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सोजतीया मडोवरा सुणि जे माणहंडिया रे हड मंडे । गजदाता सुर हुवो गुण हडीयो, वढ़पात्रा दालिद विहडै ।। अमराव तेज तूज हो अबिचल, भुवनंतर उगै भाणे । येति ओसवाल न्याति उज्जालं, वघौ वढ़ि महथ वाखाणे ।। ।।जुदां जुदां गोत्रना प्रसिद्ध श्रीमालीओ।। आगे अधिकारी थे अनंत तिस नाम कहूँ श्रीमालका, इस कलि में सांडा कोडिया दे कनक टका कलिकालका, इस परि भीम तंबोल त्यागी, हेम मुकत अरू लालका, उदेसी वीधू टाक दांनि, जासा अरू देपाल का, उह दिली गोपा बदलीया जे जिया छु टया दर हाल का, रतनागर नाहा भांडिया ढिली ढिग झझरवालका, राय सघारह सीरी वछ भंडारी सेर संभालका, लिखी सतीदास चिंडालिया, जो देसक नांने चालका, लाकज नरसी रैपती करी नर बोहरा नरपालका, इस जुग में वेगो महाराज थे, सिघुड़ अमिट अटालिका, इण काण्योण्ज घिरिआ जुनिवाल, हरखारड हरपालका, वो कीरतिमल कुकड़ी आंदरीज करनाल का, वो जौनपुर भरहा ढोर जानि पाँणी पथ वाघ मुछालका, अरधान मान रुस्तगि हूये, मौठीया कहूँ महिपालका, अधिकारी टालन धांधीया, जस पल्हवड राजपाल का, खिती भैरू रांमा परगटे, मेवात बहतरि पालका, गोल्हा सारग समरथ साह, तांबी मेघ प्रनाल का, घणां विरद अब रांकि आण तिस ऊपरी हठी हठाल था, नखित्रज तेरा भारमल भभीच जनम भरिसाल का, मलि मैवासी कीये जेर चढि गिर खंद्या खुरताल का, जगि उपरि बलि विकम जिसा, दालिद कस्या जंजाल का, राजा टोडरमल शुं प्रीति, ज्यौं सरवर मांन मराल का,
साचा गुन खेते कह्या, संबत सोलासै ते तालका । हुकमज अकबर पातिसाह परताप जो भारहमालका ।। ओसवाल भोपालों का रासा शारद मात नभू शिरनामी । कवियों की तूं अंतर्जामी विणा पुस्तक धारणी माता । हंस बाहनि वयण वर दात्ता ।।1।। बारह न्यात बली चौरासी । ओसवाल सब में गुण रासी। रास भणु मन धरी उल्लाश । जाति नामक करहूँ प्रकाश ।।2।।
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