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लघुग्रथना परिचय
आ पवित्रतम आगमोनुं ज्ञान सुलभताथी मेलववाना अवदात आशये भाष्य नियुक्तिओ चूर्णि टीका टवा आदिनु निर्माण थयुं तुं, यह रहयु छे अने थशे आवा ज भव्य आसये आ लघुकाय ग्रंथ निर्माण लगभग ११ मी सदीमां थयु । अने तेरमी सदीमां ताडपत्र पर अंकित था, तेनु मुद्रण वि. सं. २०२९ था रह छे ते आपणा संघनु परम सौभाग्य छे ।
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आ ग्रंथ नाम निःशेषसिद्धांतविचारपर्याय ' छे ।
आगमना मननीय विचारणीय सूक्ष्मतर कतिपय पदार्थों उपर ऊंडाणथी चिंतन अने मंथन साथे जे निष्कर्ष निहाल्या तेने संस्कृतभाषाबद्ध करीने संपिंडित ( संकलित ) कर्या छे ते प्रथम खंडमां छे. अवशिष्ट अंशने परिशिष्टमां मूकी प्रथम खण्ड पूर्ण कर्यो छे ।
श्री आगमाना विषम पदेना कठीन अने गूढ अर्थाने सरल संस्कृत भाषामा संकलित कर्या तेने बीजा खण्डमां स्थान आपवामां मन्यु छे ।
प्रथनाममीमांसा
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आ ग्रंथनी प्रशस्तिमां स्वयं ग्रंथकार ( १ ) सिद्धांत विचार पर्याय ' आ मुजबनु नाम लखे छे, (२) १३ मी सदीमां जे ताडपत्र पर या ग्रंथ पूर्ण थयेा, तेना अंत भागमां ' सिद्धांत सारोद्धार ' मा मुजब नाम लहिया देवप्रसाद लखे छे अने प्रतना मुखपृष्ठ उपर ' निशेष सिद्धांतविचारपर्याय ' छे ।
संपादन वखते विचार थथे। के नाम शुं राखवु १ आ प्रश्ननी मीमांसा समये एक तर्क उठ्यो के-श्री जैनागमामां छेदसूत्रो वाईभूत छे छेवसूत्रोधी शासननी व्यवस्था सुचारुरूपे रहे छे तेथी
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