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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी सू० गस्मयरित्तस्मबिउद्द सो 4 जद् श्रावस्मगस्म .उह सो 4 किंसमायस्म 1 चउवौसच्छ वंदणस्म 3 पडिक्कमणस्म 4 काउसग्गरम 5 पच्चक्वाणम 6 सञ्बेसि एतेसिंउसो 1 समुद्दे सो 3 अणुस्मा 3 अणुयोगोपवत्त 4 जनाव स्म गवरित्तम उसो 4 किंकालिय सुयस्म उद्द सो 4 उकालियसुयस उद्दे सो 4 कालियस्म विउह सो 4 उका लिय सुयस्मविउद्दे सो 4 जइउकालियस्म उद्देसो 4 किंदसवेकालियस्म 1 कप्पिया 2 कप्पियस्म 3 चुल्लक प्पप्नुयस्म 4 महाकप्मसुयस्म 5 उबवायसुयस्म 6 रायपसेणीसुयस्म 7 जौवाभिगमो ८पमवणाए / महा परमवाणं 10 पमायप्पमायस्स 11 नंदौए 12 अणु श्रोगदाराण 13 देविंदबयस्म 14 तंदुलवेयालियम 15 चंदविज्जयस्स 16 सूरपंणत्तो 17 पोरसिमंडलम 18 मंडलप्पवेसो 16 विद्याणुचरण 20 विणिष्ठियम 21 गणिविज्जा 32 संलेहणास्यस्म 23 विहारकप्पस्म 24 वीयरागसुयस्म 25 भाणविमत्ति 26 मरणबिमत्ति 27 मरणविसोही 28 आयविभत्ति 31 श्रायविसोही 30 चरणविसोही 31 अाउरपञ्चखाणस्म 32 महापच्चक्खाणस्म 1 सब्बे सिं कि किंवा किस्यप अंग थी वाहिर ते उपांगादिकने विष रह्या थका श्रुत ग्यांननो उप० प्रवर्ने एसव प्रश्नका उत्तर भगवंत कहे हे गोतम भाषा * अंगप्रविष्ट अंग वाह्यकालिक उत्कलादिक आवस्यक आवस्यकव्यतिरिक्त दसम कालिकादिक उ. श्रुतम्याननोज उपदेस के श्रुतग्यांन नोज समुहस के श्रुतच्चाननीज आता छ श्रुतज्ञान नोज वषाण प्रवत्त छ ते भगी सदा श्रुती ग्यांन के शुणनें कोआदर रखणो जिसमें शेष च्यार ग्यांनकी प्राप्ति * होय वांछित सिडी होय इति नंदी सुत्र वालाबोध संपूर्णम् / / 器業業等業諾羅器跳跳著跳著講著跳諾諾器 张業藥業樂器器架紫器帶點紫米紫米光影器器諜洲飄業 For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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