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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निशीथसूत्रस्य किञ्चित् शुद्धिपत्रम् पृष्ट पंक्ति उ.१ अशुद्धिः शुदिः २ ८ ....प्रतिपादिकानि प्रतिपादकानि ९ १५-१६ सुत्तरज्जुवक्केहिं च, दंडकडगेहिं तहा, सुत्तरज्जुवकलेहि, दंडकडगेहिं तहा, चिलिमिली खुपचहा, भिक्खुहिं चिलिमिली पंचहा खु कायधाकरणिज्जा नो॥ भिक्खुहिं न सा॥ ९१७-१८ सूत्ररज्जुवल्कलैश, दण्ड- सूत्ररज्जुवल्कलैः, दण्डकटकैस्तथा । कटकाभ्यां तथा । चिलिमिली खलु पंचदा, भिक्षुभिः क्रिय चिलिमिली पञ्चधा खल कर्त्तव्याभिक्षमाणा नो॥ भिने सा ॥ बंशो दंडादिः, कटकमयी जवनिका, वंशो दण्डादिः, कटक वंशवक, ताभ्यां वंशकटकादिभ्यां ताभ्यां वंशकटकाभ्यां उ.४....१३३ ....१३६ गमस्त्रिपश्चाशत्सूत्रात्मकः गमः षट्पश्चाशत्सूत्रात्मकः । त्रयविंशदधिकशततमं त्रिंशदधिकशततमं त्रिपश्चाशत्सूत्रसमुदायोऽत्र षट्पञ्चाशत्सूत्रसमुदायोऽत्र ॥ सू. १३३॥ ॥ सू० १३६॥ ॥सू. १३३॥ ॥ सू. १३६॥ २१५ ८ १२-६३ १२-६६ पादामार्जनसूत्रादारभ्य पादामार्जनषोडशतमसूत्रादारम्य एकसप्ततित्रिषष्टितमशीर्षदौवारिकासूत्रपर्यन्त- तमशीर्षदौवारिकासूत्रपर्यन्तषट्पञ्चाशत् सूत्राणि सूत्राणि २६५ १६ १२-६३ १२-६६ । आगे उदेशसमाप्तिसक तीन तीन संख्या बढ़ाते नामो। २६५ १६ ॥सू० ५-९॥ ॥सू० ५-११॥ २६५ २. सूत्रपञ्चक सूत्रसप्तकं १२८ १७ २७ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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