________________ Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kabatirth.org नंदी सू० 紧器茶器迷影需紧器茶器茶茶茶器紫器端装器养業器 पविठस्म उद्द सो समुद्दे सो अणु वा अणु बोगोपवत्त 1 किं अंगबाहिरस्म उद्दे सो / समुद्दे सो 3 अणुमा 3 अणुशोगोपवत्तई 4 गो० अंगपविठस्मविउ सो / समुद्दे सो 2 अणुषा 3 अणुयोगोपवत्तई 4 अंगबाहिरस्म विउद्देसो / समुद्दे सो 2 अणुस्मा 3 अणुयोगोपवत्तद् 4 इमंपुणपठवणं पडुच्च अंगवाहिरस्म उद्देसो 5 जद् अंग बाहिरस्म उद्द सो जावअणुयोगोपवत्तद् किंकालियस्म उद्दे सो 4 किं उक्कालियस्म उदेसो 4 गो कालियस्स विउद्देसो 4 उक्कालियस्म उद्दे सो 4 इमं पुणपठवणंपडुच्च उकालियस्स उद्द सो 4 जउकालियस्स उद्द सो 4 किंवावस्सगस्म उद्दे सो 3 समुह सो 3 अणुरणा अणुबोगोपवत्तद् 4 श्रावस्मगवरित्तम उद्द सो 4 गोव्यावस्मगस्मविउह सो 4 आवस्म मनोर्थ भावना उपयोगने जाणे देखे ते मन पर्यावज्ञान के० च्यारि धनधातियाकर्म ने आयकरीने जे भान पामे ते सर्वजाणे देखे ते केवल ग्यानकरीने सकललोक अलोकना द्रव्य क्षेत्रकालभाष जाणे देखे मत्यादिक / चामनो प्रयोजन केवलीने नयी 4 अाउपयोगी केवली नथी केवली तु सदा उपयोग वंत के 4 ज्ञान इयां बाद केवलन जाय त तिहां च० च्यारि नाचान टु थापीने दृ मुक्या छे ते एम के नो मति 1 पवधि 2 मन पर्यव 3 केव ल४ ए 4 ज्ञाननो उपदेस न देवा नो सम्यग् प्रकारे उपदेस म देवाई तेस्यां माटे जे उपदेस के ते श्रुतज्ञाननो छ नो एकला 4 ज्ञान थी माना पिणन देवाइ आज्ञाछे ते श्रुतज्ञाननीछे मु० ते माट जे उपदेशक ने श्रुतज्ञाननोज उ) उपदेसछे ज० जो सुश्रुतज्ञाननो उ० उपदेशके 1 कि किस्य म० अंगने विषे प० रह्या श्रुतम्याननो उ० उपदेस के स० सम्यक् प्रकारे जामनो उपदेस छे अचुतम्याननी आग्या छ भ० श्रुतज्ञाननो वखाण प्रवत्तें 影業器器業聯苯器紧紧茶器器將業器器器器需將 भाषा For Private and Personal Use Only