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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नंदी सू. ठाणसयविवडियाणं भावाणंपरूवणा आविज्जद् दुवालसविहस्स यगणिपिडगम पल्लवगो समासिज्ज समवायस्स णं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुयोगदारा संखिज्जावेटा संखिज्जासिलोगा संखिज्जाओ निजुत्तोश्रो संखिज्जाबो पडिवत्तीयो सेणं अंगठ्याए चउत्थे अंगेएगेसु अखंधे एगे अज्झयणे एगे उद्दसणकाले एगे समुह सण काले एगेचउ यालपयसयसहस्मे पयग्गणं संखिलजा अक्वरा अणंतागमा अर्णतापज्जवा परित्तातसा अर्णताथावरा सासयकडनि बच निकाइया जिणपणत्ताभावा आपविजंति पविग्जंति परूविज्जति दंसिराति निदंसिन्नंति उवदंसिज्जति सेएवं पाया एवंनाया एवंविखाया एवंचरणकरणपरूवणा आपविण्जद सेतंसमवाए 4 सेकिंतं विवाहेश्ण जीवाविवा हा० एक सोडाणालगे वि परिदृष्टिकरवी भा घणा भावकह्या छे प० श्री वीतराग देवे आ० सामान्य पणे करीने जा यावत शब्द मे सं० संख्याता वि० अ६ छंद विशेष रुप सं संख्याता सि' लोक ते अनुष्टप छंद विशेष सं० संख्याती नि नियुक्ति पदभंजनादिक अर्थ सं० संख्याती 50 प्रतिपत्तीते एक संख्याती सं० मंग्रह अर्थपण से से अंग अर्थ पाखी: च० चच्यो अंग एक एकतखंध ए० एक उदेमणकाल प्रश्ररुप ए० एकसमुदेसण कामाचे पडतररुप ए एकता रख अनेचो० 44 सहस्रपदछे प० तेपदानोपरिमाण सं संख्याता अ क्षर अ. अनंतागमा अ० अनंतापर्यव अक्षरते पपरित्ता अनंतानकी सबसवें द्रीयादिक अ० अनंता था यावर ते वनस्पती विशेषः सान्द्रयार्थपणे करीने निस्वार्थगुणे गुथ्या बांध्याछे नि निकाचित तेहेत दृष्टांते करीने जि. जिनते पाबीवीतरागे पा सामान्यप्रकारे प०फलने देखाडबेकरीने प नाम रुपने कहिये करी परुथाके दवणा भेदने निहेत हटांतने कहिवेकरी REMEHEREMEEEXXEXEX**KEKHEK 諾諾誤能蹤端端端諜諜諜諜諜罪諾瞞擺张张米諾器紫米 For Private and Personal Use Only
SR No.020495
Book TitleNandi Sutra Tika
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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