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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir नंदी टो हितीयोनुयोग: सूत्रस्यशिकनियुक्तिमिश्रितो भणितस्तीर्थकरगणवरैः सूत्रस्य शिकनिथुक्तिमिश्रितं द्वितीथमनुयोग गुरुर्वदध्यादित्याहात तीर्थकर गणधरै रितिभावः तीयश्चानुयोगोनिरविशेषः प्रथकानुप्रशक्त प्रतिपादनलक्षणः इत्येषउक्तलक्षणो विधिर्भवत्यनुयोगे व्याख्याता आर परिनिष्टा सप्तमे इत्युक्त बय सानुयोग प्रकारा तदेतत्कथं उच्यते त्रयाणामनुयोगानामण्यतमेन केनचित्प्रकारेण भूयोर मोनेन भाज्य सप्तवाराश्रवणं कार्या ततोनकश्चिद्दोषः अथवा किंचि मदमतिविनेयमधिकृत्य तदुक्त द्रष्टयन पुनरेष रव सर्वत्र बबणविधि नियमः तु घटितज्ञानपिनेयानां सत्कृत् अवगत एवाशेशग्रहण दर्शनादिति कृतं प्रसंगेन सेत्तमित्यादि तदेतत् श्रुतज्ञानं तदेतत्परोक्षमिति नंद्यध्ययनं पूर्ण प्रकाशितं येन विषमभावार्थ तस्मैत्री चूर्णिकृते नमोस्तु विदुषे परोपकते १मध्य समस्त भयीत्व यसोवस्थाभिवई ते तस्मै श्रीहरिभद्राय नमष्टीका विधायिने पूर्वावृत्तिर्वानि रपिम्यान मंदमेधमा योग्या अभावा देह तेषामुपकृतये यन्त्रएष ___ खलपढमो वोयो निज्जुत्तौमौसश्रो भणियो तोय निरवसेसो एसविहौहोइ अणुशोगो सेतं अंगपविट्ट सेतं सुय नाणं सेतं परोक्खनाणं सेतं नंदीसम्मत्ता सेकिंतं अणुणा अणुमाछविहा पपत्ता तंजहा नामाणमा 1 ठवणाणुषा 3 *प. गुरुने परिवारे तेजिम गुरुडू कह्या सुवार्थ तिम पूछणहार शिष्यादिक प्रते तेपुण तिमज कहे . एतले शिष्यने सांभलिवानी विधहि सु० प्रथमतो गुरु सु. सुव अ अथनो शन्दाथ कहियो श्रोतानी असमर्थाद तेभणी ते किम पहिलं सत्वनो भर्य अचराथमाव निरतो प्रकाणे तिहां विशेष काईनकरे जेहने जषिषष वषाणतां शिष्यनी वद्धिमुढथाइ तिवारे गुरु शिष्य प्रते नियुक्ति सहित विशेष करौ सव वषाणे तबीगो पनुयोगते नि० विशेष AN सहित पणे सर्व अर्थनो विस्तार कहे सुत्र थोडा ए एचवी विविधिकरीने हो. हो म अनुयोग तेव्याख्यान: से तेएतले श्रुतम्यनिनो स्वरुपवषारयो 造器兼兼紫器器業兼差兼職器器装器: WHEREHEKHE 加諾儀器器業業器采器需諾諾米諾諾黑繼議器並米业 For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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