________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी भा० 器端諾諾諾米紫米米米器飛罪架辦狀票能繼 छ 117. वेठि० कालथेष्टिनी स्त्रीदुराचारणीहतीतेजागी श्रेष्टवैराग्यआणीने चारित्रलीधोतदाकालांतरटे चोभारायचय नामाभिमन्यषणामिलवा लाया तदा तिहां धिगजातिया देह एकदा ऋषिवर विहार करतां पुत्रादिक घणालोकने माघेता तदा नेणे एकरतो वेसा बागी तेषिखर * प्रति बोली स्वामी एतुम्हारो गर्मछे भने तुम्हे मुकने सूको नाबाछो तो हिवे केहनी घाइखे तदा रिपोखरे जाण्यो मुझने पालदीधो प्रवचन नोउड्डाध्याइस्ये ताबीजोका दूधर्मदाहिलोक रीसकस्येइमजाणीधणखमतोश्रापदीधोनेवाल्यो अमारोग हुवेतोपावरो प्रसवज्योनहीतोपेट फुटीनेनीस रज्यो इम कहतां पेटफाटी नौसयो तेऋषिस्वरनो कलंकटल्यो स्त्रीने पुख्यो वातसर्वकही ब्राह्मण निर्धाश्या एकथा कुमार मोदकप्रियकुमरने नवजोवनी स्त्रीती रूपवन्ती मनोहर इंती तेएकदिने मोदकखाती जीर्ण ऊमटी स्त्रीनो सरीर विगयो अतिहि दुगंध उछली उसासादि पाडुमा जाणीवे राग्य पाण्यो धिगजे पुरुषने जे इस्था शरीर उपरिस्था भणी ममता भाव करेछे तथा ए सरीरने अर्थि पापकरेके इम करता रुडा अध्यवसाय आवता सुभध्याने कर्मचयकरी केवल ग्यान उपभो मुगति पहतो एकथा.. देवी पुष्पवती राणी धर्मकरी यलोके गई हनी पुत्री पुष्पचलाने अM तिन प्रतियोधिवाकाजे सुपनांतरने विषे देवलोक सरीखा तथानारकोदुख विकुर्वीने देखाद्या समझाबीने एदेवीनी अने वेटीनी वेडनी परिणा मिकीवुद्धि ए८ उदएक. पुरिमताल पुरनगरेउदतोदत राजातेहनेत्री कांतादेवी ते सहितराजाराज्यभोगपतो विचरे भनेवाणारसी नगरीनोखामीधर्म रुचिराजाश्रीकांता देवि नमित्ते सर्मबलवाहण महितमायोसर्वनगरवीन्यो प्रभातेनगरवीन्योजागी राजातीनउपवासकरौवेश्रमण देवता साधीने सर्वनगरा दिकानेरीजायगाले गयोममाहरोनेए राजानी परिणामीकनी बुद्धि 82 सायनंदिसेणो० थणिकराजाना पुवनंदिरोण साधु तेक्ना शिष्यके हनुमनत्रत सुमाग्यो तिवारे चारिखमुकिवानु' अभिलाषीथयु तिण अवसरनं दिखेगानो अंतपुर पाभरण अलंकारपधिरी ने द्राणीतल्यथई 器蒸業業兼差號號號號器兼养業蕭靖米带装器器蒂蒂器器 For Private and Personal Use Only