। 'मत्स्य पुराण' और 'विष्णु पुराण' में दशरथ के बाद सम्प्रति का नाम है। जायसवाल जी ने परिणाम निकाला कि सम्प्राति दशरथ का छोटा भाई और उत्तराधिकारी था। अत: उन्होंने अशोक के 8 वर्ष तक कुणाल का, उसके 8 वर्ष पश्चात् दशरथ और उसके बाद सम्प्रति का काल ठहराया है। ___ मुनिकल्याण विजय जी ने आर्य महागिरि का स्वर्गवास वीर निर्वाण 291 में और अशोक का राज्यकाल वीर निर्वाण 205 तक माना है। ___श्वेताम्बर साहित्य में सम्प्राति की एक कथा है। आर्य सुहस्ती ने कौशाम्बी में एक दरिद्र व्यक्ति को दीक्षा दी, वह अगले जन्म में कुणाल का पुत्र हुआ। अंधे कुणाल ने अशोक से राज्य मांगा। अशोक ने कहा तुम अंधे हो, तुम्हें राज्य का क्या प्रयोजन । उसने कहा - मेरे सम्प्राति 1.जैन साहित्य का इतिहास, पृ 328 2. Journal of Bihar, Orrisa Research Society, Patna Part Ist, Page 94-95 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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