________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir नंदी भा 紫米器器器紫光樂器紫器狀张梁 हनें समय 2 अपहरतां 1 जेत लोकाल लागे तेतलोकालएविडंनो आंतरुपडे मध्यम अवगाहनानो वरस झाझरो भातरुपडे 10 उत्कष्टहारे 11 समकितथी अणपयानो पांतर उत्कष्टोसागरनो असंख्यातमो भाग शेष संख्याता कालनापड्या असंख्याता काल नापणिबहनो आतक संख्याता वरसांना 1000 सहस्खनो घातक' अनंता काल पद्यानो सोमवानो तर वरस 1 नो माझ रोपांतरो पडे 11 अंतरद्वारे ११जे मांतकंघाती *सीह १२अणुसम यहारे 13 वे समा चाहि पाठसमालगे जे निरंतर सौवा 13 गणणहारे 14 एकाकी मौवा 14 अल्प बहुत्वद्वारे 15 अणे० षणा / जेसीद्धा एतलानो उत्कटो मांतरू' संचाता परसना सहसनो पडे जघन्य / समय लें जाणवो 15 एकट्ठो अंतरकहिमोहिवे मातमो भावहार* * कहेछे सघले 15 हारे सर्वनेत्र ज्ञाई कभाषथी सौहाए 715 ए सातमो भाव हार कहियो हिवे अल्प बहुत्वहार कहे छे अई लोकादिके यार * सी. दस हरिवासादिक साहया सी. दशहरिवासादिके साहया सी० ते अन्यो अन्य तुल्य समछे जे भणी ते एके ममये वरावरि सी. पीसा ते हयी जे वीस मी० ते स्त्रीयादिक थोडा जे भणी समकाले ते एक वारज एक समास माहि मो० परं स्त्रीने सासरणन होई यदुक्त समणी? * मवगयवेयर परि हार पुलाय 4 मप्पमत्तच 5 चउदस पुचि जिण आहारमंच 8 नो कोई साहरति / इति वीस पृथक जे अधो लोके सो. * अथवा मोटी स्त्रीना प्रति बोध्या स्त्रीपरुष नपंसकादिक "सिहा तेह थकी अनुक्रमे एक सो 108 पाठ सीहा ते संख्यात गुणा ते दूम 420 तल्य आपस * मे सर्व स्तोक बीम अने एथक वीसमतल्य के अने संख्या गुणाजे भणी क्षेवनो काल थोड़छे ते माटे कदाचित मी ते थकी एकसो पाठ सीझते * संख्यात गुणाए जे पुर्षे कह्याते अनन्तर सिद्धकह्या हिवे परम्पर सिद्दानो स्वरूप कहि येते ते परम्पर सिहनीप रुपणा मांहि 15 कर्म भूमिथी सि वां द्रव्य प्रमाणनी चिन्तायेसघले 15 द्वारे सर्वखेवना अनन्ता कहिवापि एहनो अंतरन कहियो ते काल पण ते सर्वक्षेत्रादि रुपले हिवे विशेषतर 柴業兼差兼紫紫器兼器業器凝器漆器茶器黑影業器蓋。 For Private and Personal Use Only