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विद्वान जाति का उद्गम केवल ब्राह्मण ग्रंथों से मानते हैं।'
ऋग्वेद में चारों जातियों के उद्भव का उल्लेख है । प्रजापति द्वारा जिस समय पुरुष विभक्त हुए तो ब्राह्मण जाति इस पुरुष के मुख से, क्षत्रिय जाति बाहु से, वैश्य जाति उरु से और शूद्र जाति चरणों से उत्पन्न हुई।
तैतिरीय ब्राह्मण' के अनुसार यह सब संसार ब्रह्मा द्वारा सृष्ट हुआ है। कोई ऋक से वैश्य की उत्पत्ति, यजुर्वेद क्षत्रिय की योनि अर्थात् उत्पत्ति स्थान है और सामवेद से ब्राह्मण वर्ण की उत्पत्ति कहते हैं।
सर्व हेदं ब्रह्मणा हेदं सृष्टमृगम्यो जातं वैश्यं वर्ण माहः ।
यजुर्वेद क्षत्रियस्याहु योनिसामवेदो ब्राह्मणाना प्रसूति॥
'शतपथ ब्राह्मण' में माना गया कि भू: शब्द उच्चारण करके ब्रह्माजी ने ब्राह्मण को उत्पन्न किया, भुव: शब्द कहकर क्षत्रिय को और स्व: शब्द कहकर वैश्य को उत्पन्न किया। यह समस्त विश्वमण्डल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य से परिपूर्ण है।
हरिवंश पुराण के अनुसार प्रजापति ने ही दक्षप्रजापति होकर अनेक प्रकार की प्रजा उत्पन्न की। अक्षर रूप से सौम्यगुण विशिष्ट ब्राह्मण, क्षर रूप से क्षत्रिय, विकार रूप से वैश्य और धूमविकार से शूद्र हुए।
दक्षः प्रजापति भूत्वा सृजते विपुल: प्रजा। . अक्षरा ब्राह्मण: सौम्यःक्षरात्क्षत्रिया बान्धवा।
वैश्या विकारत श्चैव शूद्रा धर्मविकारतः ।। प्राचीन भारत में जाति परिवर्तन सम्भव था । गर्भ से शिनि, शिनि से गार्ग्य उत्पन्न हुए। यह गायेगण क्षत्रिय से ब्राह्मण में परिवर्तित हो गये'
गार्गाच्छिनिस्ततो गार्ग्य: क्षत्मा द्वह्म ह्यावर्तत। 'मत्स्यपुराण के अनुसार श्री उरुक्षय के तीन पुत्रत्र्यसरुण, पुष्करी और कपि क्षत्रिय होकर भी ब्राह्मण हुए -
उरूक्षय सुता ह्येते सर्वे ब्राह्मणतां गतः ‘हरिवंशपुराण' के अनुसार नागाभरिष्ट के तीन पुत्र वैश्य ब्राह्मण भाव को प्राप्त हुए।'
1. Emile Senart, caste in India, Page XIV 2. जाति भास्कर, पृ.7 3. वही, पृ.9
तैतिरीय ब्राह्मण 3/12/9/2 5. जाति भास्कर, पृ.9 6. वही, पृ. 11 7. वही, पृ. 12 8. वही, पृ. 15 9. वही, पृ. 16 .
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