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*नपतत्व
"द्रव्यप्राणों के दस भेद, और वे किन जीवों को कितने है.
सो कहते हैं।" पणिदिन--त्तिवलूमा
साऊ दम पाण चउ छ सग अट्ट। इग-दु-ति चरिदीणं,
असन्नि-सन्नीण नव दम य ॥७॥ पाँच इन्द्रियाँ, तीन बल, श्वासोच्छवास और आयु, ये दस प्राण कहलाते हैं। एफेन्द्रिय को चार प्राण: द्वीन्द्रिय को छह; त्रीन्द्रिय को सात; चतुरिन्द्रिय को बाट; असंज्ञी पंचेन्द्रिय को न और संज्ञी पंचेन्द्रिय को दस प्राण होते हैं ।। ७ ॥
(१) एकेन्द्रिय के चार प्राण ये हैं;-त्वगिन्द्रिय, श्वासोच्छ्वास, कायबल और आयु ।
( २ ) एकेन्द्रियजीव की अपेक्षा, द्वीन्द्रिय जीव के रसनेन्द्रिय और वचनवल-ये दो प्राण अधिक हैं ।
( ३ ) द्वीन्द्रिय की अपेक्षा, श्रीन्द्रिय जीव को घाणेन्द्रियप्राण अधिक है।
( ४ ) श्रीन्द्रिय की अपेक्षा चतुरिन्द्रिय जीव को चक्षििन्द्रय यह एक या अधिक है।
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